तो आप harit kranti kya hai इसके बारे में जानना चाहते है तो यह लेख आप के लिए है इस लेख में आपको Harit Kranti Kise Kahate Hain है पूरी विस्तार से दी गई है तो आप इस लेख को पूरा पढ़े तो चलिए harit kranti kya hai जानते है सबसे आसान भाषा में.
अगर आप 10th या 12th का एग्जाम देने जा रहे है तो यह प्रश्न अति महत्वपूर्ण है. या आप प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी कर रहे है तो यह प्रश्न Harit Kranti Kya आपके लिए है. चलिए जान लेते है. Harit Kranti Kya Hai हरित क्रांति
उच्च गुणवत्ता वाले बीजों रासायनिक उर्वकों व नहरी सिंचाई पर आधारित कृषि उत्पादन की नवीन प्रक्रिया थी. उर्वकों व नहरी सिंचाई के द्वारा भारतीय कृषि में गत्यात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास किया गया.
यानी जो बीज की क्वालिटी चेंज किया गया रासायनिक पदार्थों को यूज़ किया गया सिंचाई को भी ज्यादा यूज होने लगा जबकि पहले भारतीय कृषि को मानसून का जुआ कहा जाता था. तो पहले सिंचाई के क्षेत्र में पहले ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था. लेकिन इस क्रांति के तहत यह किया गया कि नहर व नल के द्वारा सिंचाई इस पर भी ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा.
Harit Kranti Kya Hai – अब बात करते है हरित क्रांति क्या है.
तो अब जानेंगे Harit Kranti Kise Kahate Hain है. ओ भी सबसे इस लेख में harit kranti kya hai हरित क्रांति किसे कहते है विस्तार से जानेंगे चलिए अब इस लेख को शुरु करते है.
हरित क्रांति क्या है:- अमेरिकी वैज्ञानिक हरी क्रांति का सर्वप्रथम प्रयोग विलियम गैड ने शब्द का प्रयोग किया सर्वप्रथम हरित क्रांति लाने का श्रेय अमेरिकी वैज्ञानिक नॉर्मन अर्नेस्ट बोरलॉग को यह वैज्ञानिक ऐसे थे. कि विभिन्न फसलों को लेकर उनकी कृषि में चेंज किए उत्तम कृषि बनाई तो भारत में हरित क्रांति का जनक डॉ० M.S स्वामीनाथ इनका काफी योगदान रहा इनके निर्देशक में हरी क्रांति को बढ़ावा मिला या हरिक्रांति सफल हुई है.
भारत में हरित क्रांति का प्रारम्भ (1966 – 67) में स्टार्ट हुआ जबकि हरिक्रांति को लाने का क्या रीजन रहा था. उसका रीजन यह रहा की जब 1966 में 71 में युद्ध हो रहे थे. जैसे में भारत चाइना का युद्ध भारत पाकिस्तान का युद्ध इन युद्ध के बीच में भारत के खाद्य अनाज उत्पादों में कमी हो गई तो भारत क्या कर रहा था. कि अमेरिका से सपोर्ट कर रहा था इसको भारत जो अमेरिका से मंगा रहा था लेकिन अमेरिका ने क्या कहा जो बीच में ही जो अपना गेहूं भेज रहा था उसको रोक दिया.
उसको रोकने से ए भारत में रिलाइज हुआ कि भारत को भी आत्मनिर्भर बनना चाहिए जब भारत आजाद हुआ 1947 में भारत एक तरीके से बहुत छोटा था. उस समय भारत के पास इतना साधन नहीं थे. जो अंदर देशों के पास थे.
उसी तरीके से फिर भारत ने उस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना स्टार्ट कर दिया इसीलिए भारत में जो हरित क्रांति प्रारंभ (1966 – 67) में स्टार्ट हुआ सबसे पहले पंजाब हरियाणा तथा यूपी में उन्नत बीजो के प्रयोग से गेहूं की खेती के साथ इसका प्रारंभ हुआ.
बोरलॉग द्वारा विकसित गेहूं की अधिक उपज देने वाले तथा अधिक प्रतिरोधी बोली किसने वाली प्रजातियों से इंडिया-पाकिस्तान मेक्सिको सहित देशों के गेहूं के उत्पादन में दो गुना हो गया. यानी कि इनकी उत्पाद में ज्यादा वृद्धि हो गई.
भारत में डॉ० एम॰ एस॰ स्वामीनाथन के नेतृत्व में गेहूं की उच्च उत्पादक प्रजातियों का विकास किया गया पहले से लगभग 3 गुना वृद्धि हो गई.
Harit Kranti Kya Hai है और हरित क्रांति की शुरु कब और किसने की थी उपर लेख में हम पढ़ चुके है जो की बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण टॉपिक है जो की सबसे ज्यादा बार परीक्षाओं में पूछे गए थे और आगे भी पूछे जाएंगे.
Harit Kranti Kya Hai – हरित क्रांति के उद्देश्य बताइए
आब बात करते है हरीत क्रांति के उद्देश्य के बारे में जो काफी इंपोर्टेंट है.
भारत में 1965 के बाद उच्च उत्पादन देने वाली किसानों के बीज उर्वरक सिंचाई और तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देने ग्रामीण विद्युतीकरण कृषि उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने के लिए सड़कों का निर्माण हुआ इस उद्देश्य को लेकर हरीत क्रांति स्टार्ट किय गया था.
तो प्रिय छात्र अब ह्मलोग जान चुके है की Harit Kranti Kya Hai और उसके harit kranti ke uddeshya के बारे में अच्छे तरीके से.
Harit Kranti Ki Visheshtaen – हरित क्रांति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए
तो अब बात Harit Kranti Ki Visheshtaen करते है की हरी क्रांति की विशेषताएं क्या-क्या है और इसके 10 विशेषताएं के बारे में जानेंगे
- पहली विशेषता अधिक बीजो देने वाली बीजों का प्रयोग
- उर्वरकों का अधिक प्रयोग
- तीसरा पॉइंट है सिंचाई में विस्तार
- कीटनाशक औषधियों का प्रयोग
- आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग
- बहु फसलें
- किसानों को ऋण सुविधाएं
- मृदा परीक्षण पर जोर दिया गया
- बाजार सुविधा भण्डारण के लिए सुविधा
- ग्रामीण विधुतीकरण व सड़कों का निर्माण
पहली विशेषता अधिक बीजो देने वाली बीजों का प्रयोग
इसके अंतर्गत 5 चीजों पर ज्यादा जोर दिया गया था जैसे में गेहूं चावल बाजरा मक्का और ज्वार यह पांच्चो बहुत महत्वपूर्ण है. इसको आप याद कर जाएं.
उर्वरकों का अधिक प्रयोग
दूसरा है उर्वरको का प्रयोग जो हरी क्रांति के तहत भारतीय जो मिट्टी खाद्य पूर्ति के लिए रासायनिक खाद उर्वरकों का प्रयोग किया गया. जिसमें कृषि उत्पादनो में वृद्धि हुई
तीसरा पॉइंट है सिंचाई में विस्तार
सिंचाई में विस्तार हुआ भारत का मानसून का जुआ कहा जाता था. लेकिन इस क्रांति के तहत यह देखा गया कि जिन क्षेत्रों में पानी की कमी हो वहां पर अधिक रूप में पानी पहुंचाया गया तो सिंचाई की सुविधा में विस्तार हुआ नहरे सिंचाई को बढ़ावा मिला
कीटनाशक औषधियों का प्रयोग
कीटनाशक औषधियों का प्रयोग किया गया यानी कि अधिक फसलों को उगाने के लिए कीरो बीमारियों से बचाने के लिए कीटनाशक औषधियों का प्रयोग किया गया.
आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग
भारतीय कृषि में जो पुराने साधारण थे वह थे. आधुनिक कृषि यंत्र जैसे में ट्रैक्टर बिजली की मोटर पम्प सेठ इत्यादि
बहु फसलें
इसके अंतर्गत राष्ट्रीय उर्वरक सिंचाई कृषि सिंचाई सुविधाएं कृषि मशीन इत्यादि के प्रयोग से जो फसलें कम समय में तैयार होने लगी जबकि एक खेत में 1 वर्ष में अधिक फसलें तैयार होने लगी इसे बहू फसलें कहते हैं.
किसानों को ऋण सुविधाएं
किसानों को ऋण सुविधाएं आसानी से उपलब्ध कराई गई इस क्रांति के तहत क्या हुआ था. कि किसानों पर ध्यान दिया जाने लगा पहले किसान क्या किया करते थे बड़े-बड़े साहूकार से पैसा ले लेते थे.
और फिर खेती करते थे. और फिर साहूकार जब आपना पैसा मांगने बार-बार जो आते थे. तो जो किसान समय से ना कर्जा भरने के कारण व आत्महत्या कर लेते थे. जो की इस क्रांति के तहत क्या हुआ की किसानों के ओर ध्यान जाने लगा उनको लोन की सुविधाएं मिलने लगी ताकि किसानो को आवश्यकताओ के समान खरीद सके और कर्ज से मुक्त हो सके. इस क्रांति के तहत कम व्याज पर ऋण भी मिलने लगा.
मृदा परीक्षण पर जोर दिया गया
पहले जो खेती किया जाता था कि उस पर ध्यान नही दिया जाता था. लेकिन जैसे-जैसे क्रांति आई तो मृदा परीक्षण पर भी जोड़ दिया गया.
बाजार सुविधा भण्डारण के लिए सुविधा
यानि की जिन किसानों के पास ज्यादा उत्पाद हो जाते थे. उनको उनका सही दाम नही मिल पाता था. उनको सीट भण्डार की सुविधाएं क्रांति के तहत उपलब्ध कराई गई
ग्रामीण विधुतीकरण व सड़कों का निर्माण
जैसे-जैसे हरिक्रांति गांव में पहुंचने लगी उसी तरह ग्रामीण क्षेत्र में विकास भी होने लगी और गाँवो में विद्युतीकरण की सुविधा भी मिलने लगे जबकि शहरों में जाने के लिए सड़क का निर्माण भी होने लगा. हम जान चुके है की Harit Kranti Kya Hai और उसकी Harit Kranti Ki Visheshtaen के बारे में
harit kranti ka prabhav – हरित क्रांति का प्रभाव क्या है समझाइए
तो अब आगे पढ़ते है की Harit Kranti Kya Hai और harit kranti ka prabhav कौन-कौन से है जबकि हरित क्रांति के प्रभाव क्या क्या इफेक्ट परा जो हमारे यहां हरित क्रांति लाई गई चलिए जान लेते है.
- कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई
- किसानों की आर्थिक दशा में सुधार
- पूंजीवाद को बढ़ावा मिला
- उद्योगों का विकास
- ग्रामीण रोजगार पर प्रभाव
- किसानों की विचारधारा में परिवर्तन
कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई
यानी की हरीत क्रांति के द्वारा गेहूं चावल ज्वार बजरा मक्का उपज बढ़ाने के लिए अधिक उपज देने वाली बीजों का प्रयोग किया गया और 1967 के बाद क्या हुआ कि Harit Kranti Kya Hai हरीत क्रांति का जो मुख्य उद्देश्य रहा वह रहा अनाज क्रांति को लाना मुख्य उद्देश्य था.हमारे कहने का तात्पर्य है की पूर्ण रूप से खाद्य यानो में गेहूं के उत्पादनो में सबसे ज्यादा वृद्धि करना इनका लक्ष्य था.
किसानों की आर्थिक दशा में सुधार
यानि की हरीत क्रांति ने क्या करा की जो किसानो का आर्थिक स्थिति है जो उसमें सुधार किया यानी कि उनके उत्पादन में वृद्धि ले आई और जहां पर उत्पादन कम हो रहा था. वहां पर सिंचाई सुविधा आधुनिक मशीन व उर्वरक क्षमता इन सब को बढ़ाने की विधि में क्या हुआ कि कृषि में वृद्धि हुई और कृषि के उत्पादन में वृद्धि हुई तो किसानों की आर्थिक दशा भी सुधरने लगे.
पूंजीवाद को बढ़ावा मिला
पूंजीवाद को बढ़ावा है इस तरह मिला की जैसे-जैसे हरिक्रांति आई इसमें आधुनिक मशीन रासायनिक उर्वरको मशीनीकरण इन सब को खरीदने के लिए यह बताया गया कि मशीन इत्यादि को खरीदने के लिए पैसे की आवश्यकता पड़ी इस तरह बाजार से पैसा आना शुरू हुआ पहले यह सब सीमित थी लेकिन उसके बाद इनकी आवश्यकता पड़ी इसे पूंजीवाद को बढ़ावा मिला.
उद्योगों का विकास
इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के मशीनें उर्वरकों के बड़े पैमाने पर प्रयोग किए गए इन वस्तुओं के निर्माण के लिए अन्य उद्योगों का विकास हुआ.
ग्रामीण रोजगार पर प्रभाव
हरीत क्रांति के अंतर्गत क्या हुआ की जहां पर एक और मशीनो के प्रयोग से बेरोजगारी भी पड़ा और दूसरी ओर एक वर्ष में एक से अधिक फसलें होने तथा उर्वरको के अधिकारी प्रयोग से मंजूरी की मांग बढ़ने लगी.
किसानों की विचारधारा में परिवर्तन
किसान पहले क्या सोचते थे कि अंतिम परंपरागत तकनीको को ही ज्यादा मान्यता देते थे लेकिन धीरे धीरे जैसे-जैसे क्षेत्र और उत्पादन में वृद्धि हुई और किसानों की मानसिक तभी चेंज होने लगी और धीरे-धीरे तकनीकों को अपनाने लगे हरित क्रांति में जो बदलाव हुए उन्हें भी अपना लिया.
भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हुआ लोगों को खाद सुरक्षा उपलब्ध के साथ-साथ औद्योगिक आवश्यकताओ की आपूर्ति या निर्यात करने में भी समर्थ हुआ. हम देख चुके है की Harit Kranti Kya Hai और हरित क्रांति का प्रभाव क्या है.
Harit Kranti Ke Parinam – हरित क्रांति के परिणामों व हरित क्रांति के दो नकारात्मक परिणामों का उल्लेख कीजिए
अब इस लेख में देखेंगे की Harit Kranti Ke Parinam लेकिन Harit Kranti Kya Hai यह तो जान चुके है अब इसके साथ इसके नकारात्मक परिणाम भी निकले नकारात्मक परिणाम किस तरह निकले जैसे की इस लेख में पूरा देखेंगे.
- सीमित प्रदेश
- सीमित फसलें
- क्षेत्रीय असमानता में वृद्धि हुई
- बेरोजगारी में वृद्धि हुई
- व्यक्तिगत विषमाताओं में वृद्धि हुई
- मृदा अपरदन
- चूने गए प्रदेशों में
सीमित प्रदेश
यानी कि भारत में हरित क्रांति का प्रभाव लगभग देश के 40% भूमि पर पड़ा शेष 60% भूमि पर कोई ध्यान ही नहीं दीया गया अगर हम इस पर बात करते हैं तो पंजाब और हरियाणा मे हरित क्रांति ज्यादा इनफेक्ट परा बाकी अन्य राज्यों में जैसे बिहार उड़ीसा यह सारे राज्य हरित क्रांति से अलग ही रहे.
सीमित फसलें
सीमित फसलें यानी कि इस क्रांति के तहत केवल 5 ही फसलों पर ध्यान दिया गया था. जैसे गेहूं चावल मक्का ज्वार और बाजरा इन पांचों फसलों पर ध्यान दिया गया था. तिलहन उत्पादन गन्ना कृषि कपास उत्पादन इस पर किसी पर भी ध्यान नहीं दिया गया जबकि केवल 5 ही फसलों पर इन्होंने ध्यान दिया
क्षेत्रीय असमानता में वृद्धि हुई
हरीत क्रांति के प्रभाव केवल सीमित क्षेत्र पर पढ़ने लगा सीमित क्षेत्र यानी कि कहने का तात्पर्य यह है कि जो पहले उन्नत था उसी क्षेत्र पर ध्यान दिया जाने लगा इससे क्या हुआ कि एक क्षेत्र में कृषि ज्यादा उत्तम हो गई और दूसरे क्षेत्र में कृषि कम हो गए इसलिए क्षेत्रीय असमानता में वृद्धि हुई
बेरोजगारी में वृद्धि हुई
बेरोजगारी में इस तरीके से वृद्धि हुई थी की हरीत क्रांति के अंतर्गत जिन किसानों के पास पैसा थे उन पैसे से मशीन ले आए और जहां पर मशीन की आवश्यकता थी. जहां पर मजदूरों की आवश्यकता थी अब वह स्थान. मशीनों ने ले लिया इसलिए बेरोजगारी में वृद्धि आई.
व्यक्तिगत विषमाताओं में वृद्धि हुई
Harit Kranti Kya Hai इसके हरित क्रांति का लाभ बड़े किसानों को ही मिला और छोटे किसान इससे दूर ही रहे जैसे अगर हम बात करते हैं हरित क्रांति के अंतर्गत क्षेत्रीय समानताओ के साथ-साथ व्यक्तिगत समानताओ में किस तारीके से वृद्धि हुई वह है जिनके पास ज्यादा पैसा थे
उन्होंने क्या किया कृषि उपकरण खरीद ली उन्नत बीज उर्वरक सिंचाई सुविधाएं इत्यादि जबकि जीन किसान के पास कम पैसा थे उन सामानों को खरीदने में असमर्थ रहे जबकि इन सब को खरीदने में असमर्थ रहे तो क्या हुआ कि बड़े किसान और छोटे किसान के बीच है अंतर पैदा होगा
मृदा अपरदन
मृदा अपरदन हुआ क्या था की इसके नेगेटिव इफेक्ट पड़े.
चूने गए प्रदेशों में
Harit Kranti Kya Hai इस क्रांति के तहत चुने गए प्रदेशों में मिट्टी में लवणता क्षारीय की समस्या आने लगी. क्योंकि ज्यादा सिंचाई करने की वजह से वह जो ऊपरी परत होती है जो कि परत क्या होती है उखड़ कर वापस चली आती है जिसके वजह से क्या होती है कि उर्वरक क्षमता कम हो जाती है. भूमिगत जल स्तर में कमी यानी कि ट्यूबेल का प्रयोग ज्यादा किया गया.
Harit Kranti Kya Hai इस क्रांति के तहत इस लेख को पढ़ चुके है और हरित क्रांति के परिणामों का भी उल्लेख देख चुके है.
हरित क्रांति के कितने चरण है बताइए
Harit Kranti Kya Hai इसके अंतर्गत हरित क्रांति के कितने चरण है यह इस लेख में जानेंगे जो की हरित क्रांति हुई थी वह दो चरण में हुई थी.
प्रथम चरण (1966-67) से 1981 तक चला जिसमे सबसे ज्यादा वृद्धि हुई थी.
और दुसरा चरण में (1981-95) अब इसके अंतर्गत प्रथम चरण को कमियों को दूर किया गया 1987 में सूखे के प्रभाव और खाद पदार्थों के उत्पादन में कमी को ध्यान में रखकर 7वीं पंचवर्षीय योजना का पुर्न-मूल्यांकन करके निर्णय लिया गया कि हरित क्रांति के दूसरे चरण की आवश्यकता है उन सभी को दिया गया जो प्रथम में छोड़ दी गई थी.
द्वितीय चरण में तीन चीजों पर ध्यान दिया गया
जो की यह तिन चीज जो है अति महत्वपूर्ण है चलिए जान लेते है की वह तीन चीज क्या क्या है.
- सिंचाई के लिए भूमि जल के प्रयोग
- शंकर बीज उर्वरको का प्रयोग
- कीटनाशक उत्पादन पर छूट
Harit Kranti Kya Hai और Harit Kranti Kise Kahate Hain – हरित क्रांति की शुरु आत कब और किसने की थी यह पूरा जान गए है जो की अति महत्वपूर्ण है और आप 1857 ki kranti in hindi में पूरा विस्तार से जानना चाहते है तो
FAQ (Harit Kranti Kya Hai Aur Harit Kranti Kise Kahate Hain से सम्बन्धित कुछ सवालो का जवाब )
दोस्तों मैंने आपको उपर Harit Kranti Kya Hai और Harit Kranti Kise Kahate Hain यह तो बता दिया अब हम लोग कुछ सवालो का जवाब जानेंगे जो आपके मन में हो सकती है. यदि कोई और भी सवाल हहो तो आप हमें निचे कमेंट के मध्यम से बता सकती है.
हरित क्रांति क्या है हिंदी में?
उच्च गुणवत्ता वाले बीजों रासायनिक उर्वकों व नहरी सिंचाई पर आधारित कृषि उत्पादन की नवीन प्रक्रिया थी. उर्वकों व नहरी सिंचाई के द्वारा भारतीय कृषि में गत्यात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास किया गया…
भारत में हरित क्रांति के जनक कौन है?
भारत में हरित क्रांति और harit kranti ke janak kaun hai हरित क्रांति का जनक डॉ० M.S स्वामीनाथ को जाना जाता है
हरित क्रांति कब शुरू हुई थी
भारत में हरित क्रांति का प्रारम्भ (1966 – 67) में स्टार्ट हुआ
अंत में क्या-क्या पढ़ा(निष्कर्ष)
प्रिय विधार्थियों अब इस लेख में यह पढ़ा है की इस क्रांति में क्या-क्या हुआ है. यह क्रांति जो Harit Kranti Kya Hai इसकी शुरुआत कैसे होती ही और इस क्रांतिक के जनक किसे कहते है. सारे टॉपिक को इस पोस्ट में पढ़ चुके है. यह जो हरित क्रांतिक है इसकी शुरू आत कहां से हुई और इस क्रांति के क्या-क्या कारण थे. सारे कारण व परिणाम को पढ़ चुके है.