प्लासी का युद्ध (1757)- Plasi Ka Yuddh Ka Varnan Kijiye

प्लासी का युद्ध(Plasi Ka Yuddh) एक ऐसा ही युद्ध था जिसमें भारत को एक नई दिशा दी जिसमें ईस्ट इंडिया कंपनी की वर्चस्व को एक नई दिशा दी और जिसमें भारतीय इतिहास में एक नए अध्ययन का निर्माण किया. Plasi Ka Yuddh न केवल एक युद्ध था बल्कि भारतीय भूमि पर विदेशी शक्तियों के प्रभुत्व को बढ़ना यूरोपियन शक्तियों के प्रभुत्व के बढ़ने का सबसे बड़ा म्युस्टोर था.

Plasi Ka Yuddh मेरे हिसाब से आधुनिक भारत के शुरुआत का प्रारंभ करता है मैं आधुनिक भारत को प्लासी युद्ध से मानता हूं 1757 से मानता हूँ. इस 1757 से आधुनिक भारत की शुरुआत होती है. अब हम आधुनिक भारत से पूर्व भारत के आजादी तक सभी घटनाक्रम को एक-एक पॉइंट में देखना प्रारंभ करेंगे. प्लासी के युद्ध प्लासी युद्ध के कारण क्या थे Plasi Ka Yudh में किस प्रकार स्वरयंत्र हुए और प्लासी युद्ध के क्या महत्व व परिणाम थे. इस लेख में पाँच टॉपिक को एक-एक करके कवर करेंगे.

  • प्लासी युद्ध के घटनाक्रम
  • प्लासी युद्ध के कारण
  • सिराजुद्दौला की हार का कारण
  • प्लासी के युद्ध के परिणाम
  • प्लासी के युद्ध का महत्व

प्लासी का युद्ध किसके बीच हुआ Plasi Ka Yuddh Kab Hua Tha

तो प्रिय स्टूडेंट अब इस लेख में देखेंगे की Plasi Ka Yuddh Kab Hua Tha और प्लासी का युद्ध कब और किसके बीच हुआ था. इस लेख में Plasi Ka Yuddh के बारे में पूरा इतिहास देखेंगे जो आपके एग्जाम के लिए अति महत्वपूर्ण रहेगा अगर आप किसी प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी कर रहे है या आप एग्जाम देने जा रहे है तो यह लेख आपके लिए अति महत्वपूर्ण रहेगा इस लेख को पूरा अंत तक पढ़े.

Plasi Ka Yuddh 23 जून 1757 ईस्वी में अंग्रेजों और बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच लड़ा गया था. यह युद्ध भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है. क्योंकि इस युद्ध के बाद ही अंग्रेज भारत में अपना शासन स्थापित करने में सफल हो सका. अंग्रेजों का बंगाल पर शुरुआत से ही नजर था ,इसका कारण यह था कि बंगाल की भूमि काफी उपजाऊ थी और अंग्रेज वहां से अधिक धन कमाना चाहता था. जिसके कारण किसी भी कीमत पर अंग्रेजों ने बंगाल पर अपना शासन व्यवस्था स्थापित करना चाहता था.

अंग्रेजों ने बंगाल पर अपना अधिकार प्राप्त करने के लिए सबसे पहले सिराजुद्दौला के सभी दुश्मनों को अपने पक्ष में मिला लिया। साथ ही अंग्रेजों ने बंगाल के नवाब के सेनापति मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाने का लालच दिया और उसे अपने पक्ष में मिला लिया. यह माना जाता है कि अंग्रेज सेनापति रॉबर्ट क्लाइव और नवाब के सेनापति मीर जाफर के बीच एक संधि हुई थी। इस संधि के अनुसार यदि मीर जाफर अंग्रेजों का साथ देगा तो उन्हें बंगाल का नवाब बनाया जाएगा.

प्लासी के युद्ध के क्या कारण है समझाइए – Plasi Ka Yuddh Kyon Hua

तोस्तो इस लेख में Plasi Ka Yuddh के कारण जानेंगे जो अति महत्वपूर्ण है. आपके एग्जाम में यह भी प्रश्न पूछा जा सकता है की प्लासी युद्ध के कारण लिखिए. तो चलिए इस युद्ध के कारण पढ़ लेते है.

  • अंग्रेजों द्वारा कोलकाता की किलेबंदी
  • काली कोठरी की दुर्घटना
  • अंग्रेजों द्वारा व्यापारिक सुविधाओ का दुरुपयोग
  • अंग्रेजो के द्वारा सिराजुद्दौला के विरुद्ध षड्यंत्र
  • प्लासी युद्ध की घटनाएं

अंग्रेजों द्वारा कोलकाता की किलेबंदी

Plasi Ka Yuddh का मुख्य कारण अंग्रेजों द्वारा कोलकाता की किलेबंदी करना था. सिराजुद्दौला ने अंग्रेजों को किलेबंदी करने से रोकने के लिए कहा, लेकिन अंग्रेजों ने उनके आदेश को नहीं माना और किलेबंदी के कार्य को जारी रखा. जिसके बाद सिराजुद्दौला ने कोलकाता पर आक्रमण कर दिया और कासिम बाजार सहित अंग्रेजों के कारखानों पर अपना अधिकार कर लिया.

इस समय किले की सुरक्षा की जिम्मेदारी हॉलवेल को दिया को दिया गया था और अन्य सभी अंग्रेज अधिकारी भाग गए थे. जिसके बाद नवाब ने 1756 ईस्वी में फोर्ट विलियम किले पर अपना अधिकार कर लिया था तथा अन्य अंग्रेज व्यापारियों को गिरफ्तार कर लिया गया.

काली कोठरी की दुर्घटना

जब सिराजुद्दौला ने अंग्रेजों के फोर्ट विलियम किले को जीत लिया, उसके बाद जो अंग्रेज व्यापारियों तथा अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था. उन्हें एक छोटी सी कोठरी में लगभग 146 अंग्रेज कैदियों को बंद कर दिया गया. एक छोटी सी कोठरी में अधिक लोगों को बंद किया गया था जिसके कारण 146 में से 123 व्यक्तियों का दम घुटने से मारे गये.

इनमें से केवल 23 व्यक्ति ही जीवित बचे थे। इस दुर्घटना को ब्लैक होल या काली कोटरी की दुर्घटना के नाम से जाना जाता है. जब इस दुर्घटना के बारे में अंग्रेजों को पता चला तो वह काफी क्रोधित हुआ और सिराजुद्दौला से बदला लेना चाहता था.

अंग्रेजों द्वारा व्यापारिक सुविधाओ का दुरुपयोग

अंग्रेजों द्वारा व्यापारिक सुविधाओ का दुरुपयोग:-अंग्रेजों ने मुगल सम्राट फर्रूखसियर से बीना कर (टैक्स) दिए व्यापार करने का का अधिकार प्राप्त कर लिया था. लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी के कर्मचारियों ने इसका दुरुपयोग करना शुरू कर दिया था। उन्हें केवल व्यापार की छूट मिली थी लेकिन अंग्रेजों ने दस्तक प्रणाली को लागू करा दिया था. जिसके पास दस्तक (freepass) होता था उन्हीं को ही केवल व्यापार के लिए छूट दिया जाता था.

ऐसे में अंग्रेजों ने पानी विदेशी व्यापारियों को अपना दस्तक कुछ कीमत लेकर बेच देता था और अंग्रेज कर्मचारी दस्तक खो जाने को कह कर दोबारा से बना लेता था। इससे यह हुआ कि विदेशी व्यापारी मुफ्त में व्यापार कर लेता था जिससे नवाब को आय में काफी कमी आई. नवाब को जब इसके बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने दस्तक प्रणाली पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसके कारण से भी अंग्रेजों और नवाब के बीच युद्ध हुआ.

अंग्रेजो के द्वारा सिराजुद्दौला के विरुद्ध षड्यंत्र

अंग्रेजों ने सिराजुद्दोला को बंगाल से हटाने के लिए षड्यंत्र रचा और नवाब के सेनापति मीर जाफर को अपने पक्ष में मिला लिया। मीर जाफर बंगाल का नवाब बनने का सपना बहुत पहले से देख रहा था लेकिन सिराजुद्दौला के होते हुए वह नवाब नहीं बन सकता था। जिसके कारण अंग्रेजों ने गुप्त रूप से मीर जाफर के साथ संधि कर लिया. इस संधि में अंग्रेजों ने मीर जाफर से कहा कि यदि सिराजुद्दौला के विरुद्ध युद्ध में वह अंग्रेजों का साथ देगा तो उन्हें बंगाल का नवाब बना देगा

साथ ही मीर जाफर ने अंग्रेजों को कुछ धन और व्यापारिक छूट भी देने की बात कही. यानी मीर जाफर ने इस युद्ध के छतिपूर्ति के लिए अंग्रेजों को एक करोड ₹17 लाख रुपैया देने की बात कही. इसके अतिरिक्त मीर जाफर ने अंग्रेजों से कोलकाता कासिम बाजार की किलेबंदी के अनुमति देने के लिए भी वादा किया. इस संधि के द्वारा मीर जाफर को यह भी कहा गया था कि यदि भविष्य में कभी भी तुम्हें सैनिक सहायता कि आवश्यकता पड़ेगी तो उन्हें सैनिक सहायता भी दिया जाएगा लेकिन सैनिकों का खर्च देना पड़ेगा.

प्लासी युद्ध की घटनाएं

23 जून 1757 ईस्वी में रॉबर्ट क्लाइव ने सिराजुद्दौला के विरुद्ध षड्यंत्र रचकर Plasi Ka Yuddh की पृष्ठभूमि तैयार किया था. अंग्रेजों ने युद्ध करने के लिए अलीनगर की संधि का झूठा आरोप नवाब पर लगाया. सिराजुद्दौला को इस बात की उत्तर देने से पहले अपनी सेना को लेकर युद्ध करने निकल पड़ा. जिसके बाद 22 जून 1757 ईस्वी में प्लासी पहुंची. 23 जून 1757 को नवाब के सेना और अंग्रेजों की सेना के बीच मुठभेड़ हुई, नवाब की ओर से मीर जाफर तथा रायदुर्लभ के नेतृत्व में एक विशाल सेना चुपचाप खड़ी रही, सिर्फ मोहनलाल की एक छोटी सी सैनिक टुकड़िया लड़ रही थी.

 नवाब के सेना मीर जाफर के दगाबाजी के कारण अंग्रेजों से पराजित हो गया। जिसके बाद सिराजुद्दौला मैदान छोड़कर भाग गया और मुर्शिदाबाद जा पहुंचा लेकिन मीर जाफर के पुत्र ने उसकी हत्या कर दी.

सिराजुद्दौला की हार का मुख्य कारण क्या था – Plasi Ka Yuddh Ki Sirajuddaula Ke Karan

सिराजुद्दौला की हार का मुख्य कारण

इस लेख में हम देखेंगे Plasi Ka Yuddh के नबाव के पराजय के क्या-क्या कारण थे. सिराजुद्दौला की क्या कारण रहा इस लेख में पूरा व्विस्तर से जानेंगे.

  • नबाव का चरित्र एवं नेतृत्व क्षमता की कमी
  • नबाव के सहयोगियों द्वारा विश्वास घात
  • क्लाइन की सफल कूटनीति
  • मीर मदान की मृत्यु
  • नवाब की युद्ध सामाग्री का सही नहीं होना

नबाव का चरित्र एवं नेतृत्व क्षमता की कमी

वास्तव में नवाब मैं कुछ व्यक्तित्व दुर्बलताए थी और इन दुर्बलताओ के कारण वह अपने जो सहयोगी लोग थे उनके में विश्वास या उनके जो कमिया थी उनको दूर ना कर पाया यदि उसमे लीडर सिप्त की क्षमता होती तो समय रहते जो अपने विरोधी थे उनको आसानी से खत्म कर देता और जो लोग उनसे ना खुश थे उनको अपने साथ कर सकता था.

नबाव के सहयोगियों द्वारा विश्वास घात

नवाब के सहयोगीयों द्वारा विश्वासघात सिराजुद्दौला के लिए नवाब की गद्दी काटो की सेल्स के सम्मान थी. जब उसने गद्दी संभाली तो उसके चारों तरफ सहयोगियों की बजाय उसने विश्वासघाती लोग प्राप्त हुई और इन विश्वास घाटियों को खत्म करने में उसने अपने अधिकांश ऊर्जा लगा दी इस कारण अंग्रेजो का आसानी से इनके राज्यो में हस्ताक्षीर हो गया.

क्लाइन की सफल कूटनीति

क्लाइव एक अच्छा कूटनीतिज्ञ था इस कारण उसने नवाव के विरोधियों को आसानी से अपनी तरफ मिलाकर, नबाव की शक्ति व आत्म-विश्वास को कमजोर करने में सफल रहा.

मीर मदान की मृत्यु

उनका जो सेनापति था जिनके तरफ यह लड़ रहा था. मीर मदान और मोहन सिंह के नेतृत्व वाली केवल दो मीरजाफर के सेना पतियों ने युद्ध लड़ा बाकि जो सभी सेना पति है वह सतर्क रहते हैं उनमें में भी एक सेनापति मीर मदान जो वीरता के साथ युद्ध कर रहा थे. उसकी प्लासी का युद्ध में देहांत हो गई.

नवाब की युद्ध सामाग्री का सही नहीं होना

क्योंकि ईस्ट इंडिया कंपनी के यूरोप के अंदर औधोगिक क्रांति हो चुकी व पुर्नजागरण हो चुका था इस लिए उनका युद्ध सामग्री हथियार अति आधुनिक थे सिराजुद्दौला के साधारण हथियार वाले सामना नहीं कर पाए इसी कारण नवाब की 50,000 की सेना थी. वह 3200 अंग्रेजी सेना का सामना नहीं कर पाए.

इसे भी पढ़े: हल्दीघाटी युद्ध का इतिहास

प्लासी युद्ध के परिणामों का वर्णन करें – 1757 Ka Yudh

अब इस लेख में यह बताने वाले है की Plasi Ka Yuddh जो हुआ था इसका मुख्य परिणाम क्या-क्या है पूरा विस्त्तर से जानते है भारतीय इतिहास के अंन्तर्गत प्लासी का युद्ध बहुत इम्पोर्टेंट है तो चलीए इस लेख को शुरू करते है.

  • बंगाल पर अंग्रेजी नियंत्रण की स्थापना
  • कम्पनी को क्षेत्रीय लाभ
  • कंपनी के गौरव में वृध्दि
  • भारत विजय का मार्ग प्रशस्त
  • बंगाल का शोषण

बंगाल पर अंग्रेजी नियंत्रण की स्थापना

प्लासी के युध्द के बाद बंगाल की सत्ता पर अंग्रेजों का वास्तविक आधिपत्य हो गया. मीरजाफर बंगाल का नया नवाब बना. वह अंग्रेजो की कृपा से गद्दी पे बेठा था. जब बाद में कम्पनी ने मीर कासिम को नवाब बनाया तो मीरजाफर ने गद्दी छोड़ दी. अत: प्लासी अब कंपनी के लिए एक व्यापर बन चूका था, जिसने कंपनी को धनवान बना दिया.

कम्पनी को क्षेत्रीय लाभ

कंपनी को बंगाल, बिहार और उड़ीसा में स्वतन्त्र रूप से व्यापर करने की छुट मिल गई. कलकत्ता के निकट चौबीस परगनों की जमींदारी भी उसे मिल गई. अत: कलकत्ता स्थित अंग्रेजों की बस्ती काफी समृध्द हो गई. जिससे इनके व्यापर में भी वृद्धि हुई.

कंपनी के गौरव में वृध्दि

Plasi Ka Yuddh ने कंपनी के गौरव में वृद्धि की. अब ब्रिटिश कम्पनी एक साधारण व्यापारिक एक ऐसी प्रभावशाली शक्ति बन गई, जो शासकों का निर्माण एवं विनाश कर सकती थी. यही कारण था की अब विभिन्न भारतीय शासक तथा नागरिक, कंपनी का आदर करने लगे.

भारत विजय का मार्ग प्रशस्त.

Plasi Ka Yuddh की विजय से अंग्रेजों को पर्याप्त अनुभव एवं शक्ति प्राप्त हुई. अतः इससे उत्साहित होकर वे भारत के अन्य भागों पर भी अधिकार करने का सपना देखने लगे. अंग्रेजों को अब इस बात का ज्ञान हो गया था, की सिराजुद्दौला के समान ही अन्य भारतीय शासकों पर विजय प्राप्त करना कठिन नहीं है.

बंगाल का शोषण

प्लासी का युद्ध के बाद कंपनी ने भारतीय अधिकारीयों को निर्देश दे दिया की, बंगाल को भविष्य में मुम्बई और मद्रास प्रेसिडेंसियों का खर्च वहन करना चाहिए. इसके अतिरिक्त, उन्हें यह भी आदेश दिया गया की, बंगाल की आमदनी से ही कंपनी के भारतीय निर्यातित मालों को खरीदना चाहिए. अब कंपनी भारत में केवल व्यापर ही नहीं कर रही थी, बल्कि बंगाल से प्राप्त धन का इस्तेमाल अपनी शैनिक शक्ति बढाने में भी करने लगी.

प्लासी के युद्ध का महत्व – Plasi Ka Yuddh Aur Uske Prabhav

फ्रेंड अब बताने वाले है Plasi Ka Yuddh के प्रभाव और महत्त्व जो बहुत ज्यादा बार एग्जाम में पूछे जाने वाला प्रश्न है. इस लेख में मै आपको प्लासी के युद्ध का महत्व के बारे में पूरा इतिहास जानेंगे तो चलिए इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते है.

  • राजनैतिक महत्व
  • आर्थिक महत्व
  • सैनिक महत्व
  • नैतिक महत्व

राजनैतिक महत्व

अंग्रेज कम्पनी के स्वरूप में परिवर्तन:- अंग्रेज कंपनी पहले एक व्यापारिक कंपनी थी. लेकिन Plasi Ka Yuddh की विजय के पश्चात बंगाल पर उसका प्रभुत्व स्थापित हो गया था, इस कारण कंपनी एक राजनैतिक शक्ति बन गई थी.

बंगाल में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना:- चूँकि बंगाल का नवाव अंग्रेजों की इच्छा से बनाया गया था, अब वह अंग्रेजों का कठपुतली नबाब था, अब वह ना मात्र का नबाव रह गया था. इस प्रकार यह संभावना हो गयी थी कि भारत में बंगाल में प्रथम ब्रिटिश सामाज्य की स्थापना बहुत जल्दी हो जायेंगी.

बंगाल के राजनैतिक परिदृश्य में बदलाव:- पहले जहाँ बंगाल के नवाव स्वतंत्र शासक होती थे लेकिन युद्ध के पश्चात् उनकी स्थिति आश्रित शासक की भांति हो गयी. अब नबाव अंग्रेजों की इच्छा के अनुसार बदले जाने लगे, बंगाल में पहले फ्रांसीसियों की स्थिति नबाब के पक्ष में होती थी, लेकिन अंग्रेजों के द्वारा फ्रांसीसियों को भी हरा दिया गया. इस कारण नबाब के समर्थकों की शक्ति काफी कम हो गयी। नवाब काफी कमजोर हो गये.

आर्थिक महत्व

कंपनी इस समय भारत में वित्तीय संकट का सामना कर रही थी लेकिन जब मीर-जीफर को नबाव बनाने का आसवान दिया, तो बदले में अंग्रेजों को बड़ी मात्रा में पुरस्कार, घूस, रिसव, भेंट प्राप्त हुई । इस कारण कंपनी का आर्थिक संकट दूर हो गया। बंगाल में ऐसी लूट शुरू हुई, जिससे भारत के सबसे धनी प्रदेश को सबसे निर्धन प्रदेश बना दिया.

बंगाल के व्यापार पर अंग्रेजों से नबाव से विभिन्न रियायतें प्राप्त करके एकाधिकार स्थापित कर लिया. पान-सुपारी, तम्बाकू इन वस्तु के व्यापार पर शीघ्र ही अंग्रेजो का एकाधिकार हो गया. यहाँ से प्राप्त धन के द्वारा दक्षिण भारत के कर्नाटक और हैदराबाद राज्यों को जीतने में सफलता मिलि। क्योंकि द. भारत में कंपनी इस समय वित्तीय संकट का सामना कर रही थी.

कंपनी को इंग्लैण्ड से बुलियन धातुओं को लाने की मजबूरी खत्म हो गयी क्योंकि बंगाल से बड़ी मात्रा में धूस और लूट के माध्यम से बड़ी मात्रा में सोना-चाँदी पैसा प्राप्त हुआ था जिस के कारण ये लोग बंगाल से वस्तु खरीदते थे. यहाँ से प्राप्त सोने-चांदी से चीन और इंग्लैण्ड में निवेश किया, जिसकारण इंग्लैण में औद्योगिक क्रांति को गति मिली तथा चीन के साथ कंपनी का व्यापार बड़ा. चूँकि इस लूट में कम्पनी के कर्मचारीयों को भी बड़ी मात्रा में धनी राशि प्राप्त हुई थी. जिसकी सहायता से उन्होंने निजी व्यापार शुरू किया

सैनिक महत्व

इस प्लासी का युद्ध में दोनों सेनाओं के मध्य झड़प हुयी थी जिस के आधार पर अंग्रेजों की सैनिक सहा श्रेष्ठता का निर्धारण नहीं हुआ था, क्योंकि यह विजय सैनिक शक्ति के बजाय, विश्वासघात और सेनिक षड़यंत्र के माध्य से विजय प्राप्त की. अत: अभी भी सैनिक दृष्टि से मौन श्रेष्ठ है इस का निर्धारण शेष रह गया था, और इसका निर्धारण बक्सर के युद्ध में हुआ.

इस Plasi Ka Yuddh के माध्यम से नवाव की सेनाओं का खोखलापन उजागर हो गया मीर-जाफर जब नबाव बना तो उसने सील हट (असम) का चूना-पत्थर वाला इलाका आधा अंग्रेजों को सौंफ दिया। जीस कारण भविष्य में अंग्रेजों का तोफ खाना मजबूत हो गया.

नैतिक महत्व

इस Plasi Ka Yuddh में नैतिक दृष्टि से देखा जाये, तो दोनों तरफों द्वारा अपने साध्य को प्राप्त करने के लिए अनुचित साधन अपनाया गया। जहाँ अंग्रेजों के द्वारा अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए पुरस्कार, धूस, लूट को माध्य बनाया. वही बंगाल के लोगों ने अपने उद्देश्य प्राप्त करने के लिए अपने स्वामी से विश्वास घात अपनाया.

FAQ (प्लासी का युद्ध 1757 से सम्बन्धित कुछ सवालो का जवाब)

यह लेख आधुनिक भारत का इतिहास के अंतर्गत Plasi Ka Yuddh सबसे ज्यादा बार पूछे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण सवाल देखेंगे और आपके द्वारा पूछे गए सवालों का उत्तर देंगे.

प्लासी के कितने युद्ध हुए थे?

भारतीय इतिहास के अंतर्गत प्लासी का यह युद्ध कापी महत्वपूर्ण यह युद्ध भारत के भूमि पर केवल एक बार हुए है.

प्लासी का युद्ध किसने जीता था?

इस युद्ध में रॉबर्ट क्लाइव औरन बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के मध्य लड़ा गया था यह युद्ध जिसमे सिराजुद्दौला की हार होती है और प्लासी का युद्ध में रॉबर्ट क्लाइव का जीत होती है.

प्लासी के युद्ध के कारण क्या थे?

प्लासी युद्ध के कई कारण है. जैसे में सिराजुद्दौला के विरुद्ध षड्यंत्र व सिराजुद्दौला के हार के कारण और आर्थिक, राजनैतिक, प्लासी युद्ध की घाटना इत्यादि यह सभी कारण हमने इस लेख मी पूरा विस्तार से बताया है. अगर आप विस्तार से जानना चाहते हाई तो जाकर इस ब्लॉग पर जाकर देख स्सकते है.

प्लासी का युद्ध कहाँ लड़ा गया था?

प्लासी युद्ध की घाटना 1757 ई० को अंग्रेजों और बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बिच बंगाल में लड़ा गया था.

प्लासी का युद्ध कब हुआ था ?

प्लासी का युद्ध 23 जून को 1757 ई० को हुआ था.

निष्कर्स

इस Plasi Ka Yuddh के कारण व परिणाम हार के क्या कारण थे. प्लासी युद्ध की घाटना क्या थी इस सारे पॉइंट को इस लेख में निष्कर्स क्या- क्या हुए है. इस लेख में याही चीज पढने वाले है.

वास्तव में इस युद्ध की सहायता से भारत में अंग्रेज कंपनी राजनैतिक शक्ति बन गयी तथा भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना का मार्ग खुल गया था. इस मार्ग पर चलकर अंग्रेजों ने बंगाल के आर्थिक संसाधनों तथा व्यापारिक साधनों पर एकाधिकार कर लिया.

यही से प्राप्त धन से एक तरफ इंग्लैण्ड में औद्योगिक विकास को गति मिली और वही दुसरी तरफ दक्षिण भारत में अंग्रेजो को पैर जमाने में बड़ी सहायता प्राप्त हुई. अतः कहा जा सकता है कि आधुनिक भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण बिंदु था जहाँ से हम गुलामी में परवेश किया.

आधुनिक भारत के इतिहास के अंतर्गत प्लासी के युद्ध क बारे में पूरा विस्तार से जान चुके है.

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