दोस्तों इस लेख में पढने वाने है Chanderi Ka Yudh जो आप के सभी परीक्षाओ के लिए अति महत्वपूर्ण रहेगा. इतिहास से सम्बन्धित अति महत्वपूर्ण प्रश्न है Chanderi Ka Yudh जो अधिकतम बार पूछा गया है. यह प्रश्न चन्देरी का युद्ध इस युद्ध में यह पढने वाले है जो आपको पूरा विस्स्तर से एक-एक कर के पढने वाले है.
इस लेख में चंदेरी का युद्ध कब हुआ और क्यों व इसका कारण क्या-क्या था और इसका परिणाम क्या था. इस लेख में यह भी देखने वाले है Chanderi Ka Yudh का किले के बारे में इस किला का रहस्य क्या है और यह किला का इतिहास क्या-क्या है. तो चलिए अब इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते है.
- चंदेरी का इतिहास का घटनाओं
- चंदेरी का युद्ध क्यों हुआ
- चंदेरी का युद्ध किस किसके मध्य लड़ा गया
- बाबर ने युद्ध किस तरह जीता
- मेदनी राय कौन थे
- चंदेरी के किले का इतिहास
- रानी मणिमाला चंदेरी का युद्ध का जौहर
- अंत में क्या पढ़ा
चंदेरी का इतिहास का घटनाओं – Chanderi Ka Yudh Kaha Hua Tha
प्रिय स्टूडेंट अब इस लेख में पढने वाले है. Chanderi Ka Yudh पूरा इतिहास घटनाक्रम इस युद्ध में यभी जानेंगे की यह युद्ध क्यों हुआ था. यह चंदेरी का युद्ध किस-किस के मध्य लड़ा गया और यह युद्ध कब हुआ था.
1528 ईसवी Chanderi Ka Yudh मुगलो और स्वराजपुतो राजपूतों के मध्य बाबर व मेदिनी राय के मध्य लड़ा गया था. इस युद्ध में एक हिस्सा बाबर का सेना की थी और दूसरा हिस्सा राजा मेदनी राय सेना का था.भारत ने कभी किसी पर आक्रमण नही किया लेकिन किसी ने भी भारत की तरफ आँख उठाकर देखा तो भारत ने उसको छमा भी नही किया खानवा के युद्ध में राणा सांगा को हराने के बाद बाबर की नजर चंदेरी पर थी.
उसने चंदेरी की तात्कालीन राजपूत राजा से वहाँ के महत्वपुर्ण किला माँगा और बदले में अपने जीते हुए कई किलो में से कोई भी एक किला देने की पेशकश की लेकिन चंदेरी के राजा मेदनी राय ने किला देने के लिए तैयार नही थे. उसने सोचा की मेरा किला इतना ऊँचाई पर है और चारो तरफ खाड़ियों से घिड़ा है. बाबर की सेना यहां तक पहुँचने में असफल हो गई. बाबर ने कई प्रकार मेदनी रॉय से सन्धि करना चाहिए लेकिन मेदनी राय ने इनका कर दिया.
तब बाबर ने सम्पूर्ण अपने पूरा सेना के साथ मिलकर चंदेरी पर आक्रमण कर दिया यह किला जितना इतना आसान नहीं था. चंदेरी का किला चारों तरफ खाड़ियों से घिरा था. बाबर की सेना में हाथी टोपे और भारी हथियार थे जिन्हें लेकर पहाड़ियों के पार लेकर जाना अत्यन दुष्कर्म था और पहाड़ियों से नीचे उतरते ही बाबर चंदेरी के राजा मेदनी रॉय के फ़ौज का सामना करना पर जाता लेकिन बाबर अपने निर्णय पर खड़ा था. उसने एक ही रात में अपने सेना के साथ मिलकर पहाड़ियों को काट दिया.
और एक ऐसा दरार यानि की निशान बना डाली जिसमे पूरी सेना के सामान ठीक किले के पास पहुँच गए. प्रातः जब मेदनी राय ने बाबर की पूरी सेना को अपने सामने देखा तो वह हैरान हो गए लेकिन वीर राजपूत ने हार ना मानी और अपने कुछ सैनिकों के साथ बाबर की सेना से मुकाबला करने लगे और Chanderi Ka Yudh में मेदनी राय की हार हुई.
किले में सुक्षित रानी व स्त्रियों ने स्वयं आक्रमणकारियों सेना से अपमानित होने से बचाने के लिए जोहर किया राजपूतो के स्वर और रानियों के जोहर से अविश्वसनीय प्रदर्शन से बाबर इतना बौखला गया की उसने इस किले को विखण्ड करा दिया और इस किला का कभी उपयोग नही किया और रास्ता टूटे किले के प्राचीन से दिखता है.
जिसे बाबर रातो रात को काटकर बनाया था और उसे आज कटी घाटी के नाम से जाना जाता है. यह किला वर्तमान में मध्य प्रदेश के राज्य के अशोक नगर के जिले में चंदेरी में स्थित चंदेरी किला बेतवा नदी के दक्षिण व पक्षिम में स्थित है. चंदेरी का उलेख महाभारत काल में मिलता है.
शिशुपाल महाभारत काल के चंदेरी के राजा थे. वर्तमान चंदेरी साड़ियों के लोए प्रसिद्ध है चंदेरी का युद्ध में हार के बाद मेदनी राय ने बाबर की अधीनता स्वीकार कर ली और अपने दोनों पुत्रियों का विवाह कामरान और हुमायूं से करा दिया.
चंदेरी का युद्ध किस किसके मध्य लड़ा गया:- चंदेरी का युद्ध मेदनी राय और बाबर के बीच 29 जनवरी 1528 ईसवी को मध्य युद्ध लड़ा गया था
चंदेरी का युद्ध क्यों हुआ
अब इस लेख में पढने वाले है Chanderi Ka Yudh जो अति महत्वपूर्ण है. इस लेख में यह भी पढ़ेंगे चंदेरी का यूद्ध क्यों हुआ था. चंदेरी युद्ध का कारण क्या था. जो आपके परीक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण है. इस युद्ध से सम्बंधित प्रश्न आपके एग्जाम में पूछा जा सकता है. अगर आप किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है तो यह ल्र्ख आपके लिए है. इस लेख को पूरा अंत तक पढ़े.
चंदेरी का युद्ध क्यों हुआ:- बाबर चंदेरी पर अधिकार करना चाहता था क्योंकि चंदेरी पर अधिकार हो जाने से वह गंगा यमुना के दोआब और राजपूताने पर दृष्टि रख सकता था तथा उसे मालवा से पर्याप्त रण सामंती प्राप्त होने की आशा थी.
बाबर लगातार जबसे उसे मुगल साम्राज्य का स्थापना की थी.
सबसे पहले पानीपत का प्रथम युद्ध लड़ा और वहाँ पर विजय प्राप्त करने के बाद उसने मुगल साम्राज्य की स्थापना कर दी भारत में उसके बाद खानवा का युद्ध लड़ा और खानवा का युद्ध लड़ने के बाद वह चंदेरी पहुंच गया ताकि चंदेरी से वहे गंगा यमुना के किनारे दोआब क्षेत पर दृष्टि रख सके. 1528 ईसवी को Chanderi Ka Yudh हुआ.
बाबर ने यह चंदेरी का युद्ध किस तरह जीता
स्टूडेंट अब इस लेख में आपको Chanderi Ka Yudh बाबर ने इस युद्ध में किस तरह जीत लिया था चंदेरी का किला.
बाबर ने युद्ध किस तरह जीता:- बाबर स्थानीय मुसलमानों का सहयोग प्राप्त करने के लिए उसने इस युद्ध को भी जेहाद का बाना पहना दिया. यह युद्ध धर्म के नाम से लड़ा गया और इस युद्ध में मेदिनी राय की पराजय हुई और बाबर ने चंदेरी का युद्ध जीत लिया
मेदनी राय कौन थे
प्रिय स्टूडेंट अब इस लेख में इस Chanderi Ka Yudh में मेदनी राय की पराजय हुई और यह मेदनी राय कौन थे. और वह कहाँ के राजा थे. इस लेख में मेदनी राय के बारे में पूरा विस्तार से पढने वाले है.
मेदनी राय कौन थे:- मेदनी राय राणा सांगा के सरदार थे.लेफ्टिनेंट के रूप में जाने जाते थे जो बाबर के साथ Chanderi Ka Yudh लड़ा था इन्होंने जो लोडी शासक था यहां पर उसको भी हराया था. मेदनी राय एक प्रशिद्ध सेना नायक थे. जो राणा सांगा के ही एक सरदार हुआ करते थे. यह माना जाता है कि बाबर को भारत में आने के लिए जो युद्ध लड़ा था वह लड़ा था. 1526 ईसवी को पानीपत का प्रथम युद्ध और भारत में बाबर का सत्ता स्थापित करने के लिए खानवा का युद्ध माना जाता है.
चंदेरी के किले का इतिहास
प्रिय स्टूडेंट अब इस लेख में हम आपको बताने वाले है Chanderi Ka Yudh जहाँ पर हुआ था और उस किला के बारे में पूरा इतिहास के बारे में पढने वाले है. इस किला का इतिहास को पूरा अंत तक पढ़े.
चंदेरी के किले का इतिहास:- यह किला मध्य प्रदेश के अशोक नगर जिले में स्थित है. यह चंदेरी का किला एक ऐतिहासिक नगर है. मालवा और बुंदेलखंड के सीमा पर बसा यह नगर शिवपुर से 127 किलोमीटर ललितपुर से 37 किलोमीटर इंसानगढ़ लगभग 45 किलोमीटर दूर पर स्थित है. यह किला बेतवा नदी के पास बसा चंदेरी का किला जो पहाड़ीयो झारियो से चारो तरफ से गिरा एक शांत नगर है. चंदेरी का किला बुंदेल राजपूतों व मालवा के सुल्तानों द्वारा यह चंदेरी का किला बनवाई गई.
बहुत इमारते यहाँ पर देखी जा सकती है. इस इतिहासिक नगर का उल्लेख महाभारत में भी मिलता है.11वीं शताब्दी में यह नगर सैनिक केंद्र व प्रमुख व्यापारिक मार्गो से होकर यह नगर गुजरता था. चंदेरी का चित्तौड़ के राणा सांगा ने सुल्तान महबूब खिजली चित्तौड़ से जीतकर अपने अधिकार कर लिया था.
लगभग 1527 ईस्वी में मेदनी राय राजा ने अवध को छोड़कर सभी प्रदेश पर मुगल शासन बाबर स्थापित हो चुका था. तब चंदेरी पर अपना शासन स्थापित की और कुछ समय बाद शेर शाह सूरी ने इसे आक्रमण कर के इस किले को अपने अधिकार कर लिया. चंदेरी का किला चंदेरी का सबसे प्रमुख सुंदर और आकर्षक चंदेरी का किला है.
यह चंदेरी का किला बुंदेल राजपूत राजाओं द्वारा बनाया गया चंदेरी का किला है और यह सबसे विशाल चंदेरी का किला है. इस किला का मुख्य दरवाजा को खूनी दरवाजा के नाम से प्रसिद्ध है और खूनी दरवाजा के नाम से जाना जाता है. यह किला पहाड़ी के एक चोटी पर बना है. पहाड़ी से चोटी नगर से 71 किमी मीटर ऊंचाई पर चंदेरी का किला स्थित है. और Chanderi Ka Yudh यही पर हुई थी.
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रानी मणिमाला चंदेरी का युद्ध का जौहर:-
अब इस लेख में पढ़ने वाले हैं महारानी मणिमाला का जौहर के बारे में जो Chanderi Ka Yudh के के समय मणिमाला जौहर दिवस 1528 ईस्वी को हुआ था. यह लेख मणिमाला के बारे में बताने वाला हूँ जो हर छत्रिय व हर राजपूत और आप सभी को यह एतिहासिक जानकारी जानना चाहिए चलिए अब इस लेख को पूरा पढ़ते हैं.
Chanderi Ka Yudh के समय किले में महारानी मणिमाला समेत सुरक्षित रानियों ने आक्रमणकारी सेना से बचने के लिए राजपूत रानियों ने स्वयं को बचने के लिए अपने आप को चिता के हवाले कर दिया. बाबर और उनके सेना किले के अंदर पहुंची तो उसके हाथ कुछ भी ना आया और बाबर बौखला गया और चंदेरी का जौहर सबसे विशाल जौहर माना जाता है.
FAQ (चंदेरी का इतिहास (1528 ई०) से सम्बन्धित कुछ सवालो का जवाब)
अब इस लेख में आपको बताने वाले है Chanderi Ka Yudh से सम्बन्धित कुछ आपके द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब के बारे में जानेंगे और इस Chanderi Ka Yudh के बारे में कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर देखेंगे जो आपके लिए अति महत्वपूर्ण रहेगा.
चंदेरी के युद्ध में किसकी जीत हुई?
चंदेरी के राजा का क्या नाम था?
अंत में क्या पढ़ा
चंदेरी का किला मध्यप्रदेश के राज्य में अशोक नगर में स्थित है इतिहास में चंदेरी का युद्ध 1528 ईसवी में मेदनी राय राजा और बाबर के मध्य लड़ा गया था. इस युद्ध में बाबर की विजय हुई और मेदिनी राय राजा की हार हो जाती है और उसके बाद राजपूत रानियों ने जौहर कर लिया.