असहयोग आंदोलन के कारण और परिणाम का वर्णन करें -Asahyog Andolan in hindi (1920-22 ई०)

प्रिय स्टूडेंट इस लेख में आधुनिक भारत के इतिहास के अंतर्गत Asahyog Andolan का इतिहास को पढने वाले है. इस असहयोग आंदोलन के क्या-क्या कारण व परिणाम थे. इस लेख में सारे टॉपिक को एक-एक कर के पूरा इतिहास को पढने वाले है. जो आपके सभी प्रतियोगी परीक्षाओ व अन्य एग्जाम के लिए यह टॉपिक अति महत्वपूर्ण है. तो चलिए इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते है.

  • असहयोग आंदोलन की शुरुआत कब हुई
  • असहयोग आंदोलन का मुख्य कारण
  • बिहार में इसका प्रभाव
  • असहयोग आंदोलन की पृष्ठभुमि व कार्यक्रम
  • असहयोग आंदोलन के उद्देश्य
  • असहयोग आंदोलन कब समाप्त हुआ
  • अंत में क्या-क्या पढ़ा

असहयोग आंदोलन की शुरुआत कब हुई – Asahyog Andolan Kab Shuru Hua Tha

महात्मा गाँधी जी के नेतृत्व में सन 1920 ई० में Asahyog Andolan प्रारंभ हुआ था. भारतीयों को यह उम्मीद थी कि प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् उन्हें स्वशासन की सुविधाएं प्राप्त होंगीं. लेकिन कुछ ऐसी घटनाएं घटीं, जिससे भारतीयों को अंग्रेज़ों की न्यायप्रियता में विश्वास नहीं रहा तथा कांग्रेस को असहयोग आंदोलन प्रारंभ करना पड़ा.

गांधी जी का यह आंदोलन एक सामान्य आंदोलन था. 1920 में कलकत्ता में कांग्रेस के विशेष अधिवेशन तथा नागपुर में वर्ष के अंत में आयोजित अपने अधिवेशन में गांधी जी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन से संबंधित रणनीति को स्वीकार कर लिया गया.

असहयोग आंदोलन की विशेषताएं

इस Asahyog Andolan में कार्यक्रम चार चरणों में सम्पन्न होना तय हुआ. सरकारी उपाधियों का त्याग, सिविल सेवाओं, विधानसभाओं, न्यायालयों, शिक्षण संस्थानों, विदेशी माल का बहिष्कार तथा अंत में कर न देने संबंधी कार्यक्रम थे. इसके साथ ही अनेक रचनात्मक कार्यों पर भी जोर दिया गया. जैसे- स्व-अनुशासन, राष्ट्रीय शिक्षण संस्थाओं की स्थापना, अस्पृश्यता का अंत तथा खादी का प्रयोग.

सन 1920 में महात्मा गांधी ने केसर-ए-हिन्द की उपाधि लौटा दी. विधान परिषदों का बहिष्कार हुआ तथा सरकारी स्कूल व कॉलेजों को भारतीय विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने छोड़ दिया, अनेक भारतीयों ने सरकारी नौकरियां भी छोड़ दीं. राष्ट्रवादी भारतीयों ने जामिया मिलिया, गुजरात विद्यापीठ, बिहार विद्यापीठ तथा काशी विद्यापीठ जैसी शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की गयी.

इस Asahyog Andolan के दौरान लगभग 30,000 भारतीयों को जेल जाना पड़ा. प्रिंस ऑफ वेल्स के भारत पहुंचने के समय 17 नवम्बर, 1921 को सम्पूर्ण यानि की पूरा देश में हड़ताल का आयोजन किया गया था. इस आंदोलन के दौरान तिलक स्वराज कोष के लिए एक करोड़ रुपए की धनराशि एकत्रित करने का लक्ष्य रखा गया.

कांग्रेस ने यह भी कार्यक्रम बनाया कि एक करोड़ भारतीयों को कांग्रेस की सदस्यता दी जाए तथा बीस लाख चरखों को लगाकर विदेशी कपडे के स्थान पर खादी को महत्व दिया जाये. आंदोलन के दौरान ही मेवाड़ में बिजोलिया आंदोलन तथा भील आंदोलन प्रारंभ हो गए.

असहयोग आंदोलन के प्रमुख 6 कारणों का वर्णन कीजिए

(1) प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् भारत की आर्थिक दशा अत्यन्त दयनीय हो गयी थी, परन्तु ब्रिटिश सरकार ने अपनी कर वसूल करने की नीति में कोई परिवर्तन नहीं किया था. अतः किसानों व व्यापारियों में ब्रिटिश शासन के प्रति विरोध की भावना थी.

(2) ब्रिटिश सरकार ने प्रथम विश्वयुद्ध में भारतीयों का सहयोग प्राप्त करने के लिए अनेक आश्वासन दिये थे जिन्हें बाद में पूरा नहीं किया गया. परिणामस्वरूप भारतीयों में असन्तोष की भावना फैल गयी थी.

(3) ब्रिटिश सरकार ने रॉलेट एक्ट पारित करके जनता में व्यापक असन्तोष की भावना पैदा की.

(4) 13 अप्रैल, 1919 ई. में जलियाँवाला हत्याकाण्ड से भी ब्रिटिश शासन विरोधी भावनाओं को बढ़ावा मिला.

असहयोग आंदोलन के बिहार में इसका प्रभाव

इस बिहार में Asahyog Andolan के प्रभाव निम्नलिखित है.

  • उद्भव का कारण
  • असहयोग आंदोलन की पृष्ठभुमि व कार्यक्रम

उद्भव का कारण

सम 1920 में प्रारंभ Asahyog Andolan भारत में पहला अखिल भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन था. जो गांधी जी के नेतृत्व में शुरू हुआ और इस आंदोलन के कारणों पर प्रकाश डाला जाए तो तात्कालिक तौर पर दो विशेष कारण प्रतीत होते हैं.
1. खिलाफत का मुद्दा 2.जलियावाला बाग हत्याकांड
लेकिन इन दोनों के अलावे इस आंदोलन के पीछे और कई आर्थिक, सामाजिक कारण थे.


जैसे- (i) प्रथम विश्व युद्ध से जनित आर्थिक एवं सामाजिक समस्याएँ जैसे बढ़ती हुई महँगाई, आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त मात्रा में लोगों तक आपुर्ति न होना. लोगों पर बढ़ती हुई कई प्रकार की सरकारी करें तथा बेरोजगारी की समस्या इसके अलावे 1919 में ब्रिटिश सरकार के द्वारा भारत में उत्तर- दायी शासन हेतु पारित किया गया अधिनियम, जो कि लोगों की अपेक्षा के अनुरूप नहीं था.

असहयोग आंदोलन की पृष्ठभुमि व कार्यक्रम

1. सितम्बर 1990 ई० में कलकत्ता में कांग्रेस का एक विशेष अधिवेशन आयोजित हुआ, जिसमें गाँधी जी के द्वारा एक वर्ष में स्वराज्य देने वाला Asahyog Andolan के प्रस्ताव को पेश किया गया. जिसे कांग्रेस ने कुछ विरोध के बाद स्वीकार कर लिया.

2. दिसम्बर 1920 ई० में नागपुर में पुन: कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन आयोजित हुआ था. इस आयोजित में इस प्रस्ताव को पूरी तरह से स्वीकार यानि अपना लिया गया और इसे स्वीकार कर लिया गया.

कार्यक्रम

इसमें दो तरह के कार्यक्रम a व b निम्नलिखित है.

(a) रचनात्मक कार्यक्रम:- इसका उद्देश्य भारत में राजनैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक उत्थान करना था.(b) नकारात्मक कार्यक्रम:- इसका उद्देश्य था कि विरोध के द्वारा ब्रिटिश साम्राज्य के द्वारा होने वाले शोषण को रोकना और उसे निष्क्रिय करना था.
1. राष्ट्रीय स्कुल और महाविद्यालय स्थापित करना.1. विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करना.
2. हिन्दु-मुस्लिम एकता को बढ़ावा- देना.2. सरकारी स्कुल, कॉलेज, न्यायालय, उपाधि, दरबार पुरस्कार आदि का विरोध करना.
3. चरखा के द्वारा स्वदेशी विचार को बढ़ावा देना था.3. सरकार द्वारा स्थापित विधान सभाओं के मी बहिष्कार करना.
4. दलित, आदिवासी, महिलाएँ और स- माज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए कार्य करना.4. गाँधी द्वारा प्रतिपादित असहयोग के कार्यक्रम में किसानों द्वारा सरकार को दिया जाने वाला करों को रोकने का प्रस्ताव था. लेकिन इसे गाँधी जी ने Asahyog Andolan के दौरान लागू करने का सुझाव नहीं दिया था.

बिहार में असहयोग आंदोलन का विस्तार व मुख्य उद्देश्य

गाँधीवादी आंदोलन, जो गाँधीजी के द्वारा Asahyog Andolan के रूप में प्रारंभ- हुआ था, उसका बिहार पर भी व्यापक प्रभाव पड़ा, जो स्वाभाविक था, क्योंकि यह एक अखिल भारतीय आंदोलन था.

1. सन 1920 में भागलपुर में डॉ० राजेन्द्र प्रसाद के नेतृत्व में एक प्रांतीय राजनीतिक सम्मेलन का आयोजन किया गया था. जिसका मुख्य उद्देश्य था कि बिहार में अस हयोग आंदोलन की रूपरेखा को निर्धारित करना था.

इस आंदोलन के दौरान बिहार- के स्थानीय नेताओं ने मी गाँधी के द्वारा प्रतिपादित असहयोग आंदोलन से संबंधित कार्यक्रम एवं क्रियापद्धति के तहत महत्वपूर्ण भूमिका निभाया जैसे- राजेन्द्र प्रसाद मजहरूल हक जैसे नेताओं के द्वारा विधानसभा से अपनी उम्मीदवारी को वापस ले लिया गया.

2. इस Asahyog Andolan के दौरान बिहार में छात्रों के द्वारा सरकारी स्कूल और कॉलेज का बहिष्कार किया गया. जैसे में-
(i) मुहम्मद शेर के द्वारा पटना लॉ कॉलेज का बहिष्कार किया गया.
(ii) अब्दुल बारी एवं मुहम्मद शफी द्वारा B.N कॉलेज का बहिष्कार किया गया.
(iii) जनवरी 1921 में बिहार में एक राष्ट्रीय महाविद्यालय स्थापित हुआ, जिसका प्राचार्य राजेन्द्र बाबु को बनाया गया.

3. बिहार में एक राष्ट्रवादी मुस्लिम नेता मजहरुल हक के द्वारा पटना के समीप एक सदाकत आश्रम स्थापित किया गया. जो की बिहार में राष्ट्रवादी आंदोलन का केन्द्र बन गया. मजहरुल हक के द्वारा यहाँ से एक राष्ट्रवादी समाचार पत्र Motherland का भी प्रकाशन किया गया.
जिसका मुख्य उद्देश्य था.
(i) बिहार में लोगों के बीच राष्ट्रीय आंदोलन से संबंधित कार्यक्रम का प्रचार-प्रसार करना था.
(ii) बिहार में हिन्दू मुस्लिम एकता को बनाने में सहायता करना था.

4. असहयोग आंदोलन कब समाप्त हुआ:- नवम्बर 1920 में साहाबाद जनपद में स्थित डुमराँव में नशबंदी आंदोलन चलाय गया, जो कि गाँधीवादी Asahyog Andolan का एक खास भाग था.

फरवरी 1922 में गाँधी जी ने चौरी-चौरा में होने वाले हिंसा को लेकर Asahyog Andolan को समाप्त कर दिया और उसका परिणाम हुआ कि, बिहार सहित भारत के अन्य क्षेत्रों में भी असहयोग आंदोलन समाप्त हो गया था. लेकिन इस आंदोलन ने बिहार में स्वराज प्राप्त करने हेतु लोगों में राष्ट्रवादी चेतना के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया.

असहयोग आंदोलन की असफलता के कारण – Asahyog Andolan Kya Tha

लाला लाजपत राय की अध्यक्षता मे हुए कलकत्ता अधिवेशन में गाँधी जी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया गया था. इस आंदोलन मे विद्यार्थियों द्वारा शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार, वकीलों द्वारा न्यायालयो का का बहिष्कार और गाँधी जी द्वारा अपनी “केसर-ए-हिन्द” की उपाधि वापस की गई थी.

इसी बिच ऊतर-प्रदेश के गोरखपुर जिले में स्थित चौरी-चौरा नामक स्थान पर 5 फरवरी 1922 ई० को आंदोलनकारियों भीड़ ने पुलिस के 22 जवानो को थाने के अंदर जिन्दा जला दिया. इस घटना से महत्मा गाँधी जी को बहुत दुःख यानि की दुखी हुए और असहयोग आंदोलन को 12 फरवरी 1922 ई० को वापस ले लिया गया.

असहयोग आंदोलन का मुल्यांकन

निष्कर्ष:- कुछ विद्वानों का मानना है कि गाँधीवादी Asahyog Andolan अपने घोषित उद्देश्य को प्राप्त करने में असफल रहा, क्योंकि इसमें एक वर्ष में स्वराज प्राप्त करने की बात को स्वीकार किया गया था. लेकिन असहयोग आंदोलन को असफल घोषित नहीं किया जा सकता क्योंकि इस आंदोलन में पहली बार ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतीय राष्ट्रवाद को एक अखिल भारतीय स्वरूप प्रदान किया
गया. इसके द्वारा

(i) भौगोलिक, जनभागीदारी, वर्ग, लिंग, धर्म, भाषा आदि के आधार पर सभी- सीमाओं को तोड़ दिया गया.
(ii) इसके द्वारा पहली बार भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के उद्देश्य को संस्थागत रूप से परिभाषित किया गया और एक लक्ष्य भी प्रदान किया गया.
(iii) इसके द्वारा भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को एक क्रियापद्धति एवं कार्यक्रम दिया गया तथा अखिल भारतीय स्तर पर एक नेतृत्व भी प्रदान किया गया. यह रही (Asahyog Andolan से सम्बन्धित अति महत्वपूर्ण प्रश्न)

इसे भी पढ़े:- सविनय अवज्ञा आंदोलन

FAQ (असहयोग आंदोलन के कारण व प्रभाव से सम्बन्धित कुछ सवालो का जवाब)

प्रिय स्टूडेंट अब इस लेख में आपके द्वारा Asahyog Andolan से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर देखने वाले है. इससे सम्बन्धित जितने प्रश्न थे उस सभी का जवाब देखने वाले है. आगर आपके मन में कोई और इससे सम्बन्धित सवाल हो तो आप हमे कॉमेंट के माध्यम से पूछ सकते है.

असहयोग आंदोलन कब और क्यों हुआ था?

यह आन्दोलन महत्मा गाँधी जी द्वारा चलाया गया था. सन 1920 ईस्वी को यह आन्दोलन शुरु यानि की प्रारम्भ किया गया था. इसे असहयोग आंदोलन के नाम से जाना जाता है.

असहयोग आंदोलन कहाँ से शुरू हुआ?

यह असहयोग आंदोलन लाला लाजपत राय की अध्यक्षता मे हुए कलकत्ता अधिवेशन में महात्मा गाँधी जी के नेतृत्व में यह असहयोग आंदोलन को शुरु किया गया यानि की चलाया गया था.

1 thought on “असहयोग आंदोलन के कारण और परिणाम का वर्णन करें -Asahyog Andolan in hindi (1920-22 ई०)”

Leave a Comment