प्रिय स्टूडेंट इस लेख में भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक Savinay Avagya Andolan के बारे में पढने वाले है. इस आन्दोलन के क्या कारण व परिणाम थे. इस लेख में इस सारे टॉपिक को एक-एक कार के पूरा विस्तार से पढने वाले है. जो आपके आने वाले सभी प्रतियोगी व अन्य परीक्षाओ के लिए अति महत्वपूर्ण है. तो चलिए इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते है.
सविनय अवज्ञा आंदोलन किसने चलाया | महात्मा गाँधी जी |
सविनय अवज्ञा आंदोलन कब शुरु हुआ | 12 मार्च 1930 |
स्थान | साबरमती आश्रम |
यह आन्दोलन कब तक चलाया गया | 12 मार्च 1930 से 6 अप्रैल 1930 ई तक |
आंदोलन की शुरुआत | दांडी मार्च यात्रा से हुई थी |
- सविनय अवज्ञा आंदोलन
- कारण
- विस्तार (बिहार)
- कार्यक्रम व क्रियापद्धति
- प्रभाव
- उद्देश्य
- निष्कर्ष
सविनय अवज्ञा आंदोलन का वर्णन करें-Savinay Avagya Andolan Kab Hua
प्रिय विधार्थियों अब इस लेख में Savinay Avagya Andolan कब हुआ था और कारण क्या-क्या है. इस लेख में सविनय अवज्ञा आंदोलन का वर्णन करे. तो चलिए इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते है.
- सविनय अवज्ञा आंदोलन
- उद्देश्य क्या था
सविनय अवज्ञा आंदोलन
सविनय अवज्ञा आंदोलन:- 12 मार्च 1930 में साबरमती से गांधी के द्वारा अपने अनुयायियों के साथ ब्रिटिश सरकार के द्वारा आरोपित नमक कानून का उल्लंदान करने के लिए गुजरात में स्थित दांडी तक एक ऐतिहासिक यात्रा किया गया था. जिसे गाँधी का प्रसिद्ध दांडी मार्च भी कहा जाता है.
उद्देश्य क्या था
प्रश्न यह है कि गाँधि द्वारा प्रारंभ नमक सत्याग्र का उद्देश्य क्या था-: Dec 1929 में लाहौर में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वारा राष्ट्रीय आंदोलन का उद्देश्य “पूर्ण खराज” को घोषित किया गया था.
सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण एवं प्रभाव का वर्णन कीजिए
अब इस लेख में आपको ‘Savinay Avagya Andolan’ के कारण व प्रभाव क्या-क्या थे. यह टॉपिक निचे निम्नलिखित है तो चलिए अब इस लेख को पूरा एक-एक कर के अंत तक पढ़ते है.
- आंदोलन के कारण
- अवज्ञा आंदोलन का प्रभाव
- पृष्ठभूमि
आंदोलन के कारण
1.असहयोग आंदोलन के समाप्ति के बाद से ही गांधी जी और कांग्रेस के अन्य नेताओं के द्वारा अगले आंदोलन हेतु लोगों के बीच रचनात्मक कार्यक्रम के माध्यम से कांग्रेस के सामाजिक आधार को बढ़ाया जा रहा था.
2. ब्रिटिश सरकार के द्वारा समय से पूर्व 1919 के अधिनियम की समीक्षा हेतु, साइमन कमीशन का गठन किया गया था. जिसमें, सातौ सदस्य श्वेत अंग्रेज थे और जो कि ब्रिटिश सरकार की नस्लवादी स्वरुप को उजागर करता है. इससे भी भारतीय लोग असंतुष्ट थे.
3. 1928 में नेहरू कमीटी के द्वारा भारतीय लोगों की ओर से एक संविधान प्रस्तावित किया गया था. लेकिन वह भी असफल हो गया था यानि गतिरोध बना रहा.
4. 1929 में वैश्विक महामंदी के प्रभाव ने भारतीय लोगों की सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को बढ़ा दिया. जैसे में- करों में वृद्धि, महँगाई की समस्या. बेरोजगारी, लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इन समस्याओं के प्रति असवेंदनशीलता दिखलाई.
अवज्ञा आंदोलन का प्रभाव
1. पहली बार इस आंदोलन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज को अपना उद्देश्य घोषित किया था.
2. यह Savinay Avagya Andolan अपने पुर्वतीय असहयोग आंदोलन के सापेक्ष भौगोलिक और जनभागीदारी के स्तर पर काफी व्यापक रहा है.
3. इस आंदोलन में पहली बार महिलाओं की भूमिका काफी दिखी.
4. इस आंदोलन में पहली बार सरकार के द्वारा बनाए गए कानूनों को जानबुझ कर उल्लंघन करने का सुझान भी दिया गया.
पृष्ठभूमि
(a) इसी पृष्ठभूमि में Dec 1929 में लाहौर कांग्रेस अधिवेशन का आयोजन किया गया था. जिसमें यह कहा गया था की कांग्रेस आगामी आंदोलन में स्वराज्य के लिए नहीं, बल्कि ‘पूर्ण स्वराज’ के लिए संघर्ष करेगी.
(b) इस अधिवेशन में यह कहाँ गया की गाँधी जी को यह अधिकार दिया जाता है कि जब चाहे और जहाँ चाहे अपना Savinay Avagya Andolan शुरू कर सकते हैं. इसी पृष्ठभूमि में गांधी ने तत्कालिन ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड इरविनु के सामने 11 माँग पेश किए थे.
इस शर्त के साथ, यदि ब्रिटिश सरकार इन मांगों पर सहानुभूती के साथ विचार नहीं करती है तो उनके पास सविनय अवज्ञा आंदोलन के अतिखित दुसरा विकल्प नहीं है.
सविनय अवज्ञा आंदोलन की क्रियापद्धति और कार्यक्रम व नेतृत्व-
यह Savinay Avagya Andolan की क्रियापद्धति और कार्यक्रम व नेतृत्व सामाजिक आधार निचे निम्नलिखित है.
- क्रियापद्धति
- कार्यक्रम
- नेतृत्व
- सामाजिक आधार
क्रियापद्धति
क्रियापद्धति:- असहयोग आंदोलन की तरह सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी संघर्ष-निराम संहार्ष को गाँधी ने इस आंदोलन की क्रियापद्धति के रूप में स्वीकार किया. जिसमें साम्राज्यवादी सरकार का विरोध करते हुए भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन का लक्ष्य पुर्ण स्वराज तथा राष्ट्र का निर्माण करने का भाव निहित था.
कार्यक्रम
कार्यक्रम:- इस Savinay Avagya Andolan में गाँधी ने रचनात्मक एवं नकारात्मक दोनों कार्यक्रम को सम्मिलित किया है. जिसमें पिछले आंदोलन से अंतर यह था, कि इसमें गाँधी जी ने अपनी उग्रता का परिचय देते हुए जानबुझकर कानून को तोड़ने व सरकार को कर न देने का सिफारिश किया. क्योंकि उनके दृष्टि में ब्रिटिश सरकार के द्वारा शासन करने का आधार न्याय पर आधारित न होकर शोषण पर आधारित था.
नेतृत्व
नेतृत्व:- सविनय अवज्ञा आंदोलन को गांधी के द्वारा मुख्य रूप से नेतृत्व प्रदान किया- गया. लेकिन चूँकि कांग्रेस का वैचारिक आधार लोकतांत्रिक था अतः भारत के अन्य क्षेत्रों में इस आंदोलन के दौरान स्थानीय स्तर पर राष्ट्रवादी नेताओं के द्वारा महत्वपुर्ण भुमिका का निर्वाहन किया गया.
सामाजिक आधार
सामाजिक आधार:- इस में भी Savinay Avagya Andolan भागीदारी के स्तर पर एक अखिल भारतीय आन्दोलन था. जिसमें किसान, मजदुर, आदिवासी, शिक्षित वर्ग, भारतीय पुँजीपती वर्ग, छात्र, महिलाएँ सभी वर्गों का समन्वय था.
सविनय अवज्ञा आंदोलन का वर्णन विस्तार से लिखिए भारत में
1. चूँकि Savinay Avagya Andolan एक अखिल भारतीय आंदोलन था तो स स्वाभाविक है इसका भौगोलिक विस्तार पुरे भारत में हुआ. उत्तर- पश्चिम सिमांत क्षेत्र में खान अब्दुल गफ्फार खान (सीमांत गांधी) के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आंदोलन को जमीनी आधार प्राप्त हुई थी.
2. महाराष्ट्र के धरसना में एक नमक फैक्ट्री के सामने राष्ट्रवादी सरोजिनी नायडु, इमाम साहब और मणिलाल के नेतृत्व में नमक सत्याग्रह आदोलन चलाया गया था. जिनके उपर ब्रिटिश सरकार ने निष्ठुरता का परिचय देते हुए लाहियाँ चलवाई जिसका जिक्र अमेरीकी पत्रकार वेब मिलर ने किया है.
बिहार में सविनय अवज्ञा आंदोलन का विस्तार से समझाइए
गाँधीवादी Savinay Avagya Andolan ने बिहार में भी अपना व्यापक प्रभाव छोड़ा जी स्वाभाविक था. क्योंकि 1917 से ही बिहार राष्ट्रवादी धारा से जुड़ने लगा था अर्थात् गाँधी जी बिहार के लिए नवीन नहीं थे.
1920 में भी बिहार ने गाँधीवादी- असहयोग आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर परिभाषित कार्यक्रम, क्रियापद्धति के तहत ब्रिटिश सरकार का विरोध किया वहीं धारा 1930 में स्पष्ट रूप से मुखर हुई. जैसे में:-
1. सबसे प्रबल Savinay Avagya Andolan की धारा चम्पारण एवं सारण के क्षेत्र में दृष्टिगोचर हुई इसके साथ ही साथ बिहार के अन्य क्षेत्रों में भी इसका व्यापक विस्तार हुआ है. जैसे में- पटना में अम्बिका कांत सिंह के नेतृत्व में, जबकि दरभंगा में सत्यनारायण सिंह, भुजप्फरपुर में राम दयालु सिंह और जनकधारी प्रसाद के नेतृत्व में.
2. बिहार में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान सबसे अधिक सफलता विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार में दृष्टिगोचर होता है और इस संदर्भ में बिहार के महिलाओं की भागीदारी उल्लेखनीय है. जैसे में पटना में श्रीमति हसन इमाम स्वं. विंध्यवासिनी देवी के द्वारा विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार में स्थानीय महिलाओ की नेतृत्व प्रदान किया गया.
3. सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान बिहार में चौकीदारी कर रोको आंदोलन भी चलाया गया था जो कि गाँधीवादी आंदोलन का एक खास हिस्सा था. जिसमें सरकार को कर न देने की बात कही गयी थी. जब मार्च 1931 में गाँधी और इरवीन के बीच एक संधि होता है तो उसके बाद गाँधीवादी सविनय अवज्ञा आंदोलन- राष्ट्रीय स्तर के साथ ही साथ बिहार में भी स्थगित हो जाता हैं.
सविनय अवज्ञा आंदोलन की सीमाएँ
तो प्रिय स्टूडेंट अब इस लेख में सविनय अवज्ञा आंदोलन की सीमाएँ को पूरा विस्तार से पढने वाले है. जो इस Savinay Avagya Andolan के टॉपिक के अति महत्वपूर्ण प्रश्न है और यह आपके एग्जाम के लिए अति महत्वपूर्ण है.
(a) इस Savinay Avagya Andolan की सबसे पहली सीमा तो यह है कि इसमें असहयोग आंदोलन की तुलना में मुस्लिम समुदाय की भागीदारी घट गई थी. हलांकि भारत के सीमांत क्षेत्र में खान अब्दुल गफ्फार खाँ के अनुयायियों ने भाग लिया था.
(b) सविनय अवज्ञा आंदोलन में मजदूरों की भागीदारी भी कुछ सीमा तक घट गई. “क्योंकि मजदुर वर्ग समाजवादी विचारधारा से प्रभावित होकर अपने वर्गीय हितों- के आधार में संगठित होने लगे थे”.
इसे भी पढ़े:- टाना भगत आंदोलन
FAQ (सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण व प्रभाव से सम्बन्धित कुछ सवालो का जवाब)
अब इस लेख में Savinay Avagya Andolan से सम्बन्धित आपके द्वारा कुछ महत्वपूर्ण पूछे गए सवालों का उत्तर देखने वाले है. अगर आपके पास और कोई सवाल पूछना हो तो आप हमे कॉमेंट के माध्यम से पूछ सकते है. तो चलिए देख लेते है वह कौन-कौन सा सवाल है.
सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने का कारण क्या था?
मार्च 1930 ई. में गाँधी जी द्वारा भारत में Savinay Avagya Andolan शुरू किया गया. स्वतंत्रता की मांग को सही ढंग से रखने के लिए और ब्रिटिश सरकार पर दबाब बनाने के लिए गाँधी जी ने अपने नये हथियार सविनय अवज्ञा आन्दोलन का इस्तेमाल किया.
इस काल यानि की आन्दोलन में विश्वव्यापी आर्थिक मंदी जैसे कई अनेको प्रभाव था. आर्थिक संकट से सारी भारतीय जनता और ब्रिटिश पूँजीपति वर्ग में असंतोष फैला हुआ था. गाँधी जी ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए आन्दोलन की शुरूआत कर दी.
सविनय अवज्ञा आंदोलन कब और किसने शुरू किया?
महात्मा गाँधी ने 12 मार्च 1930 को अपने 78 सहयोगियों के साथ साबरमती आश्रम से 240 किलोमीटर दूर स्थित सहया दांडी तट पहुँचे और समुद्र जल से नमक बनाकर नमक कानून का उल्लंघन किया और सविनय अवज्ञा आन्दोलन की शुरूआत कर दी.
सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने का कारण क्या था?
इस Savinay Avagya Andolan शुरू करने के कई कारण थे. इस आन्दोलन में किसानों, महिलाओं, मजदूरों, आदि- वासियों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. सरकार ने जो आन्दोलन है यानि की इस सविनय अवज्ञा आंदोलन का क्रूरतापूर्वक दमन किया था.
हजारों की संख्या में कई अनेको आंदोलन-कारियों को जेल जाना पड़ा और उन सबको जेल में डाल दिया गया. सरकार भी महात्मा गाँधी जी और कांग्रेस के महत्व को समझने को बाध्य हुई थी. आन्दोलन को सिर्फ ताकत से नहीं दबाया जा सकता सरकार संवैधानिक सुधार के लिए तैयार हो गई.
सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत कैसे हुई इसके मुख्य बिंदुओं को स्पष्ट कीजिए?
महात्मा गाँधी जी के नेतृत्व मे यह Savinay Avagya Andolan की शुरूआत यानि की प्रारम्भ सन 1930 मे हुई थी. यह आंदोलन ब्रिट्रिश सरकार द्वारा लगाए गए नमक कर के विरुद्ध था. इसकी शुरुआत महात्मा गाँधी व 78 अन्य स्वयंसेवियों द्वारा साबरमती आश्रम से मार्च 1930 का एक नमक यात्रा के साथ प्रारंभ हुई जो 6 अप्रैल 1930 को दांडी के तट पर पहुँच कर नमक कानून को तोड़ने के साथ अंत हुई थी.
अंत में क्या-क्या पढ़ा
निष्कर्ष:- संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि भले ही Savinay Avagya Andolan अप घोषित उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल नहीं रहा है. लेकिन निः संदेह यह आन्दोलन ब्रिटिश साम्राज्यवाद के सापेक्ष भारतीय राष्ट्रवादी विचारधारा को एक मजबुत आधार प्रदान किया.