फ्रांसीसी क्रांति कब हुई- France Ki Kranti Notes In Hindi(1789 ई०)

स्टूडेंट इस लेख में पढने वाले है अति महत्वपूर्ण प्रश्न France Ki Kranti Notes In Hindi जो यह क्रांति आपके परीक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण है और इस लेख में फ्रांस की क्रांति के नोट्स देखने को मिलेगा जो आप आसानी से इसे आसान भाषा में समझ सके और इस लेख में मै आपको इस क्रांति से सम्बंधित सारे प्रश्न को देखने वाले है.

जो आपके एग्जाम के लिए अति महत्वपूर्ण है और France Ki Kranti Notes In Hindi इस फ्रांसीसी क्रांति के कारण और परिणाम को भी आसान भाषा में पढने वाले है तो चलिए अब इस लेख को पूरा विस्तार से यह इतिहास को अंत तक पढ़ते है.

  • फ्रांसीसी क्रांति का इतिहास और फ्रांसीसी क्रांति कब हुई
  • फ्रांसीसी क्रांति के कारण
  • यह फ्रांस की क्रांति की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई थी
  • फ्रांसीसी क्रांति के परिणाम
  • अंत में क्या पढ़ा

फ्रांसीसी क्रांति का इतिहास और फ्रांसीसी क्रांति कब हुई- France Ki Kranti Notes In Hindi

अब इस लेख में पढने वाले है अबसे महत्वपूर्ण प्रश्न फ्रांसीसी क्रांति का इतिहास और फ्रांसीसी क्रांति कब हुई थी. इस लेख में आपको सारे टॉपिक को एक-एक कार के कवर करने वाले है जो आपके एग्जाम के लिए अति महत्वपूर्ण है. तो चलिए अब इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते है.

फ्रांसीसी क्रांति का इतिहास:- यूरोप में राष्ट्रवाद की भावना के विकास का सर्वप्रथम परिणाम फ्रांस की 1789 ई की क्रांति में देखने को मिलता है. फ्रांस में राष्ट्रवाद की भावना व्यापक रूप से विकसित हुई जिस समय 1789 ईस्वी में फ्रांस में पहली क्रांति हुई उसमें वहां का राजा लुई सोलहवा था. वह एक निरंकुश शासक था उसे जनता के हितों की कोई परवाह नहीं थी.

फ्रांस में साधारण जनता की दशा अत्यंत खराब थी फ्रांस की आर्थिक स्थिति दयनीय थी लुई सोलहवा पूरी तरह आयोग शासक था. वह अपनी शान शौकत को बनाए रखने के लिए राज्य कोष का दुरुपयोग कर रहा था. देश में कानून भी सबके लिए समान नहीं था इन स्थितियों में ही देश के किसानों, मध्यम वर्ग और साधारण जनता ने राजा और उसके शासन के प्रति असंतोष व्यक्त करना शुरू कर दिया.

इसी के परिणाम स्वरूप 1789 में फ्रांस में क्रांति हुई जिसने ना केवल फ्रांस को वरन समस्त यूरोप को प्रभावित किया. इस क्रांति के कारण ही फ्रांस में राजतंत्र समाप्त हो गया फ्रांस के राजा और उसकी रानी को मौत के घाट उतार दिया गया. यह भी France Ki Kranti Notes In Hindi से सम्बन्धित अति महत्वपूर्ण प्रश्न है.

फ्रांसीसी क्रांति के कारण और प्रभाव क्या है व फ्रांस की क्रांति की शुरुआत किन परिस्थितियों में हुई थी

अब इस लेख में पढने वाले है अति इम्पोर्टेंट टॉपिक France Ki Kranti Notes In Hindi से सम्बन्धित अति महत्वपूर्ण प्रश्न फ्रांसीसी क्रांति के मुख्य कारण क्या थे. इस लेख में यह भी देखने वाले है जो यह क्रांति हुई थी इस क्रांति के प्रभाव क्या-क्या थे और इस लेख को सबसे आसान व सरल भाषा में पढने वाले है जो आपके सभी तरह के परीक्षाओ के लिए अति महत्वपूर्ण टॉपिक है. तो France Ki Kranti Notes In Hindi से सम्बन्धित प्रश्न को पूरा अंत तक पढ़ते है.

  • तात्कालिक कारण
  • अयोग्य शासक
  • आम जनता की दयनीय दशा
  • मजदूर वर्ग की दुर्दशा
  • स्वतंत्रता पर प्रतिबंध

तात्कालिक कारण

तात्कालिक कारण:- अमरीका के स्वतन्त्रता संग्राम में भाग लेने से इस France Ki Kranti Notes In Hindi में फ्रांस की आर्थिक दशा बहुत खराब हो गयी थी. सन् 1788 में भारी अकाल पड़ा और सरकार पर ऋण का भारी बोझ चढ़ गया व कोष खाली हो गया था. राजा ने समस्या को सुलझाने के लिए संसद का सत्र बुलाया और फ्रांस में संसद तो थी, किन्तु उसका सत्र कभी नहीं बुलाया जाता था लेकिन किन्तु अब राजा को विवश होकर उसका सत्र बुलाना पड़ा और वह फ्रांस की संसद स्टेट्स जनरल कहलाती थी.


मई, सन् 1789 में संसद का सत्र आरम्भ हुआ। प्रारम्भ में ही राजा तथा संसद के बीच झगड़ा हो गया और इन्हीं परिस्थितियों में पेरिस (फ्रांस की राजधानी) की जनता ने बास्तील (वैस्टाइल) नाम के पुराने जेलखाने पर धावा बोल दिया था. रक्षा करने वाले सैनिकों की हत्या कर दी और कैदियों को मुक्त कर दिया व इस प्रकार क्रान्ति आरम्भ हो गई थी. यह भी France Ki Kranti Notes In Hindi से महत्वपूर्ण है.

अयोग्य शासक

अयोग्य शासक:-जिस समय फ्रांस में क्रांति हुई उस समय का वहां पर लुई वंश का शासन हुआ था. यह फ़्रांस की क्रांति में इस वंश का लुई सोलहवा ने वहां पर शासन यानि की राज्य कर रहा था. उसे जनता के हितों की कोई परवाह नहीं थी वह अत्यंत जिद्दी स्वभाव वाला राजा था. वह जनता के कल्याण के लिए किसी भी तरह की सुधारों के पक्ष में नहीं था उस के शासनकाल में जनता की दशा अत्यंत दयनीय थी.

आम जनता की दयनीय दशा

आम जनता की दयनीय दशा:- इस क्रांति के समय फ्रांस के कुलीन वर्ग के लोग राजा लुई सोलहवा और दूसरे उच्च वर्ग के धनी लोग विलासिता पूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे थे. उन्हें साधारण जनता और इस मध्यम वर्ग के लोगों से कोई भी सहानुभूति नहीं थी. इस क्रांति में दूसरी ओर आम जनता का भी यही दशा बहुत ही खराब हो चूका था और आम जनता भी एक-एक रोजी-रोटी के लिए भी उधर इथर भटक रहे थे.

मजदूर वर्ग की दुर्दशा

मजदूर वर्ग की दुर्दशा:- फ्रांस में जो छोटे-बड़े उद्योग स्थापित हुए उन में काम करने वाले मजदूरों में भी असंतोष और विद्रोह की भावना का निरंतर विकास हो रहा था. France Ki Kranti Notes In Hindi इस क्रांति उन्हें जो अपने काम के बदले में उचित वेतन यानि की पैसा प्राप्त नहीं होता था. उनके काम के घंटे भी निर्धारित नहीं थे उनके काम करने की दशाएं सुरक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से असंतोषजनक थी. किसी भी दुर्घटना की स्थिति में मजदूरों को कोई मुआवजा नहीं दिया जाता था.

स्वतंत्रता पर प्रतिबंध

स्वतंत्रता पर प्रतिबंध:- इस समय France Ki Kranti Notes In Hindi जो इस क्रांति की सरकार ने जनता पर कई प्रकार की प्रतिबंध लगा रखे थे यहां तक कि उनके धार्मिक विश्वासों पर भी प्रतिबंध थे. वहां पर कैथोलिक और प्रोटेस्टेट वर्ग के लोग भी थे और कैथोलिक धर्म के लोग विलासिता पूर्ण जीवन व्यतीत करते थे. लेकिन दूसरी ओर प्रोटेस्टेट वर्ग के लोगों पर भेदभाव किया जाता था.

नोट:- इस क्रांति से सम्बंधित France Ki Kranti Notes In Hindi फ्रांसीसी क्रांति के कारण कौर क्या-क्या प्रभाव थे हम लोग इस लेख को पढ़ चुके है जो आपके प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए अति महत्वपूर्ण है.

फ्रांसीसी क्रांति के परिणाम क्या-क्या है

अब इस लेख में आपको France Ki Kranti Notes In Hindi से सम्बन्धित अति महत्वपूर्ण प्रश्न है और इस फ्रांसीसी क्रांति के परिणामो के बारे में पूरा विस्तार से पढने वाले है. इस लेख में एक-एक टॉपिक को कवर करने वाले है. जो यह भी आपके एग्जाम के लिए अति महत्वपूर्ण France Ki Kranti Notes In Hindi टॉपिक रहेगा तो चलिए अब इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते है.

  • सामन्तवाद का अन्त
  • शासन व्यवस्था में सुधार
  • निरंकुश राजतन्त्र की समाप्ति
  • नवीन अर्थतन्त्रीय व्यवस्था और स्थापना की
  • समानता और स्वतन्त्रता के विचारों का प्रसार
  • फ्रांस का एक राष्ट्र के रूप में उदय
  • मताधिकार का विस्तार
  • गणतन्त्रीय आदर्शों की स्थापना हुई

सामन्तवाद का अन्त

सामन्तवाद का अन्त: – क्रान्ति के परिणामस्वरूप फ्रांस में सामन्तवाद समाप्त हो गया और सामन्ती शासन के प्रायः सभी नियमों को रद्द कर दिया गया थे. चर्च की भूमि को मध्यम वर्ग ने खरीद लिया व सामन्तों, जागीरदारों तथा उच्च पादरियों के सभी प्रकार के विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया गया.

शासन व्यवस्था में सुधार

शासन व्यवस्था में सुधार:- राष्ट्रीय सभा ने देश की शासन व्यवस्था में सुधार किया और उसने उच्च पदों के लिए योग्यता के आधार पर चुनाव करने की प्रथा को आरम्भ किया और फ्रांस में सबके लिए एक से कानूनों का निर्माण किया गया था.

निरंकुश राजतन्त्र की समाप्ति

निरंकुश राजतन्त्र की समाप्ति:- इस क्रान्ति ने निरंकुश राजतन्त्र को सदैव के लिए समाप्त कर दिया और लुई सोलहवें तथा उसकी रानी को उनके कुकृत्यों के दण्डस्वरूप इस France Ki Kranti Notes In Hindi फाँसी दे दी गयी थी.

नवीन अर्थतन्त्रीय व्यवस्था और स्थापना की

नवीन अर्थतन्त्रीय व्यवस्था और स्थापना की:- उस समय France Ki Kranti Notes In Hindi इस फ्रांस की क्रान्ति का एक बड़ा यह भी स्थायी परिणाम यह निकला कि वहाँ की सामन्ती प्रणाली का उन्मूलन कर उसके जगह पर भी एक नवीन अर्थतन्त्रीय प्रणाली पूँजीवाद की इस फ़्रांस की क्रांति में भी स्थापना हुई थी.

समानता और स्वतन्त्रता के विचारों का प्रसार

समानता और स्वतन्त्रता के विचारों का प्रसार:- फ्रांस की क्रान्ति ने फ्रांस के अतिरिक्त यूरोप के अन्य देशों में भी समानता और स्वतन्त्रता के विचारों का प्रसार किया और यूरोप के विभिन्न देशों में स्वतन्त्रता, समानता तथा भ्रातृत्व के आदर्श वहाँ के क्रान्तिकारियों को प्रेरित करते रहे थे.

फ्रांस का एक राष्ट्र के रूप में उदय

फ्रांस का एक राष्ट्र के रूप में उदय:- उस France Ki Kranti Notes In Hindi यह क्रान्ति ने फ्रांस को एक गौरवशाली राष्ट्र का रूप दिया और प्रभुसत्ता अब फ्रांस की जनता में निहित हो गयी थी.

मताधिकार का विस्तार

मताधिकार का विस्तार:- इस क्रान्ति को सफल बनाने में नगर के निर्धन मजदूरों और किसानों का सर्वाधिक योगदान रहा था. अतः उनके बलिदानों के प्रतिफल में उनके लिए वयस्क मताधिकार की घोषणा की गयी और 1792 ई. में प्रथम बार France Ki Kranti Notes In Hindi यह फ्रांस के इतिहास में निर्धन वर्ग के मजदूरों और किसानों को राजनीतिक अधिकार प्रदान किये गये थे.

गणतन्त्रीय आदर्शों की स्थापना हुई

गणतन्त्रीय आदर्शों की स्थापना हुई:- फ्रांस की क्रान्ति ने इस गणतन्त्रीय आदर्शों की स्थापना कर दिया और इसने यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया कि “जनता के ऊपर कोई भी शासन नहीं हो सकता था. यह केवल एक गणतन्त्र होगा जिसकी सरकार जनता से प्रभुसत्ता या अधिकार प्राप्त करेगी”

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FAQ (France Ki Kranti Notes In Hindi(1789 ई०) से सम्बन्धित कुछ सवालो का जवाब)

अब इस लेख में आपके द्वारा कुछ France Ki Kranti Notes In Hindi से सम्बन्धित महत्वपूर्ण सवालो का जवाब देखने वाले है जो आपके सभी तरह के प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए है. इस लेख को पूरा अंत तक पढ़े.

फ्रांस की क्रांति से आप क्या समझते हैं?

फ्रांस की क्रांति से आप क्या समझते हैं:- फ्रांस की क्रांति मूल रूप से असमानता के विरुद्ध थी और यह क्रांति लुई 16वाँ के शासनकाल में 1789 में हुई थी जिसमे इस क्रांति स्वतंत्रता समानता एवं बंधुत्व के लक्ष्य के साथ शुरु हुई और क्रांति के बाद नई व्यवस्था में व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा राजनीतिक समानता को महत्त्व दिया गया था.

फ्रांसीसी क्रांति के तीन प्रमुख सिद्धांत कौन कौन से हैं?

फ्रांसीसी क्रांति के तीन प्रमुख सिद्धांत कौन कौन से हैं:- क्रांति के समय वहां बोर्वन वंश का शासन था और सामंतवादी समाज के 3 मुख्य वर्गों में विभाजित था.
भू स्वामी वर्ग
धार्मिक वर्ग
मध्यम वर्ग

फ्रांसीसी क्रांति के मुख्य कारण क्या है?

इस क्रांति के मुख्य कारण यह था की तात्कालिक कारण इस क्रांति का कारण था और यह कारण अति महत्वपूर्ण कारण माना जाता है.

अंत में क्या पढ़ा

अब इस लेख में आपको बताने वाले है की France Ki Kranti Notes In Hindi से सम्बन्धित अति महत्वपूर्ण टॉपिक इस लेख में हमने क्या-क्या पढ़ा है देखिए इस लेख में हमने फ्रांसीसी क्रांति का इतिहास के बारे में पढ़ चुके है और इसका कारण क्या-क्या था व परिणाम क्या-क्या निकला सारे इस लेख में पढ़ चुके है. जो आपके एग्जाम के लिए है.

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