प्रिय स्टूडेंट इस लेख में आपको Mahmud Ghaznavi History In Hindi से सम्बंधित प्रश्न- मुहम्मद गजनवी के भारत पर किये गए आक्रमणों के कारणों का वर्णन और इस आक्रमण का प्रमुख केन्द्रों कौन-कौन से है. इस लेख में महमूद गजनवी का भारत पर आक्रमण के प्रभावों व परिणामो का उल्लेख करेंगे जो आपके सभी तरह के प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए अति महत्वपूर्ण टॉपिक है. इस लेख को पूरा अंत तक पढ़े.
- महमूद गजनवी के भारत पर 17 आक्रमण
- महमूद गजनवी के आक्रमण के कारण
- महमूद गजनवी के आक्रमणों के प्रमुख केंद्र
- महमूद गजनवी के आक्रमणों के प्रभाव व परिणाम
- अंत में क्या पढ़ा (निष्कर्ष)
महमूद गजनवी के भारत पर 17 आक्रमण- Mahmud Ghaznavi History In Hindi PDF
महमूद गजनवी के भारत पर 17 आक्रमण:- गजनवी वंश का संस्थापक अलप्तगीन था और वह सासानी वंश के प्रसिद्ध शासक अहमद का गुलाम था. वह 956 ई0 में खुरासान का शासक बना व अलप्तगीन के समय गजनी और हिन्दुशाही राज्य के बीच झड़प प्रारम्भ हो गयी थी. 977 ई में सुबुक्तगीन गजनी का शासक बना उसने भी भारतीय सीमा पर आक्रमण करने की नीति अपनाई 986 ई0 में उसने जयपाल के राज्य पर आक्रमण कर नगर और किलों को जीत लिया था. यह रही Mahmud Ghaznavi History In Hindi में है.
महमूद गजनवी सुबुक्तगीन का पुत्र था. महमूद 998 ई में गजनी का शासक बना और भारत पर आक्रमण कर तुर्क साम्राज्य की स्थापना का द्वार खोल दिया. उसने भारत पर कुल 17 बार भारत पर आक्रमण यानि की हमला किया था. तुर्कों के द्वारा भारत में इस्लामी साम्राज्य की स्थापना की गई जिसकी जड़ इतनी सुदृढ़ हो गयी कि आनेवाले कई शताब्दिये तक वे भारतीय राजनीति एवं जन-जीवन पर अपनी गहरी छाप छोड़ दिये थे.
महमूद गजनवी के आक्रमण के निम्न कारण थे
- धार्मिक कारण
- आर्थिक कारण
- राजनीतिक कारण
धार्मिक कारण
धार्मिक कारण:- महमूद गजनवी के Mahmud Ghaznavi History In Hindi में यह धार्मिक कारण है जो भारत पर आक्रमण के कारण और उद्देश्य के संबंध में इतिहासकारों के बीच मतभेद है. सर्वप्रथम महमूद गजनवी ने इस्लाम धर्म की प्रतिष्ठा को स्थापित करने के उद्देश्य से भारत पर आक्रमण किया था. इस धारणा का प्रतिवाद प्रो. हबीब ने किया है और प्रो० हबीब के अनुसार, ‘महमूद धर्मान्ध नहीं था’. वह मुस्लिम उलेमावर्ग की आबाओं को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था.
उसके बर्बर कार्यों से इस्लाम धर्म का प्रचार न हुआ, बल्कि धर्म की प्रतिष्ठा संसार की नजर में गिर गई.” इतिहासकार जाफर के विचार में; महमूद के आक्रमण का यह मुख्य उद्देश्य है की इस्लाम धर्म का प्रचार के बदले वह धन को लूटना था और उसने सदियों से संचित मन्दिरों के धन को भी लूटने के लिए ही उसने अपने आक्रमण का केन्द्र’ बना कर रखा था. महमूद गजनवी ने हिन्दू राजाओं की तरह ईरान और ट्रान्सआवासियाना के शासकों को भी तंग किया था तथा लूटमार करने में कोई भेदभाव की नीति Mahmud Ghaznavi History In Hindi में यह भी कारण है की वह नहीं अपनाई थी.
तुर्क के नए मुसलमान थे और उनमें धार्मिक उत्साष्ट स्वभाविक रूप से अधिक था. महमूद गजनवी ने मन्दिरों एवं मूर्तियों को नष्ट किया परन्तु उनके स्थान पर मस्जिदों का निर्माण नहीं किया था. महमूद गजनवी ने मन्दिरों और मूर्तियों को नष्ट कर दिया व इसके पीछे महमूद गजनवी का एकमात्र लक्ष्य यह रहा धन को लूटने के साथ-साथ इस्लाम धर्म को श्रेष्ठता को परिलक्षित ही वह करना चाहता था. अतः इस दृष्टि से महमूद गजनवी के इस Mahmud Ghaznavi History In Hindi के आक्रमण का कारण धर्म प्रचार और इस्लाम की प्रतिष्ठा को बढ़ाना माना जा सकता है.
आर्थिक कारण
आर्थिक कारण:- महमूद गजनवी द्वारा भारत पर आक्रमण का मुख्य कारण अपार सम्पत्ति को लूटना माना जाता है. अंगरेज और भारतीय इतिहासकारों ने महमूद के आक्रमण का लक्ष्य भारत की संचित सम्पत्ति को लूटना स्वीकार किया है और महमूद धन का लोभी था. उसने मथुरा, कन्नौज, सोमनाथ आदि के मन्दिरों पर Mahmud Ghaznavi History In Hindi के यह भी कारण था की वह आक्रमण कर अपार सम्पत्ति प्राप्त कर ली थी. बार-बार आक्रमण के पीछे, महमूद का लालचपन ही व्यक्त होता है.
लते हुए धन से महमूद अपने साम्राज्य का विस्तार करना चाहता था. इस दृष्टि से Mahmud Ghaznavi History In Hindi का उद्देश्य शुद्ध आर्थिक लाभ था. उसने जी भर कर भारतीय मन्दिरों को लग तथा अपने रिक्त कोष को भरने की चेष्टा की और अत: धार्मिक भावना के बदले सही अर्थ में महमुद गजनवी के आक्रमण का धन का संग्रह करना था.
राजनीतिक कारण
राजनीतिक कारण:- इस Mahmud Ghaznavi History In Hindi का यह भी कारण का अर्थ संग्रह के साथ-साथ आक्रमण यानि की हमला का उद्देश्य राजनीतिक भी था और भारत के उत्तर-पश्चिम में ही हिन्दूशाही राज्य भी था. हिन्दूशाही शासक जयपाल ने गजनी पर तीन बार आक्रमण किया था. अलप्तगीन हिन्दूशाही राज्य की शक्ति को पूर्णतया नष्ट करने में सफल नहीं हुआ था.
हिन्दूशाही राज्य की सीमा गजनी को छूती थी और सीमा क्षेत्र में एक शक्तिशाली राज्य का अस्तित्व महमूद गजनवी की आँख में खटक रहा था. हिन्दूशाही राज्य को नष्ट कर ही तुर्कों का प्रवेश भारत के भीरत भीतर सम्भव था. अत: महमूद ने पड़ोस के शक्तिशाली हिन्दूशाही राज्य की स्वतंत्रता को नष्ट करने के लिए भारत पर Mahmud Ghaznavi History In Hindi का भी यह भी आक्रमण की नीति अपनाई और उनकी शक्ति को समाप्त कर उसने धन के लोभ में एक लूटेरे की तरह भारत के अन्य नगरों पर भी आक्रमण किया.
महमूद गजनवी ने एक कुशल सैनिक, योग्य सेनानायक में से एक महत्वकांक्षी भी महमूद गजनवी था. वह यश प्राप्त करना चाहता था और सफल सेनानायक का परिचय वह पश्चिमी क्षेत्र को जीत कर दे चुका था. पूरब में हिन्दूशाही राज्य को समाप्त कर उसने अपनी प्रतिष्ठा बढ़ायी और बिजली की गति के समान भारतीय राज्यों पर आक्रमण कर यश प्राप्त करने की लालसा से उसने भारत पर आक्रमण किया था.
महमूद गजनवी के आक्रमणों के प्रमुख केंद्र-
इस लेख में Mahmud Ghaznavi History In Hindi से सम्बन्धित अति महत्वपूर्ण टॉपिक हमूद गजनवी के आक्रमण के प्रमुख केन्द्र निम्नलिखित है.
- आक्रमण का केन्द्र
- थानेश्वर पर भी आक्रमण
- कश्मीर पर आक्रमण
- बुलन्दशहर पर महावन के शासक पर आक्रमण
- मथुरा पर आक्रमण
- कन्नौज पर आक्रमण
- मंझावन पर आक्रमण
- मित्र-संघ की स्थापना
- युद्ध में विद्याधर की सेना हार
- चन्देलों की शक्ति
आक्रमण का केन्द्र
आक्रमण का केन्द्र:- महमूद गजनवी Mahmud Ghaznavi History In Hindi यह इतिहास गजनवी धन-संग्रह, करने के उद्देश्य से भारत के समृद्धशाली नगरों को आक्रमण का केन्द्र बना लिया और भटीण्डा के दुर्ग पर आक्रमण कर उसने अपार सम्पत्ति प्राप्त की व भटीण्डा का राजा विजय राय विरतापूर्वक युद्ध करने के बावजूद पराजित हुआ. असंख्य व्यक्तियों को इस्लाम धर्म स्वीकार नहीं करने के आरोप में कत्ल कर डाला व महमूद ने हिन्दूशाही राज्य की शक्ति को नष्टकर अलवर जिला में स्थित नारायणपुर नामक नगर पर आक्रमण किया. नारायणपुर एक प्रसिद्ध व्यापारिक स्थान था तथा मध्य एशिया और भारत के व्यापारी वहाँ वस्तुओं का क्रय-विक्रय करते थे.
थानेश्वर पर भी आक्रमण
थानेश्वर पर भी आक्रमण:- सन 1014 ई0 में जो महमूद गजनवी ने थानेश्वर पर भी आक्रमण यानि की हमला कर दिया था और थानेश्वर में चक्रस्वामी का प्रसिद्ध मन्दिर था और थानेश्वर पर आक्रमण करने के रास्ते में डेरा के राजा-राम ने महमूद गजनवी का विरोध किया व राजाराम की पराजित हो गई थी. थानेश्वर नगर की रक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की गयी थी. सुविधानुसार महमूर ने थानेश्वर नगर को लूटा और चक्रस्वामी की मूर्ति को गजनी भेजकर उसे एक सार्वजनिक चौक में फिक्वा दिया था.Mahmud Ghaznavi History In Hindi में भी यह टॉपिक है.
कश्मीर पर आक्रमण
कश्मीर पर आक्रमण:- कश्मीर पर 1015 ई0 और 1021 ई0 में महमूद गजनवी ने दो बार कश्मीर पर आक्रमण किया. किन्तु कश्मीर- विजय का स्वप्न अधूरा ही रह गया. Mahmud Ghaznavi History In Hindi में है. अन्ततः कश्मीर विजय का विचार महमूद को छोड़ देना पड़ा था. 1018 में महमुद ने गजनवी से प्रस्थान कर कन्नौज को अपने आक्रमण का लक्ष्य बनाया. कन्नौज के रास्ते में अनेक किलों पर अधिकार कर लिया था.
बुलन्दशहर पर महावन के शासक पर आक्रमण
बुलन्दशहर पर महावन के शासक पर आक्रमण:- महमूद बुलन्दशहर पहुँचा. बुलन्दशहर के शासक हरदत्त ने महमूद की अधीनता स्वीकार कर ली और अपने दस सहस्त साथियों के साथ इस्लाम धर्म स्वीकार लिया. बुलन्दशहर की सफलता से उत्साहित होकर महमूद ने यमुना तट पर स्थित महावन के शासक के राज्य पर आक्रमण किया. Mahmud Ghaznavi History In Hindi जो महावन के शासक पर आक्रमण किया था.
महावन के शासक कुलचन्द ने वीरता के साथ युद्ध किया परन्तु अन्तवः पराजित होने के बाद उसने पत्नी सहित आत्महत्या कर ली थी. महावन-विजय में महमूद को अतुल सम्पत्ति के अतिरिक्त 185 हाथी मिली थी. बांध टूट जाने के बाद बाढ़ की भयावह स्थिति की तरह महमूद का आक्रमण उत्तर-भारत के नगरों पर कहर ढाने लगा. मघवन के बाद महमूद ने मथुरा पर भी आक्रमण किया.
मथुरा पर आक्रमण
मथुरा पर आक्रमण:- मथुरा मन्दिरों का नगर था और समृधि एवं सुन्दरता में मथुरा अन्यतम माना जाता था. मथुरा के मन्दिरों में शुद्ध सोना, चाँदी और हीरा-जवाहरातों से जुड़ी हुई हजारों मूर्तियाँ थीं. कुछ मूर्तियाँ पाँच-पाँच हाथ ऊँची थीं और उनमें प्रत्येक का मूल्य 50,000 दीनार से कम नही था. एक मूर्ति जो थी वह है नीलम से जड़ा हुआ मूर्ति था जिसका मूल्य 400 मिरकाल के था और चाँदी की मूर्तियाँ भी बहुमुल्य थीं. मूर्तियों के नीचे भी अतुल धनराशि छिपी हुई थी. Mahmud Ghaznavi History In Hindi में यह भी केंद्र था.
Mahmud Ghaznavi History In Hindi गजनवी ने मथुरा नगर को पूरी तरह लूटा क्योंकि नगर की रक्षा के लिए कोई विशेष प्रबन्ध नहीं किया गया था. मथुरा मगर नष्ट कर दिया गया और नगर के स्थापत्यकारों को गुलाम बनाकर गजनी भेज दिया गया. मथुरा के बाद वृन्दावन की बारी आयी वृन्दावन चारों ओर किलों से सुरक्षित था. किन्तु वृन्दावन का शासक महमूद के आगमन की सूचना पाकर स्वयं भाग खड़ा हुआ. फलतः महमूद ने हत्या लूट और बलात्कार का जघन्य काम कर नगर के बरबाद कर डाला था. मथुरा की तरह वृन्दावन की संचित सम्पत्ति महमूद के हाथ लग गयी और वृन्दावन की लूट से उत्साहित हुआ.
कन्नौज पर आक्रमण
कन्नौज पर आक्रमण:- सन 1019 ई0 में महसूद गजनवी का आक्रमण कन्नौज पर हुआ. कन्नौज में गुर्जर-प्रतिहार वंश का शासन था व महमुद के आक्रमण के समय कन्नौज का राजा राज्यपाल था. कन्नौज कई राजवंशों की राजधानी रह चुका था. उस नगर में सात दुर्ग और दस सहस्र मंदिर थे. राज्यपाल महमूद का विरोध करने के बदले स्वयं भाग गया. एक दिन में ही महमूद गजनवी ने कन्नौज पर अधिकार कर लिया. कन्नौज की लूट में महसूद को अपार सम्पत्ति हाथ लगी. Mahmud Ghaznavi History In Hindi यह महमूद की यह भी केंद्र था.
मंझावन पर आक्रमण
मंझावन पर आक्रमण:- कन्नौज के बाद कानपुर के पास मंझावन के दुर्ग पर महमूद ने आक्रमण किया. मंझावन दुर्ग की रक्षा ब्राह्मणों के द्वारा की जा रही थी. 25 दिनों के युद्ध के बाद मंझावन के दुर्ग पर महमूद का अधिकार हुआ किले के अन्दर सभी रक्षकों ने अपने प्राणों की आहूति दी बच्चे और स्त्री जलकर मर गए.
असी के शासक चन्द्रपाल और सिरसावा के शासक चांदराय ने बिना किसी विरोध के महमूद की अधीनता स्वीकार कर ली थी. गजनी की ओर लौटते समय महमूद ने अनेक दुर्गों को लुटा और इस अभियान ने उसे 300.000 दरहम मूल्य की सम्पत्ति, 55000 दास और 350 हाथी इस Mahmud Ghaznavi History In Hindi इस में प्राप्त हुए.
मित्र-संघ की स्थापना
मित्र-संघ की स्थापना:- मथुरा वृन्दावन Mahmud Ghaznavi History In Hindi यह रही जो मथुरा और कन्नौज के मन्दिरों को नष्ट करने के फलस्वरूप हिन्दू राजाओं के बीच क्षोभ उत्पन्न हुआ उन्होंने मित्र-संघ की स्थापना कर राज्यपाल से प्रतिशोध लेना चाहा था. मित्र-संघ का अगुआ बुन्देलखण्ड का शासक विद्याधर या गोड़ था और विद्याधर के नेतृत्व में राज्यपाल के विरुद्ध आक्रमण किया गया फिर युद्ध में राज्यपाल मारा गया. राज्यपाल की हत्या की सूचना पाकर महमूद गजनवी ने विद्याधर से बदला लेने के पुन: गजनी से प्रस्थान किया. रास्ते में हिन्दूशाही राजा त्रिलोचनपाल ने महमूद का मुकाबला किया परन्तु त्रिलोचनपाल युद्ध में पराजित होकर भाग गया था.
युद्ध में विद्याधर की सेना हार
युद्ध में विद्याधर की सेना हार:- महमूद बरी की तरफ बढ़ा जो कन्नौज के पतन के बाद प्रतिहारों की राजधानी थी. बरी के युद्ध में त्रिलोचनपाल भाग खड़ा हुआ और महमूद 1020-21 ई० में बुंदेलखण्ड की तरफ बढ़ा. बुन्देलखण्ड के चन्देल वंशीय शासक को ग्वालियर के राजा का समर्थन प्राप्त था.
उसकी सेना में 36000 अश्वारोही, 45000 पैदल सेवा और 640 हाथी थे. महमुद विशाल सेना का देखकर आश्चर्यचकित रह गया किन्तु उसने साहस के साथ युद्ध किया. युद्ध में विद्याधर की सेना हार गयी और हार से हतोत्साहित होकर विद्याधर रात्रि में ही भाग गया. महमूद ने बुन्देलखण्ड को बुरी तरह लूटा और अपार सम्पत्ति प्राप्त कर ली. विद्याधर का युद्ध-भूमि से भाग जाना उसके लिए विनाशकारी Mahmud Ghaznavi History In Hindi इस में सिद्ध हुआ.
चन्देलों की शक्ति
चन्देलों की शक्ति :- बुंदेलखण्ड की लूट से चन्देलों की शक्ति समाप्त नहीं हुई थी. महमूद गजनवी ने 1021ई० में चन्देलों की शक्ति को समाप्त करने के लिए भारत पर आक्रमण किया. उसने 1022ई० में ग्वालियर के शासक कीर्तिराज को अधीनता स्वीकार करने के लिए बाध्य किया और कलिंजर की तरफ बढ़ा. कलिंजर चन्देलों की शक्ति का Mahmud Ghaznavi History In Hindi इसका केन्द्र था और कालिंजर के दुर्ग पर आसानी से अधिकार करना सम्भव नहीं था.
कई महीने की घेराबन्दी के बाद विद्याधर ने महमूद के साथ संधि करने के लिए सहमति प्रकट की महमूद गजनवी लौटना चाहता था. अत: उसने विद्याधर के सन्धि प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और सन्धि के अनुसार विद्याचर ने महमूद को कर के स्प में 300 हाथी दिया और विद्याधर द्वारा रचित कविता को सुनकर महमूद ने उसे 15 किले इनाम के रूप में दिया था. महमूद लुट का धन लेकर गजनी लौट गया था. Mahmud Ghaznavi History In Hindi यह भी इसका केंद्र था.
महमूद गजनवी के आक्रमणों के प्रभाव व परिणाम
अब इस लेख में Mahmud Ghaznavi History In Hindi में आक्रमणों के प्रभाव व परिणाम निम्नलिखित है.
- 27 वर्षों तक भारत के लिए
- अपार धन-जन की क्षति
- सैनिक शक्ति
- भारतीय मन्दिर
- बार-बार भारत पर आक्रमण
- इस्लाम धर्म का प्रचार
- दासों की संख्या
27 वर्षों तक भारत के लिए
27 वर्षों तक भारत के लिए:- महसूद गजनवी का आक्रमण Mahmud Ghaznavi History In Hindi में यह रही भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना में से एक थी. यह सत्य महमूद गजनवी ने भारत में स्थायी साम्राज्य की स्थापना नहीं की वह 27 वर्षों तक भारत के समृद्धशाली राज्यों का लुट- खसोट करता रहा और अपार सम्पत्ति गजनी ले जाने में सफल रहा था. गजनवी के आक्रमण यानि की हमला के पूर्व पहले विदेशी आक्रमणकारी जो थे उन्होंने भारत में ही बस जाते थे और वह धन- लोलुप था और उसकी धन- लोलुपता उत्तरोत्तर बहुत बढ़ती ही जा रही थी.
अपार धन-जन की क्षति
अपार धन-जन की क्षति:- भारत एक समृद्ध देश था. सदियों से मठ मन्दिरों, नगरों एवं राज- प्रसादों में संग्रह किए हुए धन को लूटकर ले जाने से महमूद की धन- लोलुपता सुरसा की तरह प्रति वर्ष बढ़ती गयी और उसकी लुट-खसोट की निति के कारण भारत को अपार धन-जन की क्षति हुई आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न, भारत निर्धनता की ओर उन्मुख हो गया. लगातार युद्ध और विरोध के कारण हजारों-हजार व्यक्तियों को निर्दयता के साथ मौत के घाट उतारने में महमुद को कोई हिचकिचाहट नहीं होती थी. Mahmud Ghaznavi History In Hindi के यह भी टॉपिक है.
सैनिक शक्ति
सैनिक शक्ति:- भारत की सैनिक शक्ति पर भी महमूद के आक्रमण का परिणाम घातक सिद्ध हुआ. भारतीय सैनिकों में साहस एवं वीरता का अभाव नहीं था और वे युद्ध-क्षेत्र से भागने के बदले मौत को अधिक श्रेष्ठ मानते थे. अतः युद्ध में साधारण नागरिकों के साथ असंख्य सैनिकों की जानें भी गयीं. इस दृष्टि से भारत की सैनिक शक्ति को अपार क्षति हुई थी. Mahmud Ghaznavi History In Hindi की टॉपिक महत्वपूर्ण है.
भारतीय मन्दिर
भारतीय मन्दिर:- महमूद नगरों, मठों और मन्दिरों को नष्ट कर देता था. भारतीय मन्दिर, मठ और नगर वास्तु कला के अन्यतम उदाहरण थे. यह सोमनाथ मंदिर, वृंदावन मथुरा मन्दिर, कन्नौज इत्यादि नगरका भव्यता एवं स्थापत्य कला की दृष्टि से अद्वितीय यह मानते रहते थे. महमूद ने मृतियों को नष्ट कर कला कृतियों की हत्या कर दी. भारत में प्रवेश पाने के लिए उत्तर-पश्चिम सीमा पर स्थित हिन्दूशाही राज्य प्रहरी का काम करते थे.
बार-बार भारत पर आक्रमण
बार-बार भारत पर आक्रमण:- अफगानिस्तान, मुल्तान, सिन्ध और पंजब विजय के बाद भारतीय सीमा की रक्षा करने वाले प्रहरी नहीं रहा और भारत के अंदर प्रवेश पाने की कठिनाई जाती रही. वस्तुतः महमूद गजनवी इन क्षेत्रों पर अधिकार कर विदेशियों को प्रवेश के लिए द्वार खोल दिया था. विदेशी भारतीय स्थिति की सही जानकारी हासिल सुविधा से प्राप्त कर लेते थे.
भारतीय सैनिकों की त्रुटियों से वे परिचित हो गये और वस्तुस्थिति की जानकारी हासिल कर वे बार-बार भारत पर आक्रमण करने लगे अरबवालों ने सिंच पर अधिकार कर जो भूल की थी. उसे महमूद गजनवी के आक्रमण ने परिमार्जित कर दिया भारत में प्रवेश कर और समृद्ध शहरों को नष्ट कर उसने न केवल आर्थिक लाभ प्राप्त किया था. बल्कि भारत में पुलिस मुस्लिम राज्य की स्थापना के लिए अग्रदूत की तरह काम किया. Mahmud Ghaznavi History In Hindi यह रही थी.
इस्लाम धर्म का प्रचार
इस्लाम धर्म का प्रचार:- भारत में Mahmud Ghaznavi History In Hindi महमूद गजनवी के आक्रमण यानि की हमला से इस्लाम धर्म का प्रचार और भी सरल यानि की आसान हो गया था. बहुत से मुसलमान सन्त और मौलवी सीमा क्षेत्र में स्थायी रूप से बस गये. बलपूर्वक हिन्दुओं को इस्लाम धर्म में दीक्षित कर लिया जाता था. एक बार इस्लाम धर्म स्वीकार कर लेने वाले हिन्दुओं को पुन: हिन्दू धर्म में सम्मिलित नहीं किया जाता था.
महमुद गजनवी पहला आक्रमणकारी था जिसने शक्ति के सहारे इस्लाम धर्म का प्रचार भारत में किया था. बर्बरता, निर्दयता एवं लूट-खसोट की नीति अपनाने से भारत में इस्लाम धर्म के प्रति घृणा के भाव उत्पन्न हुए. परन्तु हिन्दू समाज का उपेक्षित वर्ग इस्लाम धर्म के प्रति अधिक आकृष्ट हुआ और वह सुविधा पाने के लालच से इस्लाम धर्म में दीक्षित होने लगा. इस दृष्टि से महमूद गजनवी ने भारत में इस्लाम धर्म का प्रचार कर भावी मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना के लिए आधाशिला तैयार कर दी. यह रही Mahmud Ghaznavi History In Hindi में थी.
दासों की संख्या
दासों की संख्या:- महमूद गजनवी हिन्दुओं को बंदी बनाकर दास बना लेता था. गजनवी में वैसे दासों की संख्या बहुत बढ़ गयी. घन और दास की सुविधा ने मुसलमानों को विलासी बना दिया. उनकी जो सैनिक क्षमता थी उनकी शेष हो गयी और अन्ततः यह हुआ की गजनवी साम्राज्य जो था उसका का पतन ही हो गया था. Mahmud Ghaznavi History In Hindi में यह पढ़ा की दासो की संख्या कैसे बढ़ाया था.
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FAQ (महमूद गजनवी का भारत पर आक्रमण से सम्बन्धित कुछ सवालो का जवाब)
प्रिय स्टूडेंट अब इस लेख में Mahmud Ghaznavi History In Hindi में इससे सम्बन्धित आपके द्वारा कुछ पूछा गया प्रश्नों का उत्तर देखने वाले है. इस लेख में आपको सभी तरह के प्रतियोगी परीक्षाओ से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न है. इस लेख में आपको बताने वाले है.
महमूद गजनवी द्वारा भारत पर कुल कितनी बार आक्रमण किया गया?
देखिए प्रिय स्टूडेंट महमूद गजनवी जो थे उन्होंने भारत पर कुल 17 बार ही आक्रमण किया था यानि की हमला 17 बार किया. गजनवी ने उन्होंने महमूद गजनवी जो थे भारत पर बार-बार आक्रमण यानि की हमला किया था.
महमूद गजनवी के आक्रमण का मुख्य कारण क्या था?
महमूद गजनवी का मुख्य यह कारण था की उन्होंने इस मकसद से भारत पर आक्रमण किया था की वह चाहता था बहुत सारा धन को लूटना चाहता था. महमूद गजनवी का धन को लूटना यह रही इसकी मुख्य कारण और वह भारत पर 17 बार आक्रमण किया था.
अंत में क्या पढ़ा (निष्कर्ष)
अब इस लेख में आपको बताने वाले है की Mahmud Ghaznavi History In Hindi में जानने वाले है की हमने क्या-क्या पढ़ा है. इस लेख में आपको गजनवी के बारे में निष्कर्ष क्या निकला यह टॉपिक को पढने वाले है.
निष्कर्ष:- महमूद गजनवी के द्वारा 27 वर्षों के अन्दर लगभग भारत पर उन्होंने 17 बार भारत पर आक्रमण यानि की हमला किया गया था. प्रत्येक आक्रमण में महमूद गजनवी को अतुल सम्पत्ति के साथ गजनी लौट गया था. भारतीय राज्यों और मन्दिरों की लूट से भारत में मुस्लिम साम्राज्य की स्थापना का हार खोल दिया था. Mahmud Ghaznavi History In Hindi में यह रही निष्कर्ष इसकी जो यह भी अति महत्वपूर्ण है.