Panipat Ka Dusra Yuddh(5 नवंबर 1556 ई०) || पानीपत का द्वितीय युद्ध, कारण और परिणाम

तो दोस्तों आज का हमारा लेख है Panipat Ka Dusra Yuddh जोकि हुआ था. 1556 ई० पानीपत के तीन युद्ध हुए थे. इसके पहले वाले पोस्ट में हमने पढ़ा था. पानीपत के प्रथम युद्ध जो 1526 ई० में हुआ था.

हम लोग को पता है कि पहला युद्ध हुआ था. वह हुआ था. बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच यहाँ पर बाबर की जीत होती है और बाबर ने इस जीत के बाद मुगल साम्राज्य का नींम रखते हैं. उसके बाद Panipat Ka Dusra Yuddh जो हुआ था.

5 नवम्बर 1556 ई० किस-किस के बीच वह हुआ था. अकबर के तरफ से बैरम खां और उसके सेना पत्ती और शेर शाह सूरी के सेना पत्ती हेमू जबकि अकबर और हेमू के बीच युद्ध होता है 1556 ई० को अब देखते हैं आज का लेख में देखेंगे कि पानीपत का दूसरा युद्ध कब और किसके बीच लड़ा गया. पूरी घटना क्या-क्या टॉपिक है चलिए शुरू करते हैं. यह टॉपिक आपके एग्जाम के लिए अति महत्वपूर्ण है.

कुछ महत्वपूर्ण Panipat Ka Dusra Yuddh घटना क्रम –

चलिए अब हम लोग Panipat Ka Dusra Yuddh की घटनाएं जान लेते है. हम पॉइंट के रूप में सभी घटनाये को जानेंगे.

  • Panipat Ka Dusra Yuddh 5 नवंबर 1556 ई० को उत्तर भारत के हिंदू शासक सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य (लोकप्रिय नाम-हेमू था) और अकबर की सेना के बीच पानीपत का द्वितीय युद्ध के मैदान में लड़ा गया था. अकबर के सेनापति खां जमान व बैरम खां के लिए एक निर्णायक जीत थी।
  • इस युद्ध के फलस्वरूप दिल्ली शहर वर्चस्व के लिए मुगलों और अफगानों के बीच चले संघर्ष में अंतिम निर्णय मुगलों के पक्ष में हो गया और अगले 300 वर्षों तक सत्ता मुगलों के पास ही रही.
  • यहां पर इस Panipat Ka Dusra Yuddh में अकबर की जीत हुई थी और हेमू की हार हुई थी बोला जा रहा था कि हेमू की आंख में तीर लग जाता है और जिसे वह युद्ध में पराजित हो जाता है.जबकि विक्रमादित्य हेमू दिल्ली का अंतिम हिंदू सम्राट था. जिसमें दिल्ली के लिए युद्ध में अकबर/हुमायूं की सेना को हराया था.
  • हेमू वर्तमान हरियाणा के रेवाड़ी का था. हेमू सन 1545 से 1553 तक का शेरशाह सूरी का पुत्र इस्लाम शाह का सलाहकार भी रहा. उसने सन 1553 से 1556 के दौरान इस्लाम शासन के महामात्य और इस्लाम शाह के सेनानायक के रूप में 22 युद्ध जीते जो की सूरी शासन के विरुद्ध अफगान विद्रोहियों की विद्रोह का ख़त्म करने के लिए लड़े गए थे.
  • 24 जनवरी 1556 ई० को मुगल शासक हुमायूं की मृत्यु हो गई और उसके पुत्र अकबर को उत्तराधिकारी बनाया दिया गया. जबकि अकबर का ऊम्र  उस समय 13 वर्ष का था. जबकि 14 फरवरी 1556 ई० को पंजाब के कलानौर में अकबर का राज्याभिषेक किया गया. राज्यभिषेक के समय मुगल शासन काबुल, कंधार, दिल्ली और पंजाब के कुछ हिस्सो तक सीमित था.
  • अकबर और उसके संरक्षक बैरम खां ने Panipat Ka Dusra Yuddh में भाग नहीं लिया तथा वह युद्ध क्षेत्र से पांच कोस 8 मीटर दूर तैनात थे.
  • बैरम खान ने 13 वर्षीय बाल राजा को व्यक्तिगत रूप से युद्ध के मैदान में उपस्थित होने की अनुमति नहीं दी. इसके बजाय उसे 500 अच्छी तरह से प्रशिक्षित और सबसे वफादार सैनिकों के एक विशेष गार्ड के साथ सुरक्षा प्रदान की गई थी. और वो Panipat Ka Dusra Yuddh के मैदान से एक सुरक्षित दूरी पर तैनात था.
  • मुगलों की एक आगरा गांव में सेना की टकडी में दस हजार घुड़सवार होते थे. जिनमें से पांच हजार अनुभवी सैनिक थे. जो हेमू की अग्रिम पंक्ति की सेना से लड़ने के लिए तैयार थे.
  • हेमू ने अपनी सेना का नेतृत्व स्वयं किया जबकि हेमू की सेना 1500 हाथियों और उत्कृष्ट तोपखाने से सुसज्जित थी.
  • हेमू ने 30 हजार की सुप्रशिक्षित राजपूत और अफगान अश्वरोही सेना के साथ उत्कृष्ट क्रम में आगे बढ़ा. हेमू अपने सैन्य बलों से Panipat Ka Dusra Yuddh में जीत की ओर बढ़ रहा था. लेकिन अकबर की सेना ने हेमू की आँख में तीर मारकर उसे घायल कर दिया जिसे वह बेहोश हो गया और इस युद्ध में जित की ओर बढ़ रहे हेमू की हार का कारण बन गई.
  • हेमू को हौदा (घोड़े की पीठ पर सवारी के लिए गद्दी) पर न देखकर हेमू की सेना में खलबली मच गई और इसी भ्रम की स्थिति के कारण वह हार गई. युद्ध समाप्त होने के कई घंटे के बाद हेमू को मृत अवस्था में पाया गया और उसे शाह कली खनि मुहर्रम द्वारा panipat ka dwitiya yuddh के शिविर में अकबर के डेरे पर लाया गया. हेमू के समर्थकों ने उसके शीर्षछेदन स्थल पर एक स्मारक का निर्माण कराया जो आज भी पानीपत में जींद रोड पर स्थित सौंधापुर गाँव में मौजूद हैं.

तो चलीए अब जान लेते है Panipat Ka Dusra Yuddh किसके मध्य लड़ा गया अकबर और हेमू उनकी जीवनी के बारे में जो बता रहे है. एक टेबल का माध्यम से यह है अकबर और हेमू की जीवन परिचय.

पूरा नामअबुल-फतह जलालउद्दीन मुहम्मद अकबर
जन्म15 अक्टूबर 1542
जन्म स्थानअमरकोटा
पिताहुमायूँ
मातानवाब हमीदा बानो बेगम साहिबा
शिक्षाअल्पशिक्षित होने के बावजूद सैन्य विधा में अत्यंत प्रवीण धे
विवाहरुकैया बेगम सहिबा, सलीमा सुल्तान बेगम सहिबा, मारियाम उज-ज़मानी बेगम सहिबा, जोधाबाई राजपूत
संतानजहाँगीर
मृत्यु27 अक्टूबर 1605

तो प्रिय स्टूडेंट अब हम लोग जानेंगे Panipat Ka Dusra Yuddh लड़े गए अकबर और हेमू के बीच तो आपको अब बताने जा रहे है हेमू के जीवनी के बारे में एक छोटा सा टेबल के माध्यम से.

पूरा नामहेमचंद्र विक्रमादित्य (हेमू)
पिताराय पूरणमल एक पुजारी थे
जन्म1501 ई०
जन्म स्थानराजस्थान जिले के अलवर में
बच्चपनरेवाड़ी हरियाणा
मृत्यु5 नवम्बर 1556

जानिए ‘पानीपत का द्वितीय युद्ध के कारण’ – Panipat Ka Dwitiya Yuddh Ke Karan

चलिए अब जान लेते है की panipat ka dwitiya yuddh के प्रमुख कारणों के बारे में विस्तार से जो की आपके एग्जाम में Panipat Ka Dusra Yuddh के घटना के साथ panipat ka dwitiya yuddh Ke karan के बारे में जान लेते है.

Panipat Ka Dwitiya Yuddh Ke Karan
Panipat Ka Dwitiya Yuddh Ke Karan
  • मुग़ल व अफगान में शत्रुता
  • अब का दिल्ली पर अधिकार
  • हुमायूँ की मृत्यु
  • हेमू का आगरा पर अधिकार
  • हेमू की योग्यता

मुग़ल व अफगान में शत्रुता

26 दिसम्बर 1530 ई० को मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर की मृत्यु हो गई. बाबर के बाद उसका पुत्र हुमायूं शासक बना जिससे शेरशाह सूरी ने चौसा 1539 ई० तथा बिलग्राम (कनौज 1540 ई०) इन युध्दों में हराकर उसे भगा दिया. और हुमायूँ को अपनी जान पचाकर हिंदुस्तान से भागना पड़ा. इस तरह शेरशाह सूरी और उसके वंशजों ने 1555 ई० तक शासन किया. शेरशाह सूरी ने द्वितीय अफगान राज्य की स्थापना की 1555 ई० में हुमायूं ने फिर से अफगानों को हराकर अपना साम्राज्य वापस प्राप्त कर लिया और हिंदुस्तान पर शासन किया.

अब का दिल्ली पर अधिकार

इस समय सुर वंश का शासन आदिलशाह था. जो विलासितापूर्ण जीवन व्यक्तित करने वाला शासन था. इस कारण उसका प्रधानमंत्री हेमू उसकी सारी शक्तियों का इस्तेमाल करता था. अबुल फजल ने अकबरनामा में लिखा है नाम के लिए तो शासन आदिलशाह था. परंतु वास्तव में हेमू ही उसके राज्य को चलाता था. डॉ० के०सी० यादव के अनुसार, आदिल शाह का सेनापति बनने के लिए हेमू ने 22 लड़ाईया लड़ी  जिनमें वह किसी में भी पराजित नहीं हुआ. डॉ० ईश्वरी प्रसाद- के अनुसार, हेमू अपने समय के सबसे महान व्यक्तियों में से एक था. समस्त हिंदुस्तान में  अकबर के विरोधियों में से कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं था. जो शूरवीरता परिश्रम और साहस के गुणों में उससे बढ़कर है.

हुमायूँ की मृत्यु

27 जनवरी 1556 ई० को पुराना किला में हुमायूं की सीढ़ियों से गिरकर मृत्यु हो गई. हुमायूं की मृत्यु की खबर कई दिनों तक छुपाकर रखा गया. क्योंकि इस समय अकबर दिल्ली से दूर था.

हेमू का आगरा पर अधिकार

हेमू के आगरा का आक्रमण के समय आगरा का सूबेदार इस्कंदर खान था. जो हेमू से बिना युद्ध किए ही दिल्ली की ओर भाग गया. हेमू ने बिना कठिनाई के ही आगरा का अधिकार कर लिया.

हेमू की योग्यता

हेमू आगरा पर अधिकार करने के बाद दिल्ली की तरफ बढ़ा. इस समय दिल्ली का गवर्नर तरडी बेग था. हेमू के दिल्ली पर आक्रमण की सूचना पाकर बैरम खां ने पीर मुहम्मद शेरवानी को तरडी बेग की सहायता के लिए भेजा. अन्य निकटवर्ती सूबेदारों को भी दिल्ली पहुंचने की अनुमति दे दी. तरडी बेग ने हेमू से तुगलकाबाद के निकट मुकाबला किया परंतु वह पराजित होकर सरहिंद की ओर भाग गया. हेमू ने दिल्ली पर अधिकार कर लिया.

उसने अपने आप को दिल्ली का शासक घोषित कर दिया. और उसने विक्रमादित्य की उपाधि धारण की हेमू विक्रमादित्य उपाधि धारण करने वाला भारत का 14वां शासक था. इस प्रकार मध्यकालीन भारत में हेमू एकमात्र हिंदू शासक हुआ जिसने दिल्ली के सिंहासन पर अधिकार किया. अबुल फजल दिल्ली में तरडी बेग के विरुद्ध विजय के बाद हेमू के मन में राजपथ की आकांक्षा हिलोरे मारने लगी थी.

डॉ० के.सी. यादव के अनुसार- हेमू ने साही छत्र के नीचे बैठकर स्वतंत्र शासक होने की घोषणा कर दी थी. उसने हरियाणा क्षेत्र पर शासन किया तथा अपने नाम के सिक्के भी जारी किए इसके साथ उसने अन्य प्रदेशों पर गवर्नर की नियुक्ति भी की थी. अकबर बैरम खां को इन घटनाओं की सूचना जालंधर में मिली. दिल्ली और आगरा पर हेमू के अधिकार की सूचना से मुगलों में हड़कंप मच गया एक बार पुनः हुमायूँ के साथ घटी घटनाओं की पुनरावृति हो रही थी.

इसे भी पढ़े: पानीपत के प्रथम युद्ध के कारण एवं परिणाम

खिज्र ख्वाज को पंजाब में सिकंदरसुर पर नियंत्रण रखने की जवाबदेही सौंपकर बैरम खां अकबर के साथ दिल्ली की तरफ बढ़ा. 25 oct 1556 ई० को मुगल सेना सरहिंद पहुंच गई. तरडी बेग पीर मुहम्मद भी यहाँ मिल गए. अकबर ने यहां अपने सैनिकों और अधिकारियों की एक युद्ध सभा समायोजित दी. तरडी बेग जैसे कुछ मुगल अधिकारियों ने अकबर को वापस काबुल लौटने की सलाह दी. परंतु बैरम खान ने अकबर को परामर्श दिया कि उन्हें अफ़गानों (हेमू) का डटकर मुकाबला करने का परामर्श दिया.

तो दोस्तों Panipat Ka Dusra Yuddh के कारणों का बारे में विस्तार सी उपर लेख में देख चुके है.

पढ़िए ‘पानीपत का द्वितीय युद्ध के परिणाम’ – panipat ka dusra yuddh ke parinam bataiye

तो इस लेख में देखेंगे Panipat Ka Dusra Yuddh के parinam के बारे में वह कौन- कौन से परिणाम निकले चलिए अब जान लेते है की Panipat Ka Dusra Yuddh के परिणाम के बारे में अच्छे से पढ़ लेते है.

  • हेमू की सैनिक शक्ति का अंत
  • हिंदू राज्य की आकांक्षाओं का अंत
  • अफगानों की प्रभुसत्ता और शक्ति का विनाश
  • मुगलों को पर्याप्त युद्ध सामग्री तथा धन का प्राप्त होना
  • मुगल साम्राज्य के पुनः स्थापना और विस्तार

हेमू की सैनिक शक्ति का अंत

हेमू ने अपने सैनिक गुणों के कारण हिंदू और अफगानों की विशाल सेना संगठित कर ली थी. हेमू की पराजय पतन और वध के साथ-साथ उसकी बढ़ती हुई सैन्य शक्ति भी ध्वस्त हो गई. उसकी संगठित की गई सेना पूर्णरूपेण तितर-बितर हो गई.

हिंदू राज्य की आकांक्षाओं का अंत

हेमू ने अपनी सत्ता और शक्ति में वृद्धि करके दिल्ली में हिंदू राज्य स्थापित कर लिया था. उसने अपना राज्यभिषेक किया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण की. उसकी महत्वाकांक्षा विशाल हिंदू राज्य स्थापित करने की थी. परंतु उसकी पराजय और मृत्यु ने हिंदू राज्य की समस्त आकांक्षाओं को धूल धूसर कर दिया.

अफगानों की प्रभुसत्ता और शक्ति का विनाश

Panipat Ka Dusra Yuddh में अफ़गानों के अनेक शूरवीर सैनिक मारे गए. कई बंदी बना लिए गए और युद्ध की लूट में मुगल विजेताओं को 1500 हाथी प्राप्त हुई इससे अब अफगानों की शक्ति को नष्ट करना सुगम हो गया.

मुगलों को पर्याप्त युद्ध सामग्री तथा धन का प्राप्त होना

Panipat Ka Dusra Yuddh के युद्ध में और उसके बाद मुगलों को परास्त हुए अफगानों की खूब युद्ध सामग्री हाथी और धन प्राप्त हुआ. रणभूमि में से मुगलों को शत्रु के 1500 हाथी हाथ लगे तथा बहुमूल्य सामग्री प्राप्त हुई. हेमू की विधवा पत्नी का पीछा करने पर पीर मोहम्मद को उससे भी बहुत सा धन लूट लूट में मिला.

मुगल साम्राज्य के पुनः स्थापना और विस्तार

Panipat Ka Dusra Yuddh युद्ध के बाद दिल्ली और आगरा पर अकबर का अधिकार हो गया. और यहां से शेष प्रदेशों के बिजय सुगम हो गई अकबर ने भारत में मुगल साम्राज्य की पुनः स्थापना की और धीरे-धीरे अपनी बिजयो. से उसने मुगल साम्राज्य का विकास किया.

अब हम लो जान चुके है की Panipat Ka Dusra Yuddh के बारे में पूरा विस्तार से

FAQ (Panipat Ka Pratham Yuddh से सम्बन्धित कुछ सवालो का जवाब )

Panipat Ka Dusra Yuddh अथवा कारण और परिणाम से सम्बन्धित आपके द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब जानेंगे तो चलिए देख लेते है कौन-कौन से सवाल है और उसका उत्तर

पानीपत युद्ध 2 किसने जीता?

Panipat Ka Dusra Yuddh व जीते थे. 5 नवंबर 1556 ई० को उत्तर भारत के हिंदू शासक सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य (लोकप्रिय नाम-हेमू था) और अकबर की सेना के बीच पानीपत का द्वितीय युद्ध के मैदान में लड़ा गया था. अकबर के सेनापति खां जमान व बैरम खां के लिए एक निर्णायक जीत थी।

पानीपत का प्रथम द्वितीय तृतीय युद्ध कब हुआ था?

हम लोग को पता है कि पहला युद्ध हुआ था. वह हुआ था. बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच हुआ था. पानीपत के प्रथम युद्ध जो 1526 ई० में और दुसरा युद्ध 1556 ई० को जो हुआ था. अकबर और हेमू के बिच जबकि तीसरा युद्ध जो हहा था.

हेमू का पूरा नाम क्या था?

हेमू का पूरा नाम हिंदू शासक सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य (लोकप्रिय नाम-हेमू था) और अकबर की सेना के बीच पानीपत का द्वितीय युद्ध के मैदान में लड़ा गया था.

हेमू की मृत्यु कैसे हुई थी?

हेमू की मृत्यु आँख में तीर लग जाती है और वह घायल हो जाता है और उसकी मृत्यु 5 नवम्बर 1556 ई० में हुई.

हेमू को किसने हराया?

हेमू को किसने हराया आपके द्वारा पूछे गए सवाल है की हेमू को अकबर के शासन ने हराया था.

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