पानीपत के प्रथम युद्ध (1526 ई०) -Panipat Ka Pratham Yuddh

हेल्लो दोस्तों इस लेख में आप को पानीपत के प्रथम युद्ध के कारण एवं परिणाम और घटनाए- Panipat Ka Pratham Yuddh के बारे में विस्तार से जानना चाहते है तो इस लेख को पूरा अंत तक पढ़े. Panipat Ka Pratham Yudh से सम्बन्धित प्रश्न आपके एग्जाम में पूछे जा सकते है. तो चलिए सबसे पहले Panipat Ka Pratham Yuddh के घटनाओ के बारे में जान लेते है.

पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल 1526 ई० को बाबर तथा इब्राहिम लोदी के बीच हुआ इब्राहिम लोदी दिल्ली का शासन था. तथा इस समय हरियाणा प्रदेश भी लोदी राज्य में शामिल था. बाबर ने 1526 ई० तक भारत पर पाँच बार आक्रमण किए जिनका उल्लेख वह बाबर नामा में करता है.

तो अब जान लेते है की बाबर और इब्राहिम लोदी का पूरा की जीवनी एक टेबल के माध्यम से जान लेते है.

नामजहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर था
पिताउमर शेन मिर्ज
माताकुतलुग निगार खानम
जन्मजन्म
निधन26 दिसम्बर 1530
शासन1526 से 1530
मकनराकाबुल
उपाधिपादशाह, कलंदर, गाजी
जीवनीबाबरनामा (चगताई भाषा)
पूरा नामसुल्तान इब्राहिम लोदी
पितासिकंदर लोधी
भाईजलाल खा लोदी वंश का अंतिम शासक
जन्म1480 – 1490 ई०
मृत्यु1526 ई०

पानीपत के प्रथम युद्ध के कारण कौन-कौन से है – Panipat Ka Pratham Yuddh Aur Kiske Kiske Madhya Hua

चलिए अब जान लेते है. Panipat Ka Pratham Yuddh के कारणों के बारे में जो की बाबर द्वारा भारत पर आक्रमण कितने बार किए.

  • बाबर की महत्वाकांक्षा
  • पानीपत का दूसरा कारण है भारत की राजनीतिक स्थिति
  • भारत की आर्थिक सम्पन्नता
  • बाबर को भारत का आक्रमण का निमंत्रण
  • बाबर को अमीरों की प्रेरणा
  • भारत में सुरक्षा
  • बाबर के धार्मिक कट्टरता
पानीपत के प्रथम युद्ध
पानीपत के प्रथम युद्ध

बाबर की महत्वाकांक्षा

बाबर एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति था. वह पिता की तरफ से तैमूर तथा माता की ओर से चंगेज खां का वंशक था. वह तैमूर के कार्यो से अत्यधिक बहुत प्रभावित था. तैमूर ने भारतीय धान और संसाधनों से मध्य एशियाई साम्राज्य को मजबूत किया था. और अपनी राजधानी को काला कौशल का केंद्र बना दिया था.

अब अफगानिस्तान पर अधिकार करते बाबर ने पंजाब पर अधिकार करना अपना कानूनी अधिकार मांनने लगा क्योंकि पंजाब का एक भाग तैमूर तथा उसके वंशजों के अधीन रहा था. अतः बाबर ने भारत में एक साम्राज्य की स्थापना करने का निश्चय किया.

जिसकी पूर्ति पानीपत के युद्ध के बाद हुई इस तरह बाबर के पिता की ओर से तैमूर वंश तथा माता की ओर से चंगेज खां का वंशक था.इस तरह उसकी नसों में मध्य एशिया के दो शूरवीर वंशो का खून बहता था. बाबर ने भारत पर साम्राज्य विस्तार करना चाहता था.

पानीपत का दूसरा कारण है भारत की राजनीतिक स्थिति

भारत की तत्कालीन राजनीतिक स्थिति बाबर की महत्वाकांक्षाओं को पूर्ण करने के लिए उपयुक्त थी. उस समय दिल्ली सल्तनत के पतन की ओर अग्रसर थी दिल्ली पर इब्राहिम लोदी का शासन था. जो अयोग्य है. एवं अप्रिय था. अनेको अफगान सरदारो उसके विरोधी बन चुके थे.

और स्वतंत्र शासक के तरह शासक कर रहे थे. भारत में एक स्वतंत्र राज्यों का उदय हो चुका था. इनमें आपसी सहयोग और एकता की भावना नहीं थी. और आपसी संघर्षो में उलझे हुए थे. नीचा दिखाने के लिए एक दूसरे का प्रयास करते थे. इस कारण इन देशों राज्यो की शक्ति कमजोर पड़ चुकी थी.

उपरोक्त स्थिति बाबर के लिए उपयुक्त थी जिसके प्रेरित होकर बाबर ने Panipat Ka Pratham Yuddh और1526 ई० में भारत पर आक्रमण किया. बाबर ने अपनी आत्मकथा (बाबरनामा) में भारत की तत्कालीन राजनीतिक दशा के बारे में लिखा है.

उस समय सारा हिंदुस्तान किसी एक शासन के अधीन नहीं था. अभी तो यहाँ अनेक छोटे-छोटे राजा राज्य कर रहे थे. और प्रत्येक अपने आप को सम्राट समझ रहे थे. डॉ० ईश्वरी प्रसाद ने इनको राज्यों का जमघट की संज्ञा दी है.

बाबुल अपनी आत्मकथा “तुतुक ए बाबरी” मैं उल्लेख किया है उस समय भारत में सात प्रमुख राज्य थे. जिनके पांच मुस्लिम राज्य दिल्ली गुजरात मालवा बंगाल ब्राह्मनी तथा दो हिंदू राज्य मेवाड़ विजयनगर थे. हिंदुस्तान की सीमा और उसके अंतर्गत राय और राजा थे.

जिनमे से अनेको ने दूरी अथवा आवागमन के साधनों का अभाव के कारण मुसलमान शासकों की सत्ता का भी स्वीकार नहीं किया. और राज्य एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए विदेशी आक्रमणकारियों से समझौता करने में भी संकोच नहीं करते थे. दक्षिण भारत में भी हिंदू मुसलमान राज्यों में निरंतर संघर्ष चल रहा था. जिसका नेतृत्व बिजयनगर और ब्रह्मनी राज्य कर रहे थे.

दिल्ली में इब्राहिम लोदी का शासन था कहने को उसका शासन विशाल क्षेत्र में फैला हुआ था. परंतु वास्तव में यह केवल दिल्ली के आसपास के इलाके तक सीमित रह गया था. केंद्रीय सत्ता लगभग शक्तिहीन हो चुकी थी. बाबरनामा के अनुसार- इब्राहिम लोदी एक अनुभवी लापरवाह और दूरदर्शी शासक था. यह रही Panipat Ka Pratham Yuddh का दूसरा कारण है भारत की राजनीतिक स्थिति.

भारत की आर्थिक सम्पन्नता

बाबर ने भारत की आर्थिक सम्पन्नता के बारे में सुन रखा था. भारत आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न देश था. जो सोने का चिड़ियाँ कहलाता था. बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा में भी लिखा है. कि भारत में सोने-चांदी के विशाल भंडार है. भारत से धन प्राप्त कर के बाबर अपनी आवश्यकताओ की पूर्ति कर सकता था. काबुल की आय तथा आर्थिक साधन सीमित थे. भारत के आर्थिक संपन्नता के कारण बाबर ने भारत पर आक्रमण किया. यह रहा Panipat Ka Pratham Yuddh के आर्थिक सम्पन्नता का कारण की

बाबर को भारत का आक्रमण का निमंत्रण

कुछ अफगान सरदार इब्राहिम लोदी से संतुष्ट नही थे. जो उसकी सत्ता को समाप्त करने की योजना बना रहे थे. आलम खां लोदी ने बाबर से सहायता की मांग की पंजाब के गवर्नर दौलत खां लोदी ने अपने पुत्र दिलावर खां को बाबर के पास भेजकर इब्राहीम लोदी पर आक्रमण का प्रस्ताव दिया.

तथा बाबर की सहायता का वचन दिया. बाबरनामा में बाबर स्वीकार करता है. कि मेवाड़ के शासक राणा सांगा ने भी उसके पास भारत पर आक्रमण करने का संदेश भेजा. वह अफगानो की सत्ता समाप्त कर हिन्दू राज्य की स्थापना का सपना देख रहा था. राणा सांगा सोच रहा था.

कि बाबर लूट पाट करके चला जाएगा. और उसके बाद वह दिल्ली पर अधिकार कर लेगा. इस प्रकार भारत से इन निमंत्रणो ने बाबर का हौसला बढ़ा और भारत पर आक्रमण करने का निश्चय किया.

बाबर को अमीरों की प्रेरणा

Panipat Ka Pratham Yuddh बाबर को अमीरों की प्रेरणा बाबर को भारत पर आक्रमण करने के प्रेरणा एक अमीर से मिली जिसका उल्लेख वह बाबरनामा में करता है.उसने कहा था आगे बढ़ी है और संसार के सर्वश्रेष्ठ देश भारत पर अधिकार कर लीजिए.सिंधु के उस पार एक साम्राज्य की स्थापना कीजिए जिसके लिए आपके पूर्वजों मार्ग दिखा गए हैं.

जाइए और हिंदुस्तान के मध्य में अपना दरबार लगाइए और हिंदुस्तान के सुखों का आनंद लुटिए ईश्वर आपको काबुल तक लाया है और हिंदुस्तान के मार्ग पर खड़ा कर दिया है. ईश्वर और मोहम्मद की आज्ञा है कि आप भारतीयों की मूर्ति पूजा का नाश करें.

भारत में सुरक्षा

बाबर ने मध्य एशिया में राज्य स्थापित करने का बार-बार प्रयास किया परंतु वह सफल नहीं हो सका. इसके बाद बाबर ने काबुल कंधार पर अधिकार किया परंतु उसे सदैव उजबेगो के आक्रमण का खतरा रहता था. भारत पर विजय करके वह उजबेक के आक्रमणों से अपनी सुरक्षा कर सकता था. Panipat Ka Pratham Yuddh का यह भी कारण थी.

बाबर के धार्मिक कट्टरता

बाबर एक कट्टर सुन्नी मुसलमान था. वह इस्लाम का प्रचार करना चाहता था. कुछ इतिहासकारों का मानना है. कि राजपूतों के खिलाफ लड़ाइयों में बाबर ने धार्मिक कट्टरता के प्रमाण दिए थे. जिहाद की घोषणा की गाजी की उपाधि धारण की इस आधार पर कहा जा सकता है कि बाबर ने शायद इस्लाम के प्रचार-प्रचार के लिए भारत पर आक्रमण किया होगा.

वह इस्लाम धर्म का प्रचार करने यहां प्रचलित मूर्ति पूजा को भी समाप्त करना चाहता था. ऐसा करके वह भी महमूद गजनवी तथा मोहम्मद गौरी की तरह प्रसिद्ध प्राप्त करना चाहता था.

हम पढ़ चुके है Panipat Ka Pratham Yuddh के प्रमुख कारण अब चलिए अगले टॉपिक की ओर.

पानीपत के प्रथम युद्ध के परिणाम – Panipat Ka Yudh Ka Parinam Kya Hai

अब इस लेख में देखेंगे की Panipat Ka Pratham Yuddh के प्रमुख के कौन-कौन से परिणाम थे. और पानीपत के प्रथम युद्ध के परिणाम भारतीय इतिहास और बाबर दोनो लिए अत्यंत निर्यणनायक सिद्ध हुए इस युद्ध के परिणाम स्वरूप भारत में एक युद्ध की समाप्ति हुई. तथा दूसरे युद्ध की शुरू आत हुई. चलिए इस लेख को पूरा विस्तार से पढ़ते है. पानीपत का परिणाम निम्न है.

  • नई प्रशासनिक व्यवस्था
  • मुगल वंश की स्थापना
  • दिल्ली सल्तनत का अंत
  • बाबर के बुरे दिनों का अंत
  • भारतीयों को नई युद्ध प्रणाली का ज्ञान
  • लोदी वंश का अंत

नई प्रशासनिक व्यवस्था

युद्ध में इब्राहिम लोदी की मृत्यु के साथ ही दिल्ली सल्तनत तथा लोडी वंश दोनों के शासन का अंत एक साथ हो गया.अफगान कुछ समय के भारत के सर्वोच्च सत्ता से वंचित कर दिया गया. Panipat Ka Pratham Yuddh का महत्व इस बात में निहित है.

कि 1192 ई. के तराइन के जिस युद्ध में दिल्ली सल्तनत के जन्म की प्रक्रिया शुरू हुई. वह 1526 ई. में जबकि पानीपत के मैदान में खत्म हो गई. इतिहासकार ने लेनपुल के शब्दों में अफगानों के लिए पानीपत का युद्ध उनका दुर्भाग्य था. इस युद्ध ने उनके राज्य और शक्ति का अंत कर दिया.

मुगल वंश की स्थापना

Panipat Ka Pratham Yuddh के मैदान में विजय प्राप्त करने के बाद दिल्ली-आगरा का क्षेत्र बाबर के हाथों में आ गया. भारतीय राजनीति में एक नया खून मुगलों का प्रवेश हुआ. 27 अप्रैल 1526 ई. में दिल्ली में बाबर ने अपने नाम से खुतबा पढ़कर अपने आप को दिल्ली का बादशाह घोषित किया.

उसकी इस घोषणा के साथ ही भारत में मुगल वंश के साम्राज्य की स्थापना हो गई. हुमायूं ने आगरा पर अधिकार कर बाबर को वहां का बादशाह घोषित कर दिया. इस प्रकार अफ़गानों की नई और पुरानी दिल्ली-आगरा दोनों ही राजधानीयों पर बाबर के अधीन हो गई.

दिल्ली सल्तनत का अंत

दिल्ली सल्तनत की स्थापना 1206 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक ने की थी. सल्तनत काल में दिल्ली का गुलाम खिजली तुगलत, सैयद, लोदी वंश के शासकों ने शासन किया. Panipat Ka Pratham Yuddh में दिल्ली सल्तनत का पतन हो गया. इब्राहिम लोदी दिल्ली सल्तनत का अंतिम सुल्तान सिद्ध हुआ. लेनपुल ने लिखा है कि-इस युद्ध के बाद देश का एक शासक समाप्त हुआ.और दूसरा गद्दी पर बैठा.

बाबर के बुरे दिनों का अंत

Panipat Ka Pratham Yuddh में विजय के परिणाम स्वरुप बाबर के बुरे दिनों का अंत हो गया. बाबर अपने पैतुक राज्य परगाना को प्राप्त करने का बार-बार प्रयास किया. परन्तु वह पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सका और इधर-उधर भटकता रहा. इस युद्ध में बाबर के बुरे दिनों का अंत हो गया. इसके लिए बाबर ने भारी मेहनत की थी.

इस युद्ध की विजय ने बाबर के जीवन में स्थायित्व प्रदान किया. अब उसे इसका विस्तार करना था. हुमायूं को आगरा में इब्राहिम लोदी का खजाना मिल गया. और बाबर की कठिनाई दूर हो गई. इस विजय से बाबर दिल्ली-आगरा का शासक बन गया. अब उसने हिंदुस्तान में अस्थाई रूप से रहने और मुगल साम्राज्य का विस्तार करने का निश्चय किया.

भारतीयों को नई युद्ध प्रणाली का ज्ञान

बाबर के आक्रमण के समय तक भारतीय सैनिक परंपरागत तरीकों से ही युद्ध करते थे. बाबर ने कम सेना होते हुए भी लोदी की विशाल सेना को जिस तरीके से हराया उसके वैज्ञानिक स्वरूप का ज्ञान हमे होता है. बाबर ने इस युद्ध में तुलुगमा युद्ध पद्दति का प्रयोग किया. जिससे भारतीय परिचित नहीं थे.

यह पद्धति पूरी तरह से रक्षा के वैज्ञानिक सिद्धांत पर आधारित थी. इस पद्धति में तेजी से चलने वाले घुड़सवार सैनिक स्थान बदलने में सक्षम तोपे तथा अन्य बारूद प्रयोग करने वाले साधनों का प्रयोग किया जाता था. इस युद्ध में बाबर की सफलता के बाद भारत में भी तेज तरार घुड़सवारो, तोपो, बारूद का महत्व काफी बढ़ गया था.

लोदी वंश का अंत

बाबर ने Panipat Ka Pratham Yuddh में विजय प्राप्त करने के बाद हरियाणा क्षेत्र में जीते हुए प्रदेशों को एकिकृत करने सरकार नामक प्रशासनिक इकाई में विभक्त कर दिया.

तो दोस्तों आप को यह भी अच्छी तरह से उपर लेख में बताया गया की Panipat Ka Pratham Yuddh के कौन-कौन से परिणाम थे.

बाबर ने प्रथम युद्ध के बाद हरियाणा को चार सरकारों में बांटा –

तो चलिए यह भी जान लेते है की Panipat Ka Pratham Yuddh के बाद कौन-कौन सरकारों में बांटा गया था.

  • मेवात सरकार
  • सरहिंद सरकार
  • दिल्ली सरकार
  • हिसार सरकार

बाबर ने इन स्थानों पर अपने वफादार साथियों को नियुक्त किया. अहसान तैमूर को नारनौल तथा बुगरा सुल्तान को समसाबाद की जागीर प्रदान की.

पानीपत का प्रथम युद्ध का प्रभाव, मंडारों का विद्रोह-

तो अब Panipat Ka Pratham Yuddh का प्रभाव व मंडारों का विद्रोह के बारे में जान लेते है तो चलिए शुरू करते है.

हरियाणा में स्थानीय सरदारों ने बाबर की हुकुमत (शासन) को स्वीकार नहीं किया था. 1530 ई. मे कैथल में मोहन सिंह मंडार के नेतृत्व में राजपूतों ने मुगलों के विद्रोह करके स्थानीय व्यवस्था को समाप्त कर दिया.

बाबर ने कुली हमदान के नेतृत्व में 3000 सैनिकों को मोहन सिंह मंडार का विद्रोह दबाने के लिए भेजा जिससे राजपूतों ने बुरी तरह हराया. अब बाबर ने नौरंगजेब तथा तरसेन के नेतृत्व में सेना भेजी जिसने मंडारों को हराया.

तो प्रिय स्टूडेंट्स आप को पानीपत के प्रथम युद्ध के कारण और परिणाम – Panipat Ka Pratham Yuddh Aur Kiske Kiske Madhya Hua इसका पुरा इतिहास मिल चूका है. अगर आप को Harit Kranti Kya Hai इसकी इतिहास जानना चाहते है तो.

FAQ (Panipat Ka Pratham Yuddh से सम्बन्धित कुछ सवालो का जवाब )

तो Panipat Ka Pratham Yuddh और Panipat Ka Pratham Yuddh Kab Hua Tha इस सरे प्रश्नों का जवाब जान लेते है. अगर आपके मन में कोई सवाल हो तो आप हमे कमेंट के माध्यम से पूछ सकते है.

पानीपत का प्रथम युद्ध कब और किसके बीच लड़ा गया?

पानीपत का प्रथम युद्ध 1526 ई० को बाबर और इब्राहीम लोदी कके मध्य लड़ा गया जिसमे बाबर की विजय हुई औउर इब्राहीम लोदी की हार हो गई.

पानीपत युद्ध किसने जीता?

पानीपत युद्ध जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर ने जीता?

अंत में क्या-क्या पढ़ा

प्रिय स्टूडेंट अब इस लेख में आपको पानीपत के प्रथम युद्ध में क्या-क्या पढ़ा है. इस युद्ध में हमने यह देखा की कैसे इस युद्ध में बाबर की जीत होती है और लोदी वंश की हार हो जाती है. इस लेख में यह भी देखने को मिला है की यह जो युद्ध होती है यह क्यों होती है. यह Panipat Ka Pratham Yuddh में यह देखा गया की यह जो युद्ध हुआ कैसे बाबर ने लोदी को बुरी तरह से हारना का सामना करना पड़ता है और बाबर इस Panipat Ka Pratham Yuddh में जीत जाता है.

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