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PDF Name | Class 12 History Chapter 2 Notes In Hindi |
PDF Size | 45.9 KB |
Language | Hindi |
Pages | 24 |
Quality | High |
Category | History |
Exam | Class 12th |
Price | Free |
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विस्तार से Class 12 History Chapter 2 Notes In Hindi में
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बैदिक सभ्यता
बैदिक सभ्यता की आरंभिक अवधि और समाप्ति की निर्धारण में कुछ विवाद है, लेकिन आमतौर पर इसे द्वापर युग (ब्रोंज आयु) के आरंभ से महाभारत काल तक (लगभग 1500 ईसा पूर्व – 600 ईसा पूर्व) के बीच का समय माना जाता है. इस समय के वेदों, ब्राह्मणों, आर्यों और उपनिषदों के लेखों में बैदिक सभ्यता के धर्म, सामाजिक व्यवस्था और जीवन शैली का विवरण मिलती है. पाठ राजा किसान और नगर से सम्बन्धित बैदिक सभ्यता के कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएँ निचे निम्नलिखित है.
- वेद: इस सभ्यता के मूल धर्म वेदों पर आधारित था. चार प्रमुख वेद हैं – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद है. वेदों में धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान का भंडार होता था.
- यज्ञ और हवन: बैदिक सभ्यता में यज्ञ और हवन का महत्वपूर्ण स्थान था. यज्ञों के माध्यम से देवताओं की पूजा की जाती थी और आग्निकुंड में आहुतियाँ दी जाती थीं.
- वर्ण व्यवस्था: बैदिक समाज में वर्ण व्यवस्था प्रमुख थी, जिसमें चार वर्ण थे – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र.
- जाति प्रथा: इस समय की सभ्यता में जाति प्रथा भी मौजूद थी, जिससे लोगों का सामाजिक स्थान और कार्य तय होता था.
- संस्कृत भाषा: संस्कृत बैदिक सभ्यता की मुख्य भाषा थी और यह भाषा वेदों का लिखा गया था.
महापाषाण काल
महापाषाण काल प्रागैतिहासिक काल का एक महत्वपूर्ण अध्याय है जो भारतीय इतिहास का हिस्सा माना जाता है. यह काल लगभग 7000 ईसा पूर्व से 2000 ईसा पूर्व के बीच का समय स्पष्ट करता है और इसकी मुख्य पहचान यह है की महाजनपदों का उत्थान और पाषाण उपकरणों के प्रयोग के साथ होती थी. इसके बारे में विस्तार से निचे निम्नलिखित दिया गया है.
महाजनपदों का उत्थान: महापाषाण काल में भारत में अनेक महाजनपद उत्थित हुए थी. जैसे कि मगध, कोसल, वत्स, आंग, मल्ल, वज्जी, चेदी, विदर्भ, उरू, अवन्ति, व्रजि और काशी आदि थे. ये महाजनपद स्वतंत्र राज्यों के रूप में विकसित हुए और उनके बीच युद्ध और संघर्ष भी होते थे.
पाषाण उपकरणों का प्रयोग: महापाषाण काल में पाषाण औजारों का प्रयोग महत्वपूर्ण था. इस समय के लोग चक्कुओं, हथौड़ियों, बन्दूकों और अन्य उपकरणों के निर्माण में पाषाण का उपयोग करते थे.
गुफाएं और चित्रकला: महापाषाण काल के साथ गुफाएं खोदने का अभियान शुरू हुआ और इन गुफाओं में चित्रकला का प्रारंभ हुआ था. गुफा परिचय का भी यह समय था.
पूर्वाग्रही धार्मिक अवधारणाएँ: महापाषाण काल में धार्मिक अवधारणाओं का आदान-प्रदान हुआ और पूजा की प्रथाओं की शुरुआत हुई थी.
पुरातात्विक खोज: इस काल में पुरातात्विक खोज का प्रारंभ हुआ और इसने हमें इस समय की सामाजिक और सांस्कृतिक धाराओं के बारे में ज्यादा जानकारी प्रदान की थी.
महापाषाण काल का समय भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण चरण माना जाता था. जिसने भारतीय सभ्यता के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया था.
महापाषाण काल में नई परिवर्तन हुए
महापाषाण काल में नए परिवर्तनों ने भारतीय सभ्यता में महत्वपूर्ण बदलाव लाया था. इस पाठ के राजा किसान और नगर के कुछ नए परिवर्तनों के बारे में विस्तार से निचे बताया गया है.
अनुपाचार्या व्यवस्था: महापाषाण काल में अनुपाचार्या व्यवस्था का प्रारंभ हुआ था. जिसमें गुरुकुलों में छात्रों ने गुरु के पास जाकर विद्या प्राप्त करते थे. इससे शिक्षा और विद्या का प्रचार-प्रसार बढ़ा था.
गणराज्य प्रणाली: कुछ स्थलों पर महापाषाण काल में गणराज्य प्रणाली की शुरुआत हुई थी. जिसमें ग्राम सभा और जनसभा के माध्यम से सार्वजनिक मुद्दों का प्रबंधन किया जाता था.
उद्यान खेती: महापाषाण काल में उद्यान खेती का प्रारंभ हुआ और फसलों की विविधता बढ़ी हुई थी. इससे खाद्य संसाधनों का विकास हुआ और भोजन की समृद्धि हुई थी.
शिल्पकला और औद्योगिकता: पाषाण उपकरणों के उपयोग के साथ ही शिल्पकला और औद्योगिकता में वृद्धि हुई. इसने वस्त्र, आभूषण और गहनों के निर्माण को बढ़ावा दिया.
आदिम कला का विकास: आदिम कला का विकास भी महापाषाण काल में भी हुआ था जैसे कि चित्रकला, मूर्ति कला और चित्रित खगोल ज्ञान इत्यदि.
व्यापार और व्यवसाय: इस समय पर व्यापार और व्यवसाय का भी विकास हुआ और व्यापारिक संबंध बढ़े थे. यह व्यक्तिगत और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा दिया.
महापाषाण काल ने भारतीय सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिपरिणाम दिए. यह समय भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय है जो हमारे समझने के लिए महत्वपूर्ण है.
अभिलेख क्या है
अभिलेख एक ऐसा लिखित या रिकॉर्ड किया जाने वाला दस्तावेज़ होता है जिसमें किसी घटना, समय, स्थान, व्यक्ति, या विचार की जानकारी दर्ज की जाती है. यह लिखित दस्तावेज़ समय के साथ इतिहास और जानकारी की एक मूल श्रोत के रूप में कार्य करता है और विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग होता है.
जैसे कि इतिहास, कानून, प्रशासन और अन्य. यह अभिलेखों में व्यक्ति या संगठन द्वारा बनाए गए रिकॉर्ड्स, पत्र, पुस्तकें, लेख, डॉक्यूमेंट्स और अन्य लिखित स्रोत शामिल किया जाता था. उदाहरणों में यह देखा गया की
अब्बासी राजवंश के मुद्राक्षर: इस अभिलेख के माध्यम से लगभग 250 ईसा पूर्व के अब्बासी राजवंश के मुद्राक्षर दिखाए जा सकते हैं, जिनमें अक्षर ‘अ’ का प्रकार दिखाया जा सकता है.
गुप्त साम्राज्य के शिलालेख: गुप्त साम्राज्य के अभिलेखों में 500 ईसा पूर्व के आस-पास के काल की जानकारी हो सकती है और यह सामग्री उनके समय की जीवनशैली और शासन के प्रमुख पहलुओं को सूचित कर सकती है.
अभिलेख विभिन्न सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अध्ययनों के लिए महत्वपूर्ण स्रोत होते हैं और हमें गुजरे समय की जानकारी प्रदान करते हैं. साथ ही अभिलेखों में उन लोगों की उपलब्धियों, क्रियाकलापों या विचारों का विवरण लिखा जाता है जो उन्हें बनाते हैं.
इनमें राजाओं के क्रियाकलाप तथा महिलाओं और पुरुषों द्वारा धार्मिक संस्थाओं को दिए गए दान का विवरण भी होता है. अभिलेख एक प्रकार से स्थायी प्रमाण होते हैं. कई अभिलेखों में इनके निर्माण की तिथि भी खुदी जाती है, जिन पर तिथि नहीं मिलती हैं.
जेम्स प्रिंसेप और भारतीय अभिलेख
जेम्स प्रिंसेप भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे, जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 1830 में, जेम्स प्रिंसेप ने भारतीय अभिलेख की स्थापना की जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समर्थकों के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता था.
भारतीय अभिलेख, जो 1830 में प्रारंभ हुई एक अंग्रेजी और हिंदी में प्रकाशित होने वाली साप्ताहिक पत्रिका थी. जिसका उद्देश्य था भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की समर्थन करना और लोगों को साम्राज्यवाद के खिलाफ जागरूक करना. इसमें गुप्तचर अभिलेख, समाचार, लेख और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समर्थकों की रचनाएँ शामिल थीं.
जेम्स प्रिंसेप के प्रेरणास्पद पत्रिका भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम बनी और लोगों को समर्थन और जागरूक किया. इसके माध्यम से वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण घटनाओं और विचारों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते थे और इसके माध्यम से उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम को अधिक लोगों तक पहुँचाया.
जेम्स प्रिंसेप की भारतीय अभिलेख पत्रिका ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसका इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान माना जाता था.
महाजनपदों का शासन
महाजनपदों का शासन भारतीय इतिहास के प्राचीन काल में महत्वपूर्ण था. महाजनपद शब्द का अर्थ होता है “बड़ा गणराज्य” और ये भारतीय उपमहाद्वीप पर विभिन्न स्थानों पर स्थित थे. इनका उल्लेख मुख्यत: महाभारत और जैन और बौद्ध धर्मग्रंथों में मिलता है.
महाजनपदों का समय लगभग 6वीं से 4वीं सदी ईसा पूर्व के आस-पास है, और इनमें कई महत्वपूर्ण गणराज्य शामिल थे. जैसे कि आप निचे देख सकते है जो निम्नलिखित दिया गया है.
मगध: मगध महाजनपद भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण गणराज्य का हिस्सा माना जाता था और इसका राजा जरासंध महाभारत के कथानक काव्य में उल्लिखित है. यह गणराज्य प्राचीन भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और महाभारत की कहानी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
जरासंध के साथ कई महत्वपूर्ण घटनाएं और संघर्ष जुड़े थे. जो महाभारत के कथानक में विस्तार से वर्णित हैं. इससे समझा जा सकता है कि मगध और उसके राजा का इतिहास भारतीय साहित्य और सम्राटों के आत्मकथाओं में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
वत्स: वत्स महाजनपद का उल्लेख महाभारत में होता है और यह विशेषत: कौरव पांडवों के संबंध में प्रसिद्ध था.
कौशल: कौशल गणराज्य भी महाभारत में उल्लिखित है और इसका उल्लेख भगवद गीता में भी होता है.
मल्ल: मल्ल महाजनपद का उल्लेख महाभारत में होता है और यह आरण्यकांड के घटनाओं के साथ जुड़ा था.
महाजनपदों के गणराज्यों में विभिन्न प्रकार के शासकीय तंत्र थे और इनके बीच समझौते और संघर्ष भी होते थे. इनमें कुछ गणराज्य बड़े थे जबकि कुछ छोटे थे और ये समय के साथ बदलते रहते थे. महाजनपदों का समय भारतीय इतिहास में गुप्त साम्राज्य के पूर्व से प्राचीन काल के रूप में जाना जाता है और इसका अध्ययन हमें भारतीय समाज और संगठन के प्राचीन रूप के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है.
मगध की राजधानी क्या है
मगध की राजधानी प्राचीनकाल में राजगृह था. यह एक प्रमुख महाजनपद था जो भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. राजगृह, जो आजकल बिहार राज्य के पटना शहर के पास है. मगध साम्राज्य की राजधानी थी और यहाँ से मगध के शासक अपने साम्राज्य का प्रशासन करते थे.
मगध साम्राज्य भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण था और इसका समय सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य और उसके पुत्र सम्राट अशोक के शासन काल के रूप में जाना जाता है. चंद्रगुप्त मौर्य ने मगध से आगे कई भागों को जीतकर मौर्य साम्राज्य की नींव रखी और अशोक ने इसके शांति और धर्म के प्रचार का कार्य किया.
मगध की राजधानी राजगृह के चारों ओर से प्राचीन किलों और स्मारकों की खोज होती है. जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं. आजकल पटना बिहार की राजधानी है, जो कि प्राचीन राजगृह के निकट स्थित है और मगध के प्राचीन इतिहास के साक्षर प्रमुख स्थलों में से एक थी.
मौर्य सम्राज्य का इतिहास
मौर्य सम्राज्य भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण साम्राज्य था, जिसका समय लगभग 4वीं सदी ईसा पूर्व से शुरू होकर 2वीं सदी ईसा पूर्व के आस-पास था. मौर्य सम्राज्य का इतिहास निम्नलिखित रूप से निचे दिया गया है.
स्थापना: मौर्य सम्राज्य का संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य था. जिन्होंने 4वीं सदी ईसा पूर्व में सम्राट बने और प्राचीन भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. चंद्रगुप्त मौर्य ने पहले यानि की प्रथम मगध साम्राज्य के एक सिपाही के रूप में शुरू यानि की भूमिका निभाया था. लेकिन उन्होंने अपनी क्षमताओं और नेतृत्व के साथ मगध को एक बड़े साम्राज्य में बदल दिया.
अशोक का शासन: मौर्य सम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध शासक अशोक थे जिनका शासन 3वीं सदी ईसा पूर्व में था. अशोक ने अपने शासनकाल के रूप में ही बौद्ध धर्म का प्रसार किया था और प्राचीन अभिलेखों (शिलालेख) के माध्यम से धर्मिक संदेशों का प्रचार यानि की जागरूक किया. उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान अनेक स्तूप बनवाए जो भारतीय बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण स्थल थे.
अपक्रान्ति: मौर्य सम्राज्य की उन्नति के बाद इसका समयी शृंगाल ग्रीक साम्राज्यकाल के अंत में अपक्रान्ति के रूप में हुआ.
धर्म: मौर्य सम्राज्य के समय बौद्ध और जैन धर्म ने फैलाया और अशोक के समय में बौद्ध धर्म का विशेष प्रसार हुआ.
मौर्य सम्राज्य के शासक अशोक के शासनकाल में भारतीय सुप्राष्ट्रीय संगठन का विकास हुआ और उन्होंने अपने धर्मिक संदेशों का प्रचार किया. इसके बाद के समय में मौर्य सम्राज्य का पतन हो गया था. लेकिन इसका इतिहास भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण है और यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक संगठन की शुरुआत को दर्शाता है.
समकालीन रचनाएं
मौर्य सम्राज्य के समकालीन रचनाएं भारतीय सांस्कृतिक और कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण थीं और उन्होंने उस समय की सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक परिपेक्ष्य को प्रकट किया. मौर्य सम्राज्य की कुछ मुख्य समकालीन रचनाएं निचे निम्नलिखित हैं.
अशोक के अभिलेख: सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए अभिलेख (शिलालेख) मौर्य सम्राज्य के समकालीन रचनाओं में सबसे महत्वपूर्ण माने जाते हैं. इन अभिलेखों में अशोक अपने धर्मिक संदेशों का प्रचार करते हैं और अपने साम्राज्य के प्रशासनिक कार्यों का वर्णन करते हैं. इनमें स्तूप, बिहार और अन्य धार्मिक स्थलों के निर्माण किया गया था.
संगीत और नृत्य: मौर्य समय में संगीत और नृत्य का प्रचलन था. उस समय के लोगों के जीवन में संगीत का बहुत बड़ा महत्व माना जाता था और विभिन्न म्यूजिकल पर आधारित धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता था.
विद्या: मौर्य सम्राज्य में शिक्षा का महत्व था और अनेक विश्वविद्यालयों और गुरुकुलों का संचालन होता था. इसके परिणामस्वरूप विभिन्न विषयों में ग्रंथों का रचना हुआ, जिनमें ज्योतिष, धर्मशास्त्र, कला और अन्य विषयों का अध्ययन किया जाता था.
कला और शिल्पकला: मौर्य सम्राज्य में सुंदर शिल्पकला के उदाहरण मिलते हैं. जैसे कि स्तूप और स्तूप की शिल्पकला जो धार्मिक स्थलों की सुंदरता को प्रकट करती थी.
राजनीतिक ग्रंथ: मौर्य समय में राजनीतिक ग्रंथों का लेखन हुआ था, जो शासन और राजनीतिक विचारों को विवरणित करते थे.
मौर्य सम्राज्य के समकालीन रचनाएं उन दिनों के जीवन, संस्कृति और सामाजिक परिपेक्ष्य को प्रकट करती हैं और इस सामयिक काल की महत्वपूर्ण घटनाओं का पता लगाने में मदद करती हैं.
मौर्य सम्राज्य का पतन
मौर्य सम्राज्य का पतन विभिन्न कारणों के संयोजन से हुआ था. इसके पतन के पीछे कुछ मुख्य कारण आपको निचे निम्नलिखित भागो में सबसे सरल व आसान भाषा में दिया गया है.
सम्राट अशोक की मृत्यु: सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद मौर्य सम्राज्य की असमंजस और दुर्बल हो गई थी. अशोक के पुत्र और पोतों के बीच की युद्ध की कई कहानियां हैं और इससे सम्राज्य का विभाजन हुआ.
अपक्रान्ति: इस समय ग्रीक सम्राट शृंगाल भारतीय उपमहाद्वीप में आक्रमण करने आए और उनके साथी किंग्डम्स भी अपक्रान्ति कर लिए. इससे मौर्य सम्राज्य का भूगोलिक क्षेत्र कम हो गया और सत्ताधारी अधिकारीयों का स्थान स्थायी बन गया.
अंतर्नाद और विभिन्न राजा: मौर्य सम्राज्य के पतन के बाद भूपल और राजा ने विभिन्न क्षेत्रों में स्वतंत्र राज्य बना लिए जिससे सम्राज्य का एकत्रितता हरित हो गया.
बौद्ध और जैन धर्म की उन्नति: इस समय बौद्ध और जैन धर्म का प्रसार और उनके त्यागी समुदायों की बढ़ती शक्ति ने सम्राज्य को कमजोर बना दिया था क्योंकि ये धर्म राजा और सत्ताधारीयों के प्रति आपसी टकराव यानि मी लड़ाई का कारण बना
ब्राह्मण पाण्ड्य और मेगस्थनीज की रिपोर्ट: यूनानी यात्री मेगस्थनीज और ब्राह्मण पाण्ड्य की रिपोर्टों में मौर्य सम्राज्य की सांविदानिकता की कमी और समाज में दिखाई देने वाली कुछ तंत्रिक आचरणों का उल्लेख किया गया था. जिससे सम्राज्य का प्रसारण रुक गया.
वायुदेव और अन्य आक्रमणकारी राजाओं के हमले: वायुदेव और अन्य आक्रमणकारी राजाओं के आक्रमण ने मौर्य सम्राज्य को और अधिक कमजोर किया और उसकी अस्तित्व को खतरे में डाल दिया.
गुप्त काल का इतिहास Class 12 History Chapter 2 Notes In Hindi
गुप्त साम्राज्य (गुप्त वंश) भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण कालांतर है. जिसका समयावधि लगभग 4वीं से 6वीं सदी ईसा पूर्व तक था. यह कालांतर भारतीय इतिहास के सुनहरे युगों में से एक है, जिसमें विज्ञान, कला, संस्कृति, और धार्मिक धारा के क्षेत्र में उच्चतम उपलब्धियां हुईं. गुप्त साम्राज्य के कुछ मुख्य बिंदु निचे निम्नलिखित दिया गया है.
स्थापक: गुप्त साम्राज्य का संस्थापक गुप्त वंश के चंद्रगुप्त I थे. जिन्होंने अपने शासन के दौरान भारत के बड़े हिस्से को एकत्र किया और मौर्य सम्राटों के विरुद्ध सफल युद्ध लड़े. वे पटलिपुत्र (सवाई माधोपुर, मोड़ेरा, पाकिस्तान) को अपनी राजधानी बनाए और अपने शासकीय क्षेत्र को विस्तारित किया.
चंद्रगुप्त II (विक्रमादित्य): चंद्रगुप्त I के पोते चंद्रगुप्त II, जिन्हें विक्रमादित्य के नाम से भी जाना जाता है. ने गुप्त साम्राज्य की शानदार स्थिति को और भी मजबूत किया. उन्होंने गुप्त साम्राज्य के सुनहरे काल की शुरुआत की और भारतीय सुप्राष्ट्रीय संगठन को विकसित किया.
कला और संस्कृति: गुप्त साम्राज्य का कला और संस्कृति क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान था. गुप्त काल के वास्तुकला का प्रमुख उदाहरण है खजुराहो, आजंता और एलोरा के गुफाएं और गुप्त साम्राज्य के शिल्पकला का विकास हुआ. संस्कृत भाषा का प्रयोग इस काल में बड़े पैमाने पर हुआ और संस्कृत साहित्य का विकास हुआ.
धर्म: गुप्त साम्राज्य में हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म के प्रति सहयोगपूर्ण अभिवादन था. गुप्त सम्राज्य के शासक धर्म की सुन्दर प्रतिष्ठा को बढ़ावा देते थे और धर्मिक यज्ञों का आयोजन करते थे. इसके अलावा, बौद्ध धर्म के प्रति भी सहयोग दिखाया गया और बौद्ध महात्मा हिएन संस्कृत काव्य साहित्य के अग्रणी व्यक्ति थे.
विज्ञान और गणित: गुप्त सम्राज्य में विज्ञान और गणित के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान हुआ. ब्राह्मगुप्त जो गुप्त वंश के शासक विक्रमादित्य के दरबारी थे. वे गणित के क्षेत्र में काम किया और “ब्राह्मस्फुटसिद्धांत” नामक गणितशास्त्र का निर्माण किया था.
व्यापार और व्यवसाय: गुप्त सम्राज्य व्यापार और व्यवसाय के क्षेत्र में भी सक्षम था. विदेशी व्यापारिकों के साथ व्यापार करने के लिए सड़कों और समुंदर मार्गों का विकास हुआ और सोने और मसालों का व्यापार गुप्त साम्राज्य को संग्रहण की दिशा में मदद करता था.
गुप्त साम्राज्य भारतीय इतिहास में एक स्वर्णकाल के रूप में जाना जाता है. जिसके दौरान विज्ञान, कला और संस्कृति का विकास हुआ और भारतीय समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उन्नति हुई. इस समय के सांस्कृतिक और धार्मिक योगदान ने भारतीय इतिहास को आगे बढ़ाया और गुप्त साम्राज्य को एक महत्वपूर्ण स्थान पर ले गया.
प्रिय स्टूडेंट आप सभी को राजा किसान और नगर इतिहास से सम्बन्धित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न गुप्त काल का इतिहास के बारे में समझाया हूँ. यह सबसे सरल व सबसे आसान भाषा में है. आप सभी के आने वाले एग्जाम में भी इस तरह के प्रश्न पूछे जा सकते है.
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सिक्के और राजा
सिक्के और राजा के बीच गहरा संबंध हमारे इतिहास में हमेशा से रहा है. सिक्कों का उपयोग मुद्रा के रूप में होता है और राजा या साम्राज्य की सत्ता और स्थिति को प्रकट करने का माध्यम बनते हैं.
सिक्के का प्रारूप: सिक्के एक प्रकार के मैटलिक पत्तियों का होते हैं. जिन पर राजा या साम्राज्य के प्रतीक और संदेश छापे जाते हैं. इन पत्तियों की मुद्रा के रूप में उपयोग होता है जिसके माध्यम से व्यापार, खरीददारी और आर्थिक लेन-देन होता है.
राजा की प्रतिष्ठा: सिक्के राजा की प्रतिष्ठा को प्रकट करने का माध्यम होते हैं. सिक्कों पर राजा का मुख, नाम और अन्य प्रतीक छापे जाते हैं. जो उनकी सत्ता और आदर्श को प्रकट करते हैं.
राजा का सामर्थ्य: सिक्का राजा के सामर्थ्य और वित्तीय स्थिति को यह सिक्का दर्शाते है. राजा की शिक्षा, सैन्य और अन्य गुणों की प्रशंसा सिक्कों पर छापे जाते हैं.
साम्राज्य का प्रसार: राजा अक्सर अपने साम्राज्य के विस्तार को प्रकट करने के लिए अपने सिक्कों पर अपने साम्राज्य के अतीत और वर्तमान के महत्वपूर्ण घटनाओं के प्रतीक छापते थे.
मुद्रास्फीति: सिक्के का मौद्रिक मूल्य और उपयोग किसी समय की मुद्रास्फीति की प्रतीक होता है. राजा अक्सर सिक्कों की मूद्रास्फीति को नियंत्रित करते थे ताकि सोने और चांदी की कड़ी संकट से बचा जा सके.
इस प्रकार सिक्के और राजा के बीच का संबंध सम्राटों और साम्राज्यों के समाज में उनकी प्रतिष्ठा और सत्ता को प्रकट करने का माध्यम बनता था और यह आर्थिक और सांस्कृतिक विकास के प्रतीक के रूप में भी महत्वपूर्ण था.
Class 12 History Chapter 2 Notes का वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रिय स्टूडेंट अब इस लेख में कुछ महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न Class 12 History Chapter 2 Notes In Hindi में प्रश्नों का उत्तर देखने वाले है. यह सभी आपके परीक्षा में 1 से 2 अंक में आ सकता है. इस लिए आपको Class 12 History Chapter 2 Notes In Hindi PDF में भी राजा किसान और नगर से वस्तुनिष्ठ प्रश्न और उत्तर दिया हूँ.
प्रश्न: क्या आप जानते है की महाजनपदों का नामकरण किसने किया?
a) चंद्रगुप्त मौर्य
b) अशोक
c) मेगस्थनीज
d) हर्षवर्धन
उत्तर: c) मेगस्थनीज
प्रश्न: क्या आप जानते है की महाजनपद काल के आरै और उज्जैनी महाजनपद किस समय के हैं?
a) वैदिक काल
b) गुप्त काल
c) मौर्य काल
d) आदि काल
उत्तर: a) वैदिक काल
प्रश्न: क्या आप जानते है की आर्य कैसे अपनी आर्थिक संगठना को बढ़ावा देते थे?
a) गोवंश पालन
b) व्यापार
c) सुप्रभात व्रत
d) सैन्य प्रशासन
उत्तर: a) गोवंश पालन
प्रश्न: क्या आप जानते है की उज्जैनी का सम्बंध किस धार्मिक महकुंभ से है?
a) महाकुम्भ मेला
b) कुमारिल ब्यास मेला
c) प्रयाग मेला
d) कुम्भकर्ण मेला
उत्तर: a) महाकुम्भ मेला
प्रश्न: क्या आप जानते है की आर्य और उज्जैनी महाजनपद का एक प्रमुख उद्देश्य क्या था?
a) विज्ञान और गणित का अध्ययन
b) धार्मिक अनुष्ठानों का संरक्षण
c) व्यापार और व्यवसाय का विकास
d) राजा की प्रतिष्ठा बढ़ाना
उत्तर: c) व्यापार और व्यवसाय का विकास
प्रश्न: क्या आप जानते है की मेगस्थनीज किस देश के यूनानी यात्री थे?
a) भारत
b) चीन
c) ईरान
d) तुर्की
उत्तर: a) भारत
प्रश्न: क्या आप जानते है की महाजनपद काल के दौरान किसका प्रचलन था?
a) विज्ञान
b) प्राकृत भाषा
c) संस्कृत भाषा
d) यूनानी
उत्तर: c) संस्कृत भाषा
प्रश्न: क्या आप जानते है की उज्जैनी किस नदी के किनारे स्थित है?
a) गंगा
b) यमुना
c) कृष्णा
d) शिप्रा
उत्तर: d) शिप्रा
यह आपको कुछ इम्पोर्टेंट MCQ Class 12 History Chapter 2 Notes In Hindi में प्रश्न और उत्तर आपकी तैयारी में मददगार साबित हो सकती है. कृपया ध्यान दें कि इन राजा किसान और नगर प्रश्नों का उद्देश्य सीखने और स्वाध्याय करने के लिए है और आपके स्कूल या बोर्ड परीक्षा के पैटर्न पर भी आधारित प्रश उत्तर है.
निष्कर्ष
प्रिय स्टूडेंट आज के इस लेख में हम लोग Class 12 History Chapter 2 Notes In Hindi में सबसे अच्छे व सरल भाषा में पढ़ चुके है. साथ ही आप लोगो को इसका “Class 12 History Chapter 2 Notes In Hindi PDF” भी मिल चूका होगा. जो यह सभी प्रश्न आपके आने वाले परीक्षाओ के लिए अति महत्वपूर्ण है. इस पाठ राजा किसान और नगर से कई प्रश्नों का उत्तर विस्तार से पढ़ चुके है.
राजा: राजा सम्राटों और राजाओं का पद होता है जो एक देश या क्षेत्र के शासक होते हैं. वे राज्य की सत्ता को प्रबंधन करते हैं और अक्सर राजा के पास बड़ा आदर्श और प्रतिष्ठा होती है.
किसान: किसान कृषि कार्यों के लिए जाने जाते हैं और वे खेती करते हैं. किसान का काम फसलें उगाना और खेतों का देखभाल करना होता है. वे खाद्य सामग्री का प्राप्त करने में मदद करते हैं और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण होते हैं.
बैदिक सभ्यता: बैदिक सभ्यता एक प्राचीन भारतीय सभ्यता थी जो वैदिक साहित्य के माध्यम से जानी जाती है. इस सभ्यता का आधार वेदों पर था और इसमें यज्ञ, ध्यान और धर्म के महत्वपूर्ण प्रतिक्रियाएं थीं.
अभिलेख: अभिलेख उसे कहते हैं जो पत्थर, धातु या मिट्टी के बर्तन जैसे सामानों पर लिखा होता है. अभिलेखों में उन लोगों की उपलब्धियों, क्रियाकलाप या विचार लिखे जाते हैं जो उन्हें बनवाते हैं.
महाजनपदों का शासन: महाजनपदों का शासन क्षेत्रीय स्तर का था जिसमें कई महाजनपद अलग-अलग राजाओं द्वारा प्रबंधित होते थे. इन महाजनपदों के बीच आपसी संघर्ष और संघर्ष भी होता था.
मौर्य सम्राज्य का इतिहास: मौर्य सम्राज्य भारत का एक प्रमुख सम्राट का साम्राज्य था. जिसकी स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा 4 वीं सदी ईसा पूर्व में की गई थी. इस सम्राज्य का इतिहास महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके दौरान भारतीय सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण योगदान हुआ.
FAQs (Class 12 History Chapter 2 Notes In Hindi PDF Download)
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प्रश्न: मौर्य वंश का आरंभ कैसे हुआ?
उत्तर: मौर्य वंश का आरंभ चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा किया गया था, जिन्होंने नंद वंश के अंधक को पराजित किया और मौर्य सम्राज्य की नींव रखी.
प्रश्न: मौर्य सम्राज्य का क्षेत्रफल क्या था?
उत्तर: मौर्य सम्राज्य का क्षेत्रफल विस्तारणशील था और यह बड़े हिस्से में भारतीय उपमहाद्वीप को शामिल करता था.
प्रश्न: मौर्य सम्राज्य के प्रमुख शासक कौन-कौन थे?
उत्तर: मौर्य सम्राज्य के प्रमुख शासक चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक मौर्य और सम्राट बिंदुसार थे.
प्रश्न: अशोक का सुधारकार किसे कहा जाता है?
उत्तर: अशोक मौर्य को सम्राज्य का सुधारकार कहा जाता है क्योंकि उन्होंने अपने शासनकाल में धर्म के प्रचार और समाज के सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए.