अलाउद्दीन खिलजी की प्रशासनिक व्यवस्था क्या है -Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar (1290-1320ई०)

प्रिय स्टूडेंट अब इस लेख में खिजली वंश से सम्बन्धित Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar के बारे में पढ़ेंगे जो आपके एग्जाम के लिए आती महत्वपूर्ण है. खिजली वंश का इतिहास के अलाउद्दीन खिलजी की राजस्व व्यवस्था के सुधारो के बारे में इस टॉपिक को एक-एक कर के पढने वाले है. इस लेख को पूरा अंत तक पढ़े.

  • अलाउद्दीन खिलजी के प्रशासनिक सुधार
  • अलाउद्दीन खिलजी की राजस्व व्यवस्था
  • अंत में क्या पढ़ा

अलाउद्दीन खिलजी के प्रशासनिक सुधार का वर्णन कीजिए-Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar

अब इस लेख में आपको Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar के बारे में पढने वाले है. इस प्रशासनिक सुधार का वर्णन करने वाले है जो सबसे ज्यदा बार एग्जाम में पूछा गया था. तो चलिए इस Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar के बारे में पूरा अंत तक पढ़ते है.

अलाउद्दीन खिलजी के प्रशासनिक सुधार:-अलाउद्दीन खिलजी प्रतिभा सम्पन्न एवं सबसे योग्य प्रशासक था. उसने अपने शासनकाल में कई महत्वपूर्ण अनेको सुधार भी किये है. उसके बाद के शासकों ने जिसका अनुसरण किया था. बाजार पर नियंत्रण उसकी नवीन योजना थी की जिसका भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान है. उसने सारे प्रशासन में शक्ति और कार्यकुशलता में वृद्धि की गई थी. अलाउद्दीन खिलजी ने सम्पूर्ण प्रशासन पर भी उसके शक्तिशाली व्यक्तित्व का भी प्रभाव भी देखा जा सकता है.

अलाउद्दीन खिलजी की राजस्व व्यवस्था क्या-क्या है

अब इस लेख में पढने वाले ही है Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar और अलाउद्दीन खिलजी के प्रशासनिक एवं राजस्व संबंन्धी सुधार के बारे में पढने वाले है. जो आपके एग्जाम के लिए अति महत्वपूर्ण है. अलाउद्दीन ने राजस्व नीति में कई सुधार किये जो निम्नलिखित हैं-

  • मुस्लिम माफीदार वर्ग
  • हिन्दू जमींदार वर्ग
  • राजस्व संग्रहण में सुधार
  • भू-राजस्व में वृद्धि
  • वेतन में वृद्धि
  • दीवान-ए-मुस्तखराज
  • अतिरिक्त कर
  • जजिया
  • पशुओं पर जकात समाप्त करना
  • जागीरों की समाप्ति

मुस्लिम माफीदार वर्ग

1.मुस्लिम माफीदार वर्ग:- राजस्व में भी वृद्धि करने के लिए अलाउद्दीन खिजली ने सभी प्रकार के माफी जमीनों जैसे इनाम, इद्वारात, वक्फ, मिल्क, मक्रूज को निरस्त कर दिया गया था. ये माफी की यह जमीनें पूर्ववर्ती सुल्तानों ने केवल जो पूर्ववर्ती ने मुसलमानों के लिए यह जमीनों को प्रदान की थीं. यह Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar और राजस्व नीति भी है.

हिन्दू जमींदार वर्ग

2.हिन्दू जमींदार वर्ग:- सुल्तान ने इसी प्रकार की Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar व राजस्व नीति को हिन्दू माफीदार वर्ग पर भी लागू की थी. यह जमींदार वर्ग राजस्व अधिकारी भी थे. इनके भ्रष्टाचारी जीवन से सुल्तान परिचित था. सुल्तान ने भी अपनी राज्य की आय में भी वृद्धि करने के लिए ग्रामीण जैसे क्षेत्रों में उनकी शक्ति को ख़त्म करने के उद्देश्य से भी उनकी माफी की भूमियों पर भूमि कर को लागु किया गया था.

राजस्व संग्रहण में सुधार

3.राजस्व संग्रहण में सुधार:- अलाउद्दीन खिजली ने जानता था कि उपज का आधा भाग लेने से भू-राजस्व में कृषक वर्ग पर काफी भार पड़ेगा. इसलिए अलाउदीन खिजली ने कृषकों को उचित न्याय देने का प्रयास किया गया था. इसके लिए उसने भूमि की पैमाइश आरम्भ की थी. जिससे केवल उचित लगान ही किसान से वसूल ही किया जाये. दूसरे सुधार पटवारियों के रिकॉर्ड (बही) की जाँच करने की परम्परा भी आरम्भ की थी.

भू-राजस्व में वृद्धि

4.भू-राजस्व में वृद्धि:- राजकोष को शराब बन्दी की नीति से सबसे ज्यादा काफी राजस्व की हानि हुई थी. इसके अलावा एक बड़ी शक्तिशाली सेना की मंगोलों के आक्रमण कर दिया था. आन्तरिक विद्रोहों के दमन तथा साम्राज्य विस्तार के लिए यह भी आवश्यकता थी. अतः भूमि कर को बढ़ाकर उपज का आधा भाग कर दिया गया था.

वेतन में वृद्धि

5.वेतन में वृद्धि:- राजस्व विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को अलाउद्दीन समाप्त करना चाहता था. उसने इस बुराई को दूर करने के लिए राजस्व अधिकारियों का वेतन को भी बढ़ा दियागया था. इस पर भी जिन अधिकारियों ने भी भ्रष्टाचार नहीं छोड़ा था उसको कड़ी से कड़ी अलाउद्दीन ने उन्हें कठोर दण्ड दिया था.

दीवान-ए-मुस्तखराज

6.दीवान-ए-मुस्तखराज:- अलाउदीन Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar और राजस्व निति राजस्व विभाग का सबसे बड़ा दोष यह था कि भू-राजस्व का बकाया पड़ा रहता था. सुल्तान ने एक विशेष दीवान-ए-मुस्तखराज की स्थापना भी इस समस्या को हल करने के लिए की थी. राजस्व अधिकारियों के प्रति उसने कठोर नीति के द्वारा यह विभाग बकाया राशि को भी वसूली करता था.

अतिरिक्त कर

7.अतिरिक्त कर:- अलाउद्दीन ने Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar और राजस्व में वृद्धि करने के लिए भी दो नये कर-घरी अर्थात् गृह कर और चरी अर्थात् चराई कर लगाये थे. उसने गृह कर में तो काई छूट नहीं दी लेकिन चरी कर में कुछ छूट दी थी. उसने दो बैल, दो भैंस, दो गाय और दस बकरियों को करों से मुक्त कर दिया गया था. इससे उन किसानों को राहत भी मिली जो इन पशुओं को अपने परिवारों के लिए रखते थे.

जजिया

8.जजिया:- हिन्दुओं से जजिया लिया जाता था और राजस्व का एक मुख्य स्रोत यह था. यह भी कहना गलत नहीं होगा की जो करों के भारी बोझ से वह हिन्दुओं को उन्होंने दरिद्र बनाना चाहता था. किसान और बहुसंख्यक राजस्व अधिकारी हिन्दू भी थे.

पशुओं पर जकात समाप्त करना

9.पशुओं पर जकात समाप्त करना:- जो व्यापारी पशुओं का व्यापार करते थे और बड़ी संख्या में पशु पालते थे. उन पर भी चराई का बोझ बढ़ गया था. इस भार को कम करने के लिए पशुओं पर जकात समाप्त कर दी थी.

जागीरों की समाप्ति

10.जागीरों की समाप्ति:- अलाउद्दीन ने Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar और राजस्व निति को अपने सैनिकों को वेतन नकद रूप में दिया किया था. उसने वेतन के बदले भूमि देने की प्रथा बन्द कर दी थी. अब भूमि पर भी राजस्व को संग्रह करके शाही खजाने में जमा किया गया था.

सैनिकों को खजाने से जो नकदी के रूप में वेतन दिया जाता था. अलाउद्दीन खिजली की कर प्रणाली की जियाउद्दीन बरनी ने कटु आलोचना भी की है. यह सत्य है कि करों के बोझ में अलाउद्दीन ने काफी वृद्धि कर दी थी और सभी वर्गों पर इसका भार पड़ा दिया था. इस वृद्धि का भी औचित्य यह था कि यह वृद्धि विदेशी आक्रमण से बजने यानि की सुरक्षा के लिए तथा आन्तरिक शान्ति स्थापित करने के लिए भी आवश्यक थी. यह सभी वर्गों को यह उत्तरदायित्व वहन करना था. Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar के यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है.

खिलजी और तुगलक के तहत सैन्य, प्रशासनिक और आर्थिक सुधार

सैनिक सुधार:- अलाउद्दीन Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar के साम्राज्य का आधार उसकी सैनिक शक्ति भी थी. उसने भी सैनिक शक्ति के द्वारा ही अपने ही राज्य सिंहासन प्राप्त किया था और वह राजपद को भी अपने सैनिक शक्ति के द्वारा ही सुरक्षित कर रखा था. उसने एक विशाल तथा शक्तिशाली सेना को संगठित करने के कई अनेको से अन्य कारण भी है.


(i) मंगोलों के आक्रमण लगातार हो रहे थे जिनसे दिल्ली की सुरक्षा संकट में पड़ गई थी.
(ii) यह सुल्तान साम्राज्य का भी एक विस्तार करने के पक्ष में भी था.
(iii) साम्राज्य की आन्तरिक सुरक्षा के लिए भी उन्होंने एक विशाल शक्तिशाली सेना आवश्यक पड़ी थी.
(iv) सैनिक शक्ति सुल्तान की अनियंत्रित शक्ति का आधार थी जिसके बल पर वह विभिन्न वर्गो को नियंत्रण में रख सकता था.

  • स्थायी सेना
  • हुलिया
  • दाग प्रणाली
  • नकद वेतन
  • बाजार नियंत्रण मुद्रा
  • दुर्गों का निर्माण व मरम्मत

स्थायी सेना

1.स्थायी सेना:- इस Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar ने स्थायी सेना का निर्माण किया जो उसके प्रत्यक्ष नियंत्रण में थी. वह एक योग्य सेनापति भी था और सीधे अपने नियंत्रण में यह सेना को वह रखना चाहता था. इसके लिए सेना मंत्री (आरिज-ए-मुमालिक) सैनिकों की भर्ती करता था और उन्हें नकद वेतन दिया करता था.

हुलिया

2.हुलिया:- उसकी योग्यता के अनुसार ही सभी प्रत्येक सैनिको को भी भर्ती किया जाता था और उसे पद भी दिया जाता था. जो सैनिकों की भर्ती का भी निरीक्षण सुल्तान ही करता था. भर्ती किये गये सैनिकों के हुलिया का रिकॉर्ड रखा जाता था. आरिज के दफ्तर में भी यह रिकॉर्ड रखा ही जाता था. प्रत्येक Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar सैनिक को इस सुधार से स्वयं उपस्थित होना अनिवार्य हो गया और दूसरे को वह अपने स्थान पर नहीं भेज सकते थे.

दाग प्रणाली

3.दाग प्रणाली:- सेना में घुड़सवार सेना का बहुत बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान था और सेना की कुशलता उसी पर ही निर्भर रहती थी. घुड़सवार सेना को कुशल बनाने के लिए सुल्तान ने उत्तम घोड़े मँगवाये, साथ ही राज्य में घोड़ों की नस्ल सुधारने का प्रयास भी किया गया था. सैनिक अच्छे घोड़े रखें, इसके लिए घोड़ों को दागने की प्रथा प्रचलित की गई थी. व इस खिजली वंश में Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar भी किए गए थे.

नकद वेतन

4.नकद वेतन:- वेतन के रूप में घुड़सवार सैनिक को 234 टंका प्रति वर्ष निश्चित कर दिया था. एक अतिरिक्त घोड़ा रखने पर उसे 78 टंक प्रतिवर्ष अतिरिक्त मिलता था. सैनिक को कोषालय से सैनिकों को भी वेतन दिया ही जाता था. सम्भवतः पैदल सैनिकों को 156 टंका प्रति वर्ष दिया जाता था और उन्हें भी नकद वेतन दिया जाता था.

बाजार नियंत्रण मुद्रा

5.बाजार नियंत्रण मुद्रा:- स्फीति हो जाने के कारण बाजार में वस्तुओं के भी दाम बढ़ रहे थे. लेकिन सैनिकों को भी वेतन बढ़ाने के लिए अलाउद्दीन तैयार नहीं किया था. वह भी इसी वेतन पर ही सैनिकों को रखने के लिए भी कृत संकल्प ही था. अतः उसने मूल्यों में वृद्धि को रोकने के लिए बाजार नियंत्रण लागू किया. इस Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar भी हुए है.

दुर्गों का निर्माण व मरम्मत

6.दुर्गों का निर्माण व मरम्मत:- मंगोलों के आक्रमण को रोकने के लिए सीमा पर नये दुर्गों का निर्माण कराया गया तथा पुराने दुर्गों की मरम्मत कराई थी. इनमें योग्य सैनिकों की नियुक्ति की गई थी. उनके लिए यह पर्याप्त शस्त्र, खाद्यान्न इत्यादि भी राखी जाती था. दशमलव प्रणाली पर सेना का संगठन किया गया था जी सबसे छोटी इकाई दस सैनिकों की थी. इसके बाद सौ, हजार की इकाइयाँ भी थीं. दस हजार से अधिक सैनिकों की भी इकाई ‘तुमन’ कहलाती थी. इस Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar भी इस टॉपिक के महत्वपूर्ण है.

इसे भी पढ़े: अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण व्यवस्था

FAQ (Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar से सम्बन्धित कुछ सवालो का जवाब)

प्रिय स्टूडेंट अब इस लेख में पढने वाले है Alauddin Khilji Ke Prashasnik Sudhar से सम्बंधित अति महत्वपूर्ण प्रश्न. यह प्रश आपके द्वारा पूछा गया है. अब इस लेख में इस प्रश्न का उत्तर देखेंगे जो अति महत्वपूर्ण है तो चलिए इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते है.

अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधार क्या थे?

आर्थिक सुधार:- अलाउद्दीन खिजली ने आर्थिक क्षेत्र में भी क्रान्तिकारी की अनेको सुधार किये है. बाजार में वस्तुओं के मूल्यों में वृद्धि को रोकने के लिए उसने जो उपाय किये उसे बाजार नियन्त्रण कहा जाता है.

अलाउद्दीन खिलजी की नीतियां क्या हैं?

अलाउद्दीन खिलजी की कई नीतिया भी थी. जैसे गला मंडी, बाजार नीतिया, प्रशाशनिक, निर्माण, इत्यादि अलाउद्दीन खिलजी की नीतियां है.

अंत में क्या पढ़ा

अलाउद्दीन खिलजी की प्रशाशनिक व आर्थिक सुधार क्या-क्या थे. जो अलाउद्दीन खिलजी ने प्रशासनिक व्यवस्था की और आर्थिक सुधार लाया. खिजली ने तमन जैसे सैनिक, बाजार मण्डी, इत्यादि जैसे व्यवस्था को सुधार किया था.

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