Panipat Ka Tritiya Yuddh (1761 ई०) || पानीपत का तृतीय युद्ध के कारण और परिणाम

प्रिय स्टूडेंट इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं भारतीय इतिहास से जुड़ी महत्वपूर्ण घटनाएं. पानीपत का युद्ध इस लेख में Panipat Ka Tritiya Yuddh के बारे में जानेंगे पूरा विस्तार से. इसके पहले वाले लेख में हमें देख चुके है. कि पानीपत का प्रथम युद्ध और द्वितीय युद्ध के बारे में देख चुके हैं. अब बात करेंगे Panipat Ka Tritiya Yuddh के बारे में और कब हुआ था. इस लेख में चार टॉपिक पर बात करेंगे. जो आपके एग्जाम के लिए है.

अगर आप एग्जाम देने जा रहे है या किसी प्रतियोगिग परीक्षाओ की तैयारी कर रहे है. यह लेख आपके लिए है अगर आप लोग इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते हो तो आपको HISTORY यानि की इतिहास से सम्बन्धित प्रश्न पूछे जाने वाला. सम्पूर्ण इतिहास Panipat Ka Tritiya Yuddh के बारे मे व भी आसान भाषा में जानेंगे तो चलिए देख लेते है. वह चार टॉपिक क्या-क्या है.

  • पानीपत का तृतीय युद्ध की घटना क्रम
  • पानीपत का तृतीय युद्ध की कारण
  • मराठो की पराजय के कारण
  • पानीपत का तृतीय युद्ध की परिणाम

Panipat Ka Tritiya Yuddh Kab Hua Tha – पानीपत का तृतीय युद्ध की घटना क्रम

इस लेख में अब यह देखेंगे की Panipat Ka Tritiya Yuddh Kab Hua Tha और किसके मध्य लड़ा गया था. जबकि पानीपत का तृतीय युद्ध की घटनाओ के बारे में देखेंगे की क्यों व कैसे युद्ध हुआ था. चलिए जान लेते है की पानीपत का तृतीय युद्ध की घटना क्रम आसान भाषा में.

  • 1761 में अहमदशाह अब्दाली (अफगान ) ने मराठा साम्राज्य के विरुद्ध भारत पर आक्रमण किया । अतः मराठों व अहमद शाह अब्दाली के मध्य हुआ ! यही युद्ध Panipat Ka Tritiya Yuddh कहलाता है.
  • यह युद्ध 14 जनवरी 1761 को प्रातः 9:00 बजे प्रारंभ हुआ तथा यह 3 चरणों में संपन्न हुआ.
  • प्रथम चरण में मराठा शक्ति का पलड़ा भारी रहा. जबकि द्वितीय चरण में मराठा शक्ति का प्रहार क्षीण होता गया और तृतीय चरण में मराठों का प्रहार पूर्णता क्षीण हो गया और अंत में वे परास्त हुए.
  • Panipat Ka Tritiya Yuddh में मराठों के 30 हजार सैनिक मारे गए व अब्दाली के 20 हजार सैनिक इस युद्ध में मारे गए. अब्दाली इस युद्ध में विजय रहा.
  • युद्ध के दूसरे दिन अब्दाली पानीपत नगर की ओर बड़ा और कत्लेआम प्रारंभ किया. जिसमें सैकड़ों लोगों का कत्लेआम किया गया. मराठा शिविर में लूट की इस लूट में अब्दाली को 1 लाख भार वाहक पशु, जिनमे 3000 ऊंट, 300 हाथी हाथ लगे. इसके अलावा तोपे, बंदूके, भाले, तलवार, ढाले और भारी मात्रा में युद्ध की सामग्री हाथ लगी.

Panipat Ka Tritiya yuddh ke karan – पानीपत का तीसरा युद्ध के कारण

तो अब Panipat Ka Tritiya yudh ke karan के बारे में जान लेते है जो की य भी अति महत्वपूर्ण टॉपिक है. जबकि आपके एग्जाम में पूछ देगा की पानीपत का तीसरा युद्ध के कारण कारणों के बारे में लिखिए तो आप यह लिख सकते है. Panipat Ka Tritiya yuddh ke karan क्या-क्या है इस लेख में सबसे पहले कुछ पॉइंट को देख लेते है. उसके बाद एक-एक पॉइंट को देखेंगे तो चलीए जान लेते है. Panipat Ka Tritiya yuddh ke karan

  • नादिरशाह के आक्रमण द्वारा अब्दाली के आक्रमणों का मार्ग प्रशस्त
  • मुगल दरबार का आंतरिक संघर्ष
  • मुगल साम्राज्य का विघटन
  • मराठा – मुगल संधि (1752)
  • नजीबखा का आमंत्रण
  • मराठों की विस्तारवादी नीति
  • तात्कालिक कारण

यह रहा Panipat Ka Tritiya Yuddh के कारण के कुछ सात पॉइंट अब यह देख लेते है की Panipat Ka Tritiya Yuddh के कारण क्या-क्या है.

नादिरशाह के आक्रमण द्वारा अब्दाली के आक्रमणों का मार्ग प्रशस्त

1739 में नादिरशाह ने भारत पर आक्रमण किया था. इस समय अब्दाली उसका सेनापति बन कर भारत आया तथा अब्दाली ने मुगल साम्राज्य की शक्तिहीनता, अयोग्यता को स्वयं देखा और तय किया कि मुगल सम्राट किसी सशक्त आक्रमण का सामना नहीं कर सकता. अतः अब्दाली भारत पर आक्रमण करने के लिए प्रोत्साहित हुआ.

मुगल दरबार का आंतरिक संघर्ष

मुगल दरबार में ईरानी तथा हिंदुस्तानी अमीरों के बीच इर्ष्या-द्वेष, तथा प्रतिद्वंदिता व्याप्त थी. उनमें सत्ता, अधिकार और धन प्राप्त करने को लेकर संघर्ष चल रहा था. मुगल बादशाह इस एकता के अभाव के कारण विदेशी आक्रमणों का सामना करने में असमर्थ था.

मुगल साम्राज्य का विघटन

मुगल साम्राज्य में आंतरिक मतभेदों एवं अयोग्य मुगल सम्राटों के कठपुतली बन जाने से मुगल साम्राज्य की प्रभावशीलता समाप्त होने लगी और अनेक प्रांत स्वतंत्र होने लगे.

मराठा – मुगल संधि (1752)

मराठों ने अपने राजनीतिक एवं आर्थिक लाभ हेतु वजीर सफदरजंग के माध्यम से 1752 में मुगलों से संधि की. इस संधि के द्वारा मुगल वजीर का सैन्य बल तथा उसकी सुरक्षा का उत्तरदायित्व मराठों के कंधों पर आ पड़ा. इससे मराठों का विरोधी अब्दाली मुगलो का विरोधी भी बन गया.

नजीबखा का आमंत्रण

उत्तर प्रदेश के दोआब में सहारनपुर का शासक नजीब मराठों का कट्टर विरोधी था. अतः उसने मराठों को उत्तर भारत से खदेड़ने के लिए अब्दाली को आमंत्रित किया तथा भारत में अब्दाली को मराठों के विरुद्ध विभिन्न रूप से सहायता प्रदान की.

मराठों की विस्तारवादी नीति

पेशवा बालाजीराव ने सैनिकों की मदद से कर्नाटक पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया था. तथा दिल्ली पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर मुगल साम्राज्य के रक्षक के रूप में पंजाब तथा उत्तर- पश्चिमी सीमा क्षेत्र तक मराठ साम्राज्य स्थापित करना चाहते थे. पेशवा की पंजाब राज्य विस्तार की महत्वाकांक्षा के कारण ही अब्दाली से उनका सीधा संघर्ष हो गया. जिससे Panipat Ka Tritiya Yuddh के विनाशकारी युद्ध की घटना घटित हुई.

तात्कालिक कारण

अब्दाली ने नजीबुद्दौला को मुगल सम्राट के मीरबख्शी के पद पर नियुक्त किया था. वह अब्दाली का प्रतिनिधि था जिसे दिल्ली में सर्वोच्च सत्ता प्रदान की गई थी। परंतु मराठों ने दिल्ली पर आक्रमण करके उसे समझौता करने के लिए बाध्य कर दिया. अंत में उसे मराठों के दबाव के कारण अपमानित होकर दिल्ली छोड़नी पड़ी.

इसके अलावा मराठों ने पंजाब की राजनीति में सक्रिय हस्तक्षेप करके पंजाब के सूबेदार तैमूर शाह ( अब्दाली का पुत्र) और उसके सेनापति जहाखा को परास्त कर पंजाब से भगा दिया और लाहौर व सरहिंद पर अधिकार कर लिया. इस प्रकार मराठों ने 1757 में अब्दाली द्वारा दिल्ली और पंजाब में स्थापित उसकी सर्वोच्च सत्ता को उलट दिया. इन सब घटनाओं से अब्दाली छिड़ गया तथा भारत पर आक्रमण किय.

तो अब देख चुके है की Panipat Ka Tritiya Yuddh Kab Hua Tha और Panipat Ka Tritiya Yuddh Kiske Bich Hua व पानीपत का तीसरा युद्ध के कारण इसको उपर वाले लेख में पढ़ चुके है. अब आगे देखेंगे की Panipat Ka Tritiya Yuddh के तीसरा पॉइंट क्या है.

इसे भी पढ़े: पानीपत का द्वितीय युद्ध, कारण और परिणाम

Panipat Ka Tritiya yudh – पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठों की पराजय के कारण

पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठों की पराजय के कारण

Panipat Ka Tritiya Yuddh के घटनाएँ और कारण देख लिए है. जबकि इस लेख में देखेंगे की पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठों की पराजय के कारण क्या-क्या थे. यह भी आप के लिए अति महत्वपूर्ण रहेगा जू आपको जानना चाहिए जो आपके एग्जाम में पूछे जा सकते है. यह प्रश्न सभी एग्जाम के लिए है. जैसे- की UPSC-PCS, TET-CTET, POLIICE-SI, REET, LEKHPAL, RAILWAY EXAM, All States Exam. यह सभी परीक्षाओ के लिए है. यह टॉपिक बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है. चलिए इस लेख को एक-एक पॉइंट को पढना शुरू करते है.

  • मराठों की दोषपूर्ण सैन्य व्यवस्था
  • दोषपूर्ण मराठा राजनीति
  • अपर्याप्त सुरक्षा
  • अब्दाली का श्रेष्ठ सेनापति होना
  • मुस्लिम अमीरों के अब्दाली की सहायता

मराठों की दोषपूर्ण सैन्य व्यवस्था

शिवाजी के समय में मराठा सेना पूरी तरह प्रशिक्षित एवं शस्त्रों से लैस हुआ करती थी, परंतु आगे चलकर इस सेना का रूप बदल गया. अब मराठा सेना में गैर-मराठी व भाड़े के सैनिक भी भर्ती किए जाने लगे थे. अतः देशी-विदेशी सैनिकों के मिश्रण से यह संगठन ढीला पड़ने लगा. मराठा तोपों का भारी होना, जिससे उन्हें खींचने में लगभग 200 बैलों की आवश्यकता होती थी.

मराठा सैनिक धोती, सादे कुर्ते, पगड़ी या साफा पहनते थे तथा शारीरिक सुरक्षा की व्यवस्था नहीं थी. मराठों की पराजय का एक अन्य कारण उनकी सेना में श्रेष्ठ एवं कुशल सेनापति का अभाव था. सदाशिवराव भाव एक योग्य, वीर सेनापति होते हुए भी अब्दाली की तुलना में कम योग्य थे.

दोषपूर्ण मराठा राजनीति

पेशवा बाजीराव की महत्वाकांक्षा और स्वार्थपरता की नीति के कारण उत्तर – भारत के समस्त शक्तिशाली शासकों का सहयोग मराठों ने खो दिया था. पेशवा बलपूर्वक शासकों से चोथ, सरदेशमुखी आदि वसूल करते थे. वही राजपूत एवं जाट राजाओ से भी अधिकाधिक धन वसूल किया. जिससे यह सब मराठों से घृणा करने लगे.

अपर्याप्त सुरक्षा

मराठों ने अपने प्रदेशों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त सेना नहीं रखी. जिससे अब्दाली उन पर अधिकार करने में सफल रहा. मराठे यह भूल 1751 से ही करते आ रहे थे, जिसका दुष्परिणाम Panipat Ka Tritiya Yuddh पानीपत की हार के रूप में सामने आया.

अब्दाली का श्रेष्ठ सेनापति होना

अब्दाली भाऊ की तुलना में श्रेष्ठ सेनापति था.  अब्दाली को विभिन्न देशों की रण-प्रणालियों का और सैन्य संचालन का अनुभव था. Panipat Ka Tritiya Yuddh के रण क्षेत्र में भी उसकी व्यूह रचना श्रेष्ठ थी. उसने सैनिक दलों में पूर्ण सहयोग और समन्वय स्थापित किया, जिससे वे मराठा सैनिकों से डटकर युद्ध कर सके.

मुस्लिम अमीरों के अब्दाली की सहायता

अवध के सूबेदार सुजाउद्दौला, अफगान शासक नजीबुद्दौला एवं अन्य प्रभावशाली अमीर मराठों के विरुद्ध होकर अब्दाली से जा मिले और उन्होंने युद्ध में सक्रिय भाग लिया. इस समय उत्तरी-भारत के सभी मुसलमान शासकों और अधिकारियों ने इस्लाम के नाम पर अब्दाली का साथ दिया.

तो यह रहा आपके Panipat Ka Tritiya Yuddh के कारण और पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठों की पराजय के कारण तो आपको तीसरा पॉइंट मराठो की पराजय के कारण पढ़ चुके है अब आगे चौथा पॉइंट को जानने की कोशिस करेंगे.

Third Battle Of Panipat – पानीपत का तृतीय युद्ध, के परिणाम

अब हमारा चौथा पॉइंट इस लेख में Panipat Ka Tritiya yuddh के परिणामों के बारे में जानेंगे व भी सबसे आसान भाषा में. युद्ध के परिणाम के कौन-कौन से परिणाम थे. तो चलिए पढ़ लेते है.

  • पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठों को जनधन की अपार हानि
  • मराठों की राजनीतिक प्रभुसत्ता को आघात पहुंचा
  • भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त होना
  • मुगल सम्राट की प्रतिष्ठा एवं गौरव को आघात
  • पेशवा बालाजी बाजीराव का देहांत होना
  • पंजाब में सिक्ख शक्ति का उदय होना
  • मराठा संघ का टूटना

पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठों को जनधन की अपार हानि

पानीपत के तृतीय युद्ध में मराठों को जनधन की अपार हानि उठानी पड़ी। इस युद्ध में लगभग 75000 मराठा सैनिक मारे गए सर जदुनाथ सरकार के अनुसार इस युद्ध में महाराष्ट्र के प्रत्येक घर से सैनिक शहीद हुए.

मराठों की राजनीतिक प्रभुसत्ता को आघात पहुंचा

मराठों की राजनीतिक प्रभुसत्ता को आघात पहुंचा. उत्तरी, भारत में जो शक्ति व सत्ता मराठों को 1761 से पूर्व प्राप्त थी वैसे उन्हें फिर कभी प्राप्त नहीं हो सकी। पानीपत के तृतीय युद्ध के पूर्व मराठा अजय माने जाते थे परंतु इस युद्ध के बाद मराठों की यह धारणा भी टूट गई.

भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त होना

पानीपत के तृतीय युद्ध के पश्चात प्रमुख मराठा सरदारों ने अपनी अपनी प्रथम सत्ता स्थापित कर ली ग्वालियर में सिंधिया बड़ौदा के गायक बड़ौदा में गायकवाड इंदौर में होलकर तथा नागपुर में भोंसले इन्होंने मराठा केंद्रीय शक्ति से पृथक होकर अपनी अपनी प्रथक सत्ता स्थापित कर ली जिससे मराठा संघ टूट गया.

मुगल सम्राट की प्रतिष्ठा एवं गौरव को आघात

पानीपत के तृतीय युद्ध के पश्चात मुगल सम्राट के गौरव एवं सम्मान को प्रबल आघात पहुंचा. मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय 11 वर्ष तक राजधानी में प्रवेश नहीं कर सका अंततः शाह आलम द्वितीय अंग्रेजों की कठपुतली बनकर रह गया. इसके बाद मुगल शासक कभी अपने गौरव को प्राप्त नहीं कर सके.

पेशवा बालाजी बाजीराव का देहांत होना

पानीपत के तृतीय युद्ध की पराजय के कारण पेशवा बालाजी बाजीराव को प्रबल आघात पहुंचा इसी कारण जून, 1761 को उनकी मृत्यु हो गई.

पंजाब में सिक्ख शक्ति का उदय होना

पानीपत के तृतीय युद्ध के पश्चात पंजाब में सिक्ख शक्ति का उदय हुआ. सिखों ने संगठित होकर पंजाब पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया.

मराठा संघ का टूटना

पानीपत के तृतीय युद्ध में अफगान पूरी तरह विजय प्राप्त नहीं कर सके तथा मराठे भी पूरी तरह पराजित नहीं हो सके. परंतु एक तीसरी शक्ति को इसका फायदा मिला वह थे अंग्रेज. इस युद्ध के पश्चात अंग्रेजों ने भारत में अपनी सत्ता स्थापित की.

प्रिय छात्र हम देख चुके है Panipat Ka Tritiya Yuddh के घटनाओ के बारे में क्या-क्या युद्ध में हुए है. सारे टॉपिक जान चुके है.

FAQ (Panipat Ka Tritiya Yuddh से सम्बन्धित कुछ सवालो का जवाब )

तो चलिए यह भी जान लेते है की Panipat Ka Tritiya Yuddh के कुछ आपके द्वारा पूछे गाए सवाल औरर उनका जवाब.

पानीपत का तृतीय युद्ध कब और किसके बीच में हुआ?

Panipat Ka Tritiya Yuddh 14 जनवरी 1761 को अहमदशाह अब्दाली (अफगान ) और मराठा साम्राज्य के विरुद्ध लड़ा गया पानीपत का तीसरा युद्ध

पानीपत के तीनो युद्ध कब कब हुए थे

पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल 1526 ई० को बाबर और इब्राहीम लोदी के बिच हुआ और दुसरा युद्ध 5 नवंबर 1556 ई० हेमू व अकबर के बीच अथवा तीसरा युद्ध 1761 ई० को

अंत में क्या-क्या पढ़ा

यह युद्ध 1761 ई० को होता हाउ और अफगानों के बिच यह युद्ध यानि की आक्रमण हो जाती है. यह युद्ध में हम लोग यह देखा की यह युद्ध जो था यह कितने तीनो तक चला था. इस युद्ध में किसकी जीत होती है और किसकी हार हो जाती है. यह जो युद्ध चला इस युद्ध के क्या-क्या कारण व परिणाम थे.

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