पुनर्जागरण का कारण एवं प्रभाव – Punarjagran Ke Karan(1453 ई०)

प्रिय स्टूडेंट इस लेख में Punarjagran Ke Karan को पूरा विस्तार से पढने वाले है. जो आपके आने वाले सभी तरह के एग्जाम के लिए अति महत्त्वपूर्ण रहेगा.

पुनर्जागरण क्या है: पुनर्जागरण यूरोप के इतिहास का एक महत्वपूर्ण घटना है जिसने मानव सभ्यता को नया दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यह अवधि गुज़री जब यूरोप में नए विचारों और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्यों का निर्माण हुआ और समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ.

साथ ही “Punarjagran Ke Karan” कई विषयों का अध्यन करने के बाद सबसे आसान व सरल भाषा में यह लेख लिख रहा हूँ. अब एक-एक टॉपिक को यूरोप में पुनर्जागरण के कुछ महत्वपूर्ण कारणों को विस्तार से पढने वाले है.

पुनर्जागरण के कारणों का वर्णन कीजिए – Punarjagran Ke Karan Kya The

अब इस लेख में Punarjagran Ke Karan को एक-एक कर के पूरा विस्तार से पढने वाले है. जो यूरोप में पुनर्जागरण निचे निम्नलिखित है.

  • कुस्तुनतुनिया का पतन (1453)
  • धर्मयुद्धों का प्रभाव
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
  • विज्ञान में नए खोज
  • नवीन भौगोलिक खोजों का प्रभाव
  • सामंतवाद का पतन
  • मानववादी दृष्टिकोण का विकास
  • औपनिवेशक विस्तार

कुस्तुनतुनिया का पतन (1453)

कुस्तुनतुनिया के पतन ने यूरोप में पुनर्जागरण के लिए महत्वपूर्ण प्रेरणा प्रदान की थी. सन 1453 में तुर्क सल्तनत ने कुस्तुनतुनिया जिसे हागिया सोफिया के रूप में भी जाना जाता है जो जीत लिया जिसका परिणामस्वरूप यूरोप में गड़बड़ हुई. तुर्कों के अत्याचारों से बचने के लिए ग्रीक विद्वान, साहित्यकार और कलाकार इटली में भाग गए, जहां उनके संपर्क ने पुनर्जागरण को बढ़ावा दिया। इससे यूरोप में ग्रीक और तुर्क सांस्कृतिक धरोहर का परिचय हुआ और नए विचारों का स्रोत बना.

धर्मयुद्धों का प्रभाव

मध्यकाल में, ईसाइयों और मुसलमानों के बीच धर्मिक संघर्ष और धर्मयुद्ध हुए। इससे यूरोप में सांस्कृतिक आदान-प्रदान हुआ और विचारों का समृद्धि और प्रसार हुआ. मुस्लिम विद्वानों के स्वतंत्र विचारों का प्रभाव ईसाइयों पर पड़ा, और अरबी गणित और विज्ञान के अद्वितीय विकास ने यूरोप में गणित और विज्ञान के क्षेत्र में नए दरबार खोले.

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ने भी पुनर्जागरण के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. यूरोपीय व्यापारी चीन, भारत और अन्य देशों में पहुंचने लगे थे जिससे यूरोप के अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली थी. यूरोपीय व्यापार का विकास हुआ और यूरोपीय राज्यों ने अपने सामरिक और आर्थिक शक्ति को बढ़ाया।.

विज्ञान में नए खोज

धन के एकत्र होने के कारण नए वैज्ञानिक अविष्कार किए गए और विज्ञान के क्षेत्र में नए सिद्धांत और तकनीकों का परिचय हुआ. कागज और मुद्रणालय के अविष्कार ने ज्ञान के प्रसार को बढ़ावा दिया क्योंकि लोगों के बीच जानकारी को सहज रूप से साझा करने का माध्यम उपलब्ध हुआ. यह नए विचारों की प्रसारण में मदद की और विज्ञान में नए खोजों की ओर मोड़ दिया, जो यूरोप के विकास को गति दी.

नवीन भौगोलिक खोजों का प्रभाव

नवीन भौगोलिक खोजें यूरोपीय समाज के लिए महत्वपूर्ण रहीं थी. यूरोपीय नौकायनों ने दुनिया के नए मार्गों की खोज की और उन्होंने अमेरिका, अफ्रीका, भारत और आस्ट्रेलिया जैसे देशों का पता लगाया. इससे व्यापार में वृद्धि हुई और यूरोपीय संस्कृति का प्रसार और प्रभाव नए स्थानों तक पहुंचा. यूरोप के धर्म और संस्कृति का इन नए क्षेत्रों में प्रसार हुआ जिससे विविधता और समृद्धि का माहौल बना.

सामंतवाद का पतन

सामंतवाद यूरोप में पुनर्जागरण के दौरान के लिए महत्वपूर्ण कारणों में से एक था. सामंतवाद के पतन ने लोगों को स्वतंत्र चिंतन करने के और विभिन्न क्षेत्रों में उद्योग, व्यापार, कला और साहित्य के विकास के लिए समुचित अवसर प्रदान किया. सामंतवाद के द्वारा नियंत्रित समाज के बदलते दृष्टिकोण ने नए विचारों की बढ़ती मांग को पूरा किया और यूरोप में सामाजिक परिवर्तन की ओर पहुँचाया.

मानववादी दृष्टिकोण का विकास

पुनर्जागरण के दौरान, यूरोप में मानववादी दृष्टिकोण का विकास हुआ. भौगोलिक खोजों ने दुनिया के अदूरे हिस्सों के साथ यूरोपीय संबंधों को बढ़ावा दिया और इसके परिणामस्वरूप यूरोप में आध्यात्मिक और धार्मिक प्रभावों का विकास हुआ. नवीनतम भौगोलिक ज्ञान ने लोगों को विश्व के विभिन्न कोनों का अन्वेषण करने की साहसी प्रेरणा प्रदान की, जिससे व्यापार, संगठन और आध्यात्मिक विचारों को बढ़ावा मिला.

औपनिवेशक विस्तार

पुनर्जागरण के कारण यूरोप में औपनिवेशिक साम्राज्य की स्थापना हुई जिससे यूरोपीय संस्कृति और सांस्कृतिक प्रसार नए आकार में हुआ. यूरोपीय साम्राज्य ने अपने बाहरी समृद्धि और संस्कृति को बाहरी देशों में प्रसारित किया और यूरोपीय विचारों को विश्व में प्रमोट किया. यह पुनर्जागरण की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी क्योंकि यूरोपीय संस्कृति और विचारधारा का अद्वितीय योगदान दुनिया के साथियों के साथ साझा किया गया था.

निष्कर्ष

इस तरह पुनर्जागरण ने यूरोप को नए दिशाओं में ले जाया जिससे यह एक महत्वपूर्ण धारा बन गया और मानव सभ्यता के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ बनाया. पुनर्जागरण ने यूरोप को नये सांस्कृतिक, आर्थिक और वैज्ञानिक सुधार की ओर बढ़ाया और इसने दुनिया भर में उद्यमिता, ज्ञान और सांस्कृतिक संप्रेरणा को बढ़ावा दिया.

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FAQs(Punarjagran Ke Karan)

प्रिय स्टूडेंट अब इस लेख में आपको Punarjagran Ke Karan से सम्बन्धित आपके द्वारा पूछा गया प्रश्नों का उत्तर देखने वाले है. अगर आपको और इससे सम्बन्धित सवाल पूछना है टी आप हमे कोमेंट के माध्यम से पूछ सकते है.

प्रश्न: पुनर्जागरण के मुख्य कारण क्या था?

1.विज्ञान और प्रौद्योगिकी की विकास: 18वीं और 19वीं सदी में यूरोप में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और औद्योगिक क्रियाकलापों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई. इससे उत्तराधिकारी और उपयुक्त औद्योगिक उत्पादन बढ़ा जिससे आर्थिक समृद्धि हुई और जनसंख्या बढ़ी
2.फ्रेंच और इंडस्ट्रियल क्रांति: फ्रेंच और इंडस्ट्रियल क्रांति के परिणामस्वरूप यूरोप में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तन हुआ. यह सामाजिक वर्गों के साथ साथ नए विचारों, साहित्य और कला की उत्थान की भी दिशा में हुआ जिससे पुनर्जागरण का महत्वपूर्ण कारक बना.

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