अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण व्यवस्था- Alauddin Khilji Ki Bazar Niti(1296-1316ई०)

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  • अलाउद्दीन खिलजी की बाजार व्यवस्था
  • वस्तुओं का मूल्य निर्धारण
  • व्यापारियों का पंजीकरण
  • सरकारी गोदामों का निर्माण
  • राशन की व्यवस्था
  • खाद्यान्न संग्रह पर रोक
  • कपड़ा व्यापारियों को ऋण
  • बहुमूल्य वस्तुओं के लिये अनुमति-पत्र
  • बाजार के कर्मचारी
  • अलाउद्दीन खिलजी का परिणाम
  • अंत में क्या पढ़ा

यह बाजार नियंत्रण सिद्धांत लागू किया गया:- Alauddin Khilji Ki Bazar Niti

अब इस लेख में आपको Alauddin Khilji Ki Bazar Niti की विशेषताएं के बारे में पूरा एक-एक कर के पढने वाले है. यह लेख आपके लिए अति महत्वपूर्ण है जो एस लेख में आपको बाजार नियंत्रण नीति की विशेषताएं के बारे में बढ़ाया गया है. अब इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते है.

अलाउद्दीन खिलजी की बाजार व्यवस्था

अलाउद्दीन खिलजी की बाजार व्यवस्था:- अलाउद्दीन Alauddin Khilji Ki Bazar Niti एक मौलिक प्रयोग था. अलाउद्दीन खिलजी जो समाज के हित में उठाया गया सबसे प्रभावशाली कदम साबित हुआ था. सम्पूर्ण मध्यकाल में इन्हों ने अपने राज्य के लिए बहुत कुछ करना चाहता था. वही एकमात्र सुल्तान है जिसने प्रशासन के आर्थिक पक्ष को महत्व देते हुए संगठित प्रयास किया था और इतिहासकार बरनी ने इस व्यवस्था की प्रशंसा की है.

वस्तुओं का मूल्य निर्धारण

वस्तुओं का मूल्य निर्धारण:- अलाउद्दीन ने दैनिक उपभोग की वस्तुओं की कीमतें अत्यन्त सावधानी से निर्धारित की थीं. बरनी के अनुसार कुछ वस्तुओं के मूल्य निम्न प्रकार थे.
खाद्यान्न भाव
गेहूँ 7 जीतल प्रति मन
जौ 4 जीतल प्रति मन
चावल 5 जीतल प्रति मन
नमक 5 जीतल प्रति 2½ मन

इसी प्रकार वस्त्रों, पशुओं, दास-दासियों और प्रतिदिन प्रयोग में आने वाली सभी तरह के वस्तुओं के मूल्य निर्धारण कर दिये थे. अच्छी नस्ल का घोड़ा 100 से 120 टंक में और साधारण घोड़ा 65 टंक में मिल जाता था. गल्ला मण्डी में भावों की स्थिरता Alauddin Khilji Ki Bazar Niti की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, बरनी के अनुसार जब तक अलाउद्दीन जीवित रहा इन मूल्यों में तनिक भी वृद्धि नहीं हुई थी.

व्यापारियों का पंजीकरण

व्यापारियों का पंजीकरण:- साम्राज्य के सभी भागों के व्यापारियों को अपना नाम दीवाने – रियासत में दर्ज कराना पड़ता था. इन्हें शहना-ए-मण्डी के नियन्त्रण में रहना पड़ता था. उनसे लिखित प्रतिज्ञा पत्र लिया जाता था कि वे ठीक समय पर निर्धारित मूल्य पर सामान को बेचा करते थे.

सरकारी गोदामों का निर्माण

सरकारी गोदामों का निर्माण:- आपातकाल में अकाल के समय अन्न के अभाव को दूर करने के लिये सरकारी गोदामों का निर्माण किया गया. सुल्तान ने आदेश दे रखा था कि दोआब और खालसा भूमि से भूमिकर अनाज के रूप में वसूल किया जाये. इस अनाज का दिल्ली के सरकारी गोदामों में संग्रह किया जाता था.

राशन की व्यवस्था

राशन की व्यवस्था:- इनमे से यह भी Alauddin Khilji Ki Bazar Niti भी एक है जो अकाल के समय में राशन की भी व्यवस्था कर दी जाती थी. प्रत्येक-परिवार के लोगो को लगभग 6 किग्रा अनाज प्रतिदिन दिया जाता था. इससे दिल्ली निवासी आपातकाल के भय से मुक्त हो गये थे.

खाद्यान्न संग्रह पर रोक

खाद्यान्न संग्रह पर रोक:- दिल्ली व उसके आस-पास के प्रदेशों में आदेश लागू किया गया कि कोई भी परिवार दस मन से अधिक अनाज का संग्रह नहीं कर सकता था.

खाद्यान्न संग्रह पर रोक

कपड़ा व्यापारियों को ऋण:- कपड़े के व्यापार पर भी सरकारी नियन्त्रण लागू किया गया था. कपड़ा व्यापार मुल्तानी व्यापारियों को सौंपा गया था. उन्हें सरकारी खजाने से ऋण दिया जाता था ताकि ये अन्य स्थानों से सामान खरीदकर निर्धारित दरों पर सराय अदल में बेच सकते थे. इस कपड़ा व्यापारियों भी इस Alauddin Khilji Ki Bazar Niti में भी सामिल है.

बहुमूल्य वस्तुओं के लिये अनुमति-पत्र

बहुमूल्य वस्तुओं के लिये अनुमति-पत्र:- दिल्ली से कम दर पर उत्तम वस्त्र खरीदकर बाहर अधिक मूल्य पर न बेचा जाये. इसके अमीर-उमरा को आदेश दिया गया गया कि वे दीवाने रियासत से अनुमति पत्र प्राप्त कर ले.

बाजार के कर्मचारी

बाजार के कर्मचारी:- बाजार तथा मूल्य निर्धारण के लिये एक अलग विभाग दीवाने रियासत की स्थापना की गयी थी. गल्ला बाजार और अन्य बाजार इसी के नियन्त्रण में थे. प्रत्येक बाजार में तीन उच्च अधिकारी (1) शहना-ए-मण्डी (2) बरीद और (3) मनहियन होते थे. Alauddin Khilji Ki Bazar Niti ये तीनों अलग-अलग सुल्तान को अपनी सूचनायें भेजते थे.

अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नियंत्रण व्यवस्था या परिणाम क्या-क्या है

प्रिय स्टूडेंट अब इस लेख में हम लोग पढने वाले है Alauddin Khilji Ki Bazar Niti के परिणाम के बारे में जो महत्वपूर्ण है. इस टॉपिक से आपके एग्जाम में प्रश्न पूछे जाते है जो अति महत्वपूर्ण है. अगर आप किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी कर रहे है तो यह लेख आप के लिए है. इस लेख को पूरा अंत तक पढ़े.

अलाउद्दीन की Alauddin Khilji Ki Bazar Niti या आर्थिक सुधारों के परिणाम अलाउद्दीन – के आर्थिक सुधारों से निम्नलिखित अच्छे परिणाम (लाभ) हुये.

1.आवश्यक वस्तुओं के भाव कम होने के कारण वह कम वेतन पर एक विशा. स्थायी सेना रख सकेगा. जिसकी शक्ति से अपने राज्य में आन्तरिक विद्रोहों का दमन किया. शान्ति तथा व्यवस्था की स्थापना की मंगोलों के आक्रमण का अन्त किया गया है. अपने साम्राज्य का बहुत विस्तार किया है.

2.सुल्तान के अनाज संग्रह तथा राशन व्यवस्था से लोगों को अकाल के भय से मुक्ति मिल गयी. इसके अतिरिक्त आवश्यक वस्तुयें सस्ती और आसानी से मिल सकती थीं. इसमें जन-जीवन सुखी हो गया, पर अलाउद्दीन के सुधारों के निम्न दुष्परिणाम भी निकले थे.
(i) सुल्तान द्वारा लगाये गये अधिक करों से प्रजा दरिद्र हो गयी. हिन्दुओं की स्थिति तो अत्यन्त दयनीय हो गयी क्योंकि उन्हें मुसलमानों की अपेक्षा अधिक कर देने पड़ते थे.

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FAQ (Alauddin Khilji Ki Bazar Niti(1296-1316ई०) से सम्बन्धित कुछ सवालो का जवाब)

अब इस लेख में सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक Alauddin Khilji Ki Bazar Niti से सम्बन्धित आपके द्वारा पूछे गए सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न है. इस प्रश्न का इस लेख में उत्तर देखने वाले है जो आप सभी तरह के एग्जाम के लिए महत्वपूर्ण गई.

अलाउद्दीन खिलजी की बाजार नीति क्या थी?

अलाउद्दीन खिजली शासक व था जो बाजार व्यवस्था की प्रचलित रहा है. आखिर इसने क्या किया था कि जो बदलाव बाजार क्यवस्था को लेकर चलिए जानते हैं.उसने बाजार व्यवस्था को लेकर सबसे महत्वपूर्ण काम किया था वह किया था कि सैनिकों को लेकर उसने सोचा था कि सैनिकों के लिए एक अलग से बाजार की व्यवस्था किया जाए और उचित दाम पर सब्जियां मिल जाए. ताकि सैनिक अपनी वेतन बढ़ाने की मांग ना करे यह रही बाजार नीतियाँ.

बाजार नियंत्रण नीति क्या थी?

देखिए बाजार नियंत्रण पणाली लाने का यह मुख्य मुख्य कारण था.सैनिकों की संतुष्टि सैनिकों की संस्तुति के लिए बाजार नियंत्रण पणाली लाया था.

अंत में क्या पढ़ा

इस लेख में अब Alauddin Khilji Ki Bazar Niti से सम्बन्धित महत्वपूर्ण टॉपिक पर चर्चा यानि को जानने वाले है. इस ले में क्या-क्या पढ़ा है और इसकी क्या निष्कर्ष है. अब चलिए जान लेते है.

निष्कर्ष:- अलाउद्दीन की बाजार संबंधी नियम उसकी मृत्यु के साथ समाप्त हो गए थे. परन्तु इससे अनेको लाभ भी अवश्य प्राप्त हुए थे. बरनी हमें बतलाता है कि इन नियमों के सहारे अलाउद्दीन ने एक विशाल सवार सेना खड़ी की जिसके बलबूते उसने बाद के मंगोल हमलो को भारी नरसंहार करके नाकाम कर दिया और उनको सिधुं नदी के पार खदेड़ दिया गया था. अलाउद्दीन खिजली के मालगुजारी संबंधी अनेको सुधार देहाती जैसे क्षेत्रों के साथ-साथ अधिक से अधिक घनिष्ठ संबंध की भी स्थापित करने की ओर भी एक सबसे बड़ा महत्वपूर्ण कदम भी था. जो आगे चलकर इन सुधारों ने शेरशाह व अकबर के खेतिहर सुधारों के लिए आधार का काम किया गया था.

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