औद्योगिक क्रांति के कारण और परिणाम- Audyogik Kranti Kya Hai-(18 वीं शताब्दी)

प्रिय स्टूडेंट इस लेख में विश्व के इतिहास के अंतर्गत महत्वपूर्ण टॉपिक Audyogik Kranti Kya Haiऔद्योगिक क्रांति के कारण और परिणाम क्या-क्या है. इस लेख में पढने वाले है. तो चलिए इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते है.

  • औद्योगिक क्रांति से आप क्या समझते हैं
  • इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति
  • तात्कालीन समय के प्रमुख अविष्कार.
  • औद्योगिक क्रांति के प्रभाव
  • कारण और परिणाम
  • निष्कर्ष

औद्योगिक क्रांति की विशेषताएं लिखिए- Audyogik Kranti Kya Hai In Hindi

इस Audyogik Kranti Kya Hai व पृष्ठभूमि की विशेषताएं निम्नलिखित है.

  • औद्योगिक क्रांति से आप क्या समझते हैं
  • पृष्ठभूमि
  • औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम कहाँ और कब प्रारंभ हुई
  • औद्योगिक क्रांति का नाम
  • शब्द का प्रयोग
  • प्रमुख अविष्कार

औद्योगिक क्रांति से आप क्या समझते हैं

औद्योगिक क्रांति से आप क्या समझते हैं:- इस Audyogik Kranti Kya Hai यानि की औद्योगिकीकरण का यह तात्पर्य है की उद्योगों के विकास है. 18 वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध मे विभिन्न यूरोपीय देशों मे तकनीकी व मशीनी अविष्कार ने उत्पादन के तरीके मे व्यापक परिवर्तन लाया. जिसमें आर्थिक क्षेत्र के साथ साथ सामाजिक व सांस्कृतिक स्वरूपों मे भी परिवर्तन किया इसे ही औद्योगिक क्रांति कहा गया.

यूरोप, विशेषकर इंगलैंड से शुरू हुआ यह क्रांति शीघ्र ही पूरे विश्व मे फंस गया. औद्योगिक क्रांति शब्द प्रयोग सर्वप्रथम अर्नाल्ड टायनबी द्वारा अपने पुस्तक Lecture on the Industrial Revolution in England मे किया गया था. यह क्रांति वस्त्र उद्योग के मशीनीकरण से औद्योगिक क्रांति प्रारंभ हुआ. तत्कालीन विश्व मे वस्त्र उद्योग कच्चा माल, रोजगार, पूंजी, लाभ आदि की दृष्टि से सबसे विस्तृत उद्योग था, यही वजह थी कि नए अविष्कारों का प्रयोग वस्त्र उद्योग के मशीनीकरण के लिए ही किया गया था.

पृष्ठभूमि

पृष्ठभूमि:- 17 वीं शताब्दी के प्रारंभ से ही कई यूरोपीय देशों ने दुनिया के अन्य देशों पर अपनी मजबूत नौसेना के बदौलत अधिकार करना प्रारंभ कर दिया, जिसका मुख्य मकसद व्यापार करना था. व्यापार मे वृद्धि व लाभ के कारण किसान वर्ग भी खेती छोड़ इस ओर आकर्षित हुए.

श्रमिकों की संख्या मे काफी वृद्धि हुई, औपनिवेशों से कच्चे माल की अत्यधिक आपूर्ती होने लगी. शहरीकरण होने लगा, लोगों की मांग बढ़ती गई और नए अविष्कारों ने सम्मिलित रूप से औद्योगिक क्रांति का सूत्रपात किया गया.

औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम कहाँ और कब प्रारंभ हुई

औद्योगिक क्रांति सर्वप्रथम कहाँ और कब प्रारंभ हुई:- यह औद्योगिक क्रांति अठारहवीं शताब्दी में औद्योगिक क्रान्ति सर्वप्रथम इंग्लैण्ड में प्रारम्भ हुई थी क्योंकि इंग्लैण्ड में लोहे व कोयले के अपार भण्डार थे. इंग्लैण्ड में सबसे ज्यादा यह दो चीजे पहला लोहे दूसरा कोयले सबसे ज्यादा पाया जाता है.

औद्योगिक क्रांति का नाम– Audyogik Kranti Kise Kahate Hain

Audyogik Kranti Kya Hai ऐसी क्रांति थी जिसमें बिना युद्ध एवं खून खराबी के इंग्लैंड के साथ साथ पूरे विश्व विकास हुआ. वास्तव में इस क्रांति के जनक अविष्कारक एवं इंजीनियर थे न कि राजनीतिज्ञ एवं राजनीतिक संस्थाएं. इस क्रांति का श्रीगणेश वैज्ञानिक आविष्कारों के फलस्वरुप हुआ. कल कारखानों का विकास वैज्ञानिक आविष्कार के साथ हुआ और जितने उत्पादन थे उसमें वृद्धि हुई. उत्पादनओं के कारण बाजारों की खोज प्रारंभ हुई.

उद्योग धंधे वाले इलाकों की आबादी बढ़ी जिससे श्रमिक वर्ग की संख्या बढ़ी. श्रमिकों की सुख सुविधा के प्रश्न ने नई राजनीतिक विचारधारा को जन्म दिया. जिसे समाजवाद का नाम दिया जाता है. मानवीय श्रम के स्थान पर यंत्रों का व्यवहार प्रारंभ हुआ. यंत्रों के अनुसार मानवीय श्रम की गतिविधि नियंत्रित होने लगी. इसलिए इतिहास में इसे औद्योगिक क्रांति का नाम दिया जाता है.

शब्द का प्रयोग

‘औद्योगिक क्रांति’ शब्द का प्रयोग:- औद्योगिक क्रांति इस Audyogik Kranti Kya Hai शब्द का प्रयोग यूरोपीय विद्वानों जैसे फ्रांस में जॉर्जिस मिशले और जर्मनी में फ्रॉइड्रिक एंजेल्स द्वारा किया गया. अंग्रेजी में इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम दार्शनिक एवं अर्थशास्त्री ऑरनॉल्ड टॉयनबी (1852-83) द्वारा उन परिवर्तनों का वर्णन करने के लिए किया गया जो ब्रिटेन के औद्योगिक विकास में 1760 और 1820 के बीच हुए थे.

तात्कालीन समय के प्रमुख अविष्कार

अविष्कारआविष्कारक
वाष्प / भाप इंजनजेम्स वॉट
टेलीग्राफएडीसन
वायुयानWright Brothers
स्पिनिंग फ्रेम मशीनआर्कराइट
स्पिनिंग जेनीहरगीव्ज
प्रमुख अविष्कार

इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के कारण- Audyogik Kranti Ke Karan

इंग्लैंड में Audyogik Kranti Kya Hai व औद्योगिक क्रांति के कारण निम्नलिखित है.

  • वैज्ञानिक उन्नति
  • इंगलैंड की जलवायु एवं स्थिति
  • कोयला और लोहा की अधिकता
  • पूँजी की वृद्धि
  • कुशल एवं अकुशल मजदूरों की प्रधानता
  • मुक्त व्यापार की नीति
  • बाजार की अधिकता
  • राजनीतिक सुरक्षा
  • जनसंख्या में वृद्धि
  • साझेदार कंपनियों की स्थापना
  • बड़े पैमाने पर उत्पादन का अनुभव
  • व्यापार का घनफल
  • शक्तिशाली राजतंत्र की स्थापना
  • इंग्लैंड की सुविधाजनक स्थिति

वैज्ञानिक उन्नति

वैज्ञानिक उन्नति:- औद्योगिक क्रांति का आधार वैज्ञानिक खोज था. इंग्लैंड में वैज्ञानिक खोज की परंपरा फ्रांसिस बेकन के समय से ही प्रारंभ हो चुकी थी. रॉयल सोसाइटी की स्थापना चार्ल्स द्वितीय के समय हो चुका था. इस संस्था को राजकीय संरक्षण प्राप्त था. इसी संस्था के अधीन काम कर कई वैज्ञानिकों ने ख्याति प्राप्त की. जोसेफ प्रीस्टले. विलियम कैवेडिश तथा हंफ्रे डेविस अपने युग के महान वैज्ञानिक हुए. Audyogik Kranti Kya Hai वैज्ञानिक उन्नति के फलस्वरूप ही इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति हुई.

इंगलैंड की जलवायु एवं स्थिति

इंगलैंड की जलवायु एवं स्थिति:- इंगलैंड की जलवायु एवं स्थिति ने वैज्ञानिक परिवर्तन में बहुत सहयोग दिया. इंगलैंड एक द्वीप के समान है. चारों ओर समुद्र से घिरा रहने के कारण बाहर के दुश्मन उसपर सुविधा से आक्रमण नहीं कर सकते थे. इंगलैंड का समुद्री किनारा बड़ा और कटा-छटा है.

जो बंदरगाहों के लिए बहुत उपयुक्त है. बंदरगाहों के कारण किसी भी स्थान से सुविधा के साथ माल ढोया जा सकता था. देश के अंदर सड़क, नहर एवं नदियाँ यातायात के दृष्टिकोण से बहुत उपयोगी थी. अतः इंगलैंड की भौगोलिक स्थिति औद्योगिक विकास में सहायक सिद्ध हुई.

कोयला और लोहा की अधिकता

कोयला और लोहा की अधिकता:- औद्योगिक विकास के लिए कोयला और लोहा प्राण के समान महत्त्व रखते हैं. सौभाग्य से इंगलैण्ड में कोयले और लोहे की खानों की अधिकता थी. दोनों चीजें साथ-साथ मिल जाती थीं। ये खाने बंदरगाहों के निकट अधिक थीं, अतः इंगलैंड में कल-कारखानों को प्रारंभ करने में कोई विशेष कठिनाई नहीं हुई.

पूँजी की वृद्धि

पूँजी की वृद्धि:- पर्याप्त पूंजी इंग्लैंड के पास थी. अमेरिका और वेस्टइंडीज के साथ व्यापार के फलस्वरूप इंग्लैंड में पूंजी दिन- प्रतिदिन बढ़ रही थी. 1764 ई. में बंगाल पर अंगरेजों का अधिकार हो चुका था. भारतवर्ष में बंगाल प्रांत सबसे समूद्ध भाग था. अतः विदेशी व्यापार से अंग्रेज मालामाल हो गए थे. उनकी पूंजी बैंकों में जमा रहती थी. विदेशी कंपनियों को बैंक से पूँजी उधार मिल जाती थी. सुधार आंदोलन के बाद पूंजी का विकास इंगलैंड में तेजी से हो रहा था.

इगलैड आर्थिक विकास के कार्यक्रम पर यूरोप के अन्य देशों की तरह कोई प्रतिबंध नहीं था. अतिरिक्त पूजी के बल पर कृषि क्रांति इंगलैंड में हो चकी थी. उत्पादन में वृद्धि हुई और यंत्रों के सहारे बड़े पैमाने पर इंगलैंड में उत्पादन का काम प्रारंभ हुआ. नए यंत्रों के आविष्कार में पूंजी लगाने में इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था संगठित हो चुकी थी और उद्योग-धंधों के विकास में पूँजी अधिक मात्रा में लगाई जाती थी. यह सुविधा यूरोप के अन्य देशों को प्राप्त नहीं थी.

कुशल एवं अकुशल मजदूरों की प्रधानता

कुशल एवं अकुशल मजदूरों की प्रधानता:- राजनीतिक दृष्टिकोण से ईगलैड एक सुरक्षित देश था व यूरोप के अन्य देशों में धार्मिक अत्याचार से त्रस्त व्यक्ति भागकर इंगलैंड में ही शरण पाते थे. फ्रांस से भागकर बहुत-से कुशल मजदूर इंग्लैंड में बस गए. ऐसे मजदूर व्यापार एवं उद्योग-धंधों के संचालन में इंग्लैंड वालों की सहायता करने के लिए तैयार थे.

कुशल मजदूरों ने इंगलैंड के अकुशल मजदूरों को प्रशिक्षित कर उन्हें प्रत्येक प्रकार के कल-कारखानों को चलाने के लायक मजदूर बना दिया. अतः Audyogik Kranti Kya Hai उस क्रांति को सफल बनाने में विदेश से आए हुए कुशल एवं अकुशल मजदूरों का बड़ा हाथ था.

मुक्त व्यापार की नीति

मुक्त व्यापार की नीति:- व्यापारिक क्षेत्र में इंगलैंड मुक्त व्यापार (Free Trades) की नीति का समर्थन करता था. इटली, जर्मनी और फ्रांस में व्यापार पर इतने तरह के प्रतिबंध लगे हुए थे कि वहाँ उद्योग-धंधों का विकास असंभव हो गया था परंतु, इंगलैंड में मध्यकालीन प्रतिबंधों को पहले नष्ट किया जा चुका था. अतः वहाँ स्वतंत्र रूप से उद्योग-धंधों का विकास हुआ.

बाजार की अधिकता

बाजार की अधिकता:- 1760 ई. के बाद ब्रिटेन का साम्राज्यवादी विकास तेजी से होने लगा. उपनिवेशों में अँगरेजी माल की खपत बढ़ गई. उपनिवेशों से कल-कारखानों को चलाने के लिए इंगलैंड को कच्चा माल प्राप्त हो जाता था तथा तैयार किए हुए माल के लिए उपनिवेश उत्तम बाजार भी बन गए थे. इस प्रकार की सुविधा अन्य देशों को Audyogik Kranti के उस समय प्राप्त नहीं थी.

राजनीतिक सुरक्षा

राजनीतिक सुरक्षा:- इंगलैंड में राजनीतिक सुरक्षा थी. हैनोवर-युग में व्यक्तिविशेष की स्वतंत्रता सुरक्षित हो गई थी. व्यक्ति के धन अर्जित करने में कोई बाधा नहीं उत्पन्न की जाती थी. धार्मिक प्रतिबंध का बंधन ढीला कर दिया गया था. राजकीय एवं नगर पालिका से संबद्ध कानून व्यापार एवं उद्योग-धंधों के विकास में बाधक थे.

इसके अतिरिक्त इंग्लैंड की शासन प्रणाली सुदृढ़ थी. बाहरी आक्रमण की कोई आशंका नहीं थी. ऐसी अवस्था में लोग निर्भय होकर अतिरिक्त पूंजी का व्यवहार उद्योग धंधों में करने लगे.

जनसंख्या में वृद्धि

जनसंख्या में वृद्धि:- जनसंख्या में वृद्धि के फलस्वरुप भी औद्योगिक क्रांति को बल मिला था. औषधि विज्ञान में उन्नति होने के फलस्वरूप निम्न एवं मध्यवर्गीय परिवार में मृत्यु दर घट गई थी. जनसंख्या में वृद्धि के कारण ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को संतुलित होने का अवसर मिल गया.

सर्वप्रथम कल कारखानों को चलाने के लिए मजदूर पर्याप्त संख्या में मिलने लगे. घर में बाजार की कमी नहीं रही और शहरों की आबादी बढ़ गई. बड़े पैमाने पर देश के अंदर और बाहर बाजारों का विस्तार हो जाने से औद्योगिक विकास का काम सरल हो गया. यह रही Audyogik Kranti Kya Hai उसके जनसंख्या में वृद्धि.

साझेदार कंपनियों की स्थापना

साझेदार कंपनियों की स्थापना:- इंग्लैंड में साझेदारी की कंपनियां खोली गई थी व बैंक प्रथा का भी विकास हुआ और बैंकों के जरिए कंपनियों को नियंत्रित किया जाने लगा. साझेदारी की कंपनी खुल जाने से सारे पैसे डूबने का भय कम हो गया और किसी साझेदार का हिस्सा गुम नहीं हो सकता था.

इस प्रकार की कंपनियों की स्थापना से एक और यदि पूजी सुरक्षित हो गई तो दूसरी और लाभ का अंश भी बढ़ गया. इंग्लैंड में Audyogik Kranti Kya Hai यह भी कारण थे.

बड़े पैमाने पर उत्पादन का अनुभव

बड़े पैमाने पर उत्पादन का अनुभव:- व्यवसायवाद का विकास इंग्लैंड में पहले ही हो चुका था और विदेश के साथ व्यापारिक कारोबार पहले ही कायम हो चुका था. अतः बड़े पैमाने पर उत्पादन का अनुभव इंग्लैंड के निवासियों को पहले ही था. जब यंत्र के सहारे उत्पादन का काम प्रारंभ हुआ तब इसमें उन्हें कोई विशेष कठिनाई नहीं हुई. दूसरी ओर इंग्लैंड में व्यापार की प्रधान सामग्री तैयार की जाती थी. जिसकी खपत विश्व स्तर पर होती थी और इस प्रकार की सुविधा यूरोप के अन्य देशों को प्राप्त नहीं थी.

व्यापार का घनफल

व्यापार का घनफल:- आबादी के अनुपात में इंग्लैंड का व्यापारिक घनफल अधिक था व यूरोप के प्रमुख राष्ट्र घरेलू समस्याओं में उलझे हुए थे. स्वतंत्र रूप से इंग्लैंड को अपने वैश्विक विस्तार करने का मौका मिल गया. औपनिवेशिक विस्तार के साथ व्यापार का घनफल बढ़ा और श्रम संबंधी बचत के लिए यंत्रों का आविष्कार करना अनिवार्य हो गया. आवश्यकता अनुसार व्यापारिक कारोबार को बढ़ाने के लिए इंग्लैंड में उद्योग धंधों का विकास हुआ. इंग्लैंड का Audyogik Kranti Kya Hai उसके कारण थे.

शक्तिशाली राजतंत्र की स्थापना

शक्तिशाली राजतंत्र की स्थापना:- 1485 ईस्वी में ही शक्तिशाली राजतंत्र की स्थापना इंग्लैंड में हो चुकी थी. राष्ट्र के विकास की ओर राजाओं का ध्यान हमेशा लगा रहता था. राजनीतिक स्थिरता एवं सफल बैदेशिक नीति के फल स्वरुप इंग्लैंड में राजनीतिक स्थिरता आ गई थी. विश्वास पूर्वक कोई भी उद्योगपति पूंजी को किसी काम में लगा सकता था. इस प्रकार की राजनीतिक स्थिरता एवं राजाओं की कृपा अन्य देशों में नागरिकों को प्राप्त नहीं थी.

इंग्लैंड की सुविधाजनक स्थिति

इंग्लैंड की सुविधाजनक स्थिति:- व्यापार एवं साम्राज्य के विकास के क्षेत्र में इंग्लैंड के प्रतिद्वंदी राष्ट्र फ्रांस पोलैंड स्पेन जर्मनी एवं रुस थे. इन राष्ट्रों में फ्रांस की स्थिति Audyogik Kranti Kya Hai व औद्योगिक क्रांति के पहले बहुत अच्छी थी. फ्रांस व्यापार में इंग्लैंड से आगे था. वहां यातायात के साधन एवं बैंक प्रथा का विकास हो चुका था. परंतु फ्रांस के शासक और सरदार औद्योगिक विकास के प्रति उदासीन थे.

सामंतवादी व्यवस्था के फलस्वरुप स्थान विशेष के अनुसार करो की दर अलग-अलग थी. औद्योगिक वस्तुओं की बिक्री पर देश के अंदर भी प्रतिबंध लगा हुआ था. गिल्ड प्रथा एवं एकाधिपत्य की बिक्री के कारण फ्रांस में उद्योग धंधों का विकास रुक गया था. दूसरी ओर प्रतिबंध नहीं रहने के कारण इंग्लैंड औद्योगिक विकास के क्षेत्र में आगे बढ़ गया था.

राजनीतिक संघर्ष एवं पूंजी के अभाव के कारण हॉलैंड का व्यापार मंद पड़ गया था व जर्मनी के पास भी पूजी का अभाव था. चुंगी व्यवस्था तथा सैनिक प्रवृत्ति के कारण औद्योगिक विकास की ओर जर्मनी का ध्यान आकृष्ट नहीं हो पाया था. रूस में दास प्रथा तथा जार की क्रूरता के कारण उद्योग धंधों का विकास नहीं हो पाया था.

औद्योगिक क्रांति के परिणाम- Audyogik Kranti Ke Prabhav

यह क्रांति Audyogik Kranti Kya Hai व क्रांति के परिणाम बहुत महत्वपूर्ण थे. क्रांति के फलस्वरूप केवल इंग्लैंड का ही नहीं, बल्कि सारे संसार का स्वरूप बदल गया. यंत्रों के सहारे काम प्रारंभ होने से गृह उद्योगों का अंत हो गया. घरेलू उद्योग में काम करनेवाले मजदूरों की जीविका मारी गई. बड़े पैमाने पर उत्पादन प्रारंभ हुआ. कारखानों को चलाने के लिए कच्चा माल प्राप्त करने तथा तैयार माल की बिक्री के लिए नए नए बाजारों को ढूंढ निकाला गया.

व्यापार का स्वरूप विश्वव्यापी हो गया और वस्तुओं के मूल्य में स्थिरता आ गई. बड़े-बड़े कारखानों की स्थापना के कारण समाज में दो वर्गों का प्रादुर्भाव हआ. पूजीपति और मजदूर एक ओर अपार धनराशि थी और दूसरी ओर निर्धनता इसलिए, भविष्य में दोनों वर्गों के बीच संघर्ष अवश्यंभावी हो गया. मजदूरों का पारिवारिक जीवन नष्ट हो गया. उनके भोजन, आवाय स्वास्थ्य का समुचित प्रबंध नहीं था. गंदे वातावरण में रहने के कारण बच्चों की मृत्यु अधिक होती थी.

Audyogik Kranti Kya Hai व औद्योगिक क्रांति के फलस्वरूप इंग्लैंड एक व्यावसायिक देश हो गया व समस्त संसार इगलैंड का बाजार बन गया. भारतवर्ष अँगरेजी माल की खपत के लिए एक अच्छा बाजार बन गया था. व्यापार एवं व्यवसाय में प्रगति के फलस्वरूप राष्ट्रीय संपत्ति में वृद्धि हुई थी. राष्ट्रीय संपत्ति में वृद्धि के कारण ही अमेरिका में होनेवाली क्षति एवं नेपोलियन-युग के युद्ध का सामना करने में इंगलैंड सफल हो सका. बड़े पैमाने पर उत्पादन के कारण इंगलैंड संसार का सर्वश्रेष्ठ व्यवसायी देश बन गया. समाज में पूँजीपतियों की धाक बढ़ गई और मध्यकालीन व्यापारवाद (mercantilism) का अंत हो गया था.

इस प्रकार Audyogik Kranti Kya Hai उसके प्रभाव व परिणाम निम्नलिखित है.

  • मजदूरों का संगठन एवं सुधार
  • पूँजीवाद का विकास
  • पूँजीवादी व्यवस्था में धन के समस्त साधन
  • संपत्ति का विभाजन
  • साम्यवादी घोषणापत्र
  • बौद्धिक विकास
  • सामूहिक भावना का विकास एवं जनसंख्या में वृद्धि
  • पूँजीपतियों को राजनीतिक अधिकार की प्राप्ति
  • पार्लियामेंट में सुधार की माँग
  • मजदूरों का एक शक्तिशाली वर्ग बन गया

मजदूरों का संगठन एवं सुधार

मजदूरों का संगठन एवं सुधार:- कारखाना प्रणाली का विकास मजदूरों के लिए घातक सिद्ध हुआ और इस प्रणाली के विकास के कारण बहुत-से मजदूर बेकार हो गए व मजदूरों का संबंध घर से छूट गया. वे मजदूरी पर ही निर्भर रहने लगे. कम मजदूरी देकर मालिक उनसे अधिक काम लेते थे. बाल-मजदूरों की दशा अत्यंत दयनीय थी.

दयनीय दशा से छुटकारा पाने के लिए मजदूरों ने पूँजीपतियों के विरुद्ध आंदोलन प्रारंभ किया. सरकार को विवश होकर मालिकों एवं मजदूरों के झगड़े मिटाने के लिए कारखाना-कानून पास करना पड़ा. असंतुष्ट मजदूरों का राजनीतिक संगठन कायम हुआ, जिसे चार्टिस्ट आंदोलन कहते हैं. श्रमिक संघ की भी स्थापना की गई.

चार्टिस्ट आंदोलन एवं श्रमिक संघ- आंदोलन के द्वारा मजदूरों की दशा में सुधार लाने के लिए उन्नीसवीं सदी में कई कानून पास हुए. उन कानूनों में वर्कशाप नियंत्रण कानून (Workshop Regulation Act) विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जिसके द्वारा काम के घंटे नियमित किए गए. मजदूरों की भलाई के लिए कई अन्य कानून भी पास हुए.

पूँजीवाद का विकास

पूँजीवाद का विकास:- Audyogik Kranti Kya Hai उसके महत्त्वपूर्ण परिणाम था पूँजीवाद का विकास व पूँजीपति वर्ग आर्थिक एवं व्यापारिक क्षेत्र में सरकारी हस्तक्षेप की नीति पसंद नहीं करता वह स्वतंत्र व्यापार का पक्षपाती था. जिसका प्रचार एडम स्मिथ ने किया. मध्यकालीन व्यापारवाद का अंत हो जाने से पूँजीपति वर्ग कारखानों का निरंकश मालिक बन बैठा. स्वतंत्र व्यापार की नीति को राजकीय संरक्षण मिला एवं उपनिवेशों का मूल्य घट गया. पूंजीपति वर्ग उपनिवेशों को पके फल के समान महत्त्व देता था जो शीघ्र ही पेड़ से टपक जानेवाला था.

पूँजीवादी व्यवस्था में धन के समस्त साधन

पूँजीवादी व्यवस्था में धन के समस्त साधन:- मानव-श्रम, यंत्र, कच्चा माल आदि का एकमात्र अधिकारी पूंजीपति -वर्ग हो गयाअतः पूंजीवाद Audyogik Kranti Kya Hai उसका सबसे महत्त्वपूर्ण परिणाम था. पूंजीपतियों के हाथ में ही पूँजीवादी व्यवस्था में धन का स्रोत था. पूँजीवादी व्यवस्था में प्रत्येक वस्तु का मूल्य धन के रूप में आंका जाने लगा. पूँजीवादी व्यवस्था में उत्पादन का मूल्य लाभ होता है. उत्पादन का उद्देश्य सामाजिक कल्याण नहीं रहता. उत्पादन में लाभांश होने पर उद्योगपति कल-कारखानों को बंद कर देते हैं और व्यक्ति गरीबी एवं बेकारी का शिकार हो जाता है.

संपत्ति का विभाजन

संपत्ति का विभाजन:- इस संपत्ति का विभाजन विषम रूप में हो जाता है. कुछ व्यक्तियों के हाथों में देश की संपत्ति केंद्रित हो जाती है. फलस्वरूप, समाज के धनी और गरीब के बीच महान अंतर हो जाता है. मनुष्य का शोषण प्रारंभ हो जाता है और गरीबी के कारण उनका नैतिक स्तर गिरता है. खून-खराबी का दौर चल पड़ता है. सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए पूँजीपति शश्त्रों की वृद्धि करते हैं.

राष्ट्र-राष्ट्र के बीच द्वेष बढ़ता है और संसार में अशांति उत्पन्न हो जाती है. अशांति के कारण साम्राज्यवाद का विकास होता है और अंतरराष्ट्रीय तनाव बढ़ता है. उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखकर कहा जा सकता है कि पूँजीवाद और समाजवाद Audyogik Kranti Kya Hai उसी की ही देन हैं.

पूँजीवाद की शोषण-नीति के विरोध में समाजवाद का विकास हुआ. प्रारंभ में कुछ उदारवादी पूँजीपतियों ने समाजवाद की व्याख्या अपने ढंग से की सर रॉबर्ट ओवेन स्वयं मिल मालिक था. वह पहला व्यक्ति था, जिसने समाजवादी विचारधारा का समर्थन किया. ओवेन ने कारखाने से प्राप्त लाभांश का उचित बंटवारा मजदूरों के साथ कर स्वयं आदर्श उपस्थित किया. वह पहला व्यक्ति था जिसने समाजवाद शब्द का प्रयोग व्यावहारिक रूप में किया. आगे चलकर व्याख्या वैज्ञानिक समाजवाद के सिद्धांत कार्ल मार्क्स ने किया था.

साम्यवादी घोषणापत्र

साम्यवादी घोषणापत्र:- इस साम्यवादी घोषणापत्र एवं ‘पूँजी’ नामक पुस्तक के माध्यम से कॉर्ल मार्क्स ने संसार के मजदूरों को संगठित होने का संदेश दिया. वर्ग- संघर्ष को ऐतिहासिक तथ्य मानकर पूँजीपतियों के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए उसने मजदूरों को प्रेरित किया. Audyogik Kranti Kya Hai उसका विचार था कि संघर्ष द्वारा ही सर्वहारा वर्ग का प्रभुत्व स्थापित हो सकता है और वर्गहीन समाज की स्थापना हो सकती है.

बौद्धिक विकास

बौद्धिक विकास:- Audyogik Kranti Kya Hai उसका प्रभाव विश्वव्यापी था. आधुनिक युग की सारी सुख सुविधाओं का आधार औद्योगिक क्रांति ही है. इसके फलस्वरूप, नई राजनीतिक एवं सामाजिक समस्याएँ उपस्थित हुई और उन्हें हल करने की ओर जब मानव अग्रसर हुआ, तब उसमें नई राजनीतिक एवं सामाजिक चेतना आई.

पूँजीपतियों के द्वारा शोध कार्य प्रारंभ किया गया अनुसंधान परिषद् की स्थापना की गई स्कूल एवं कॉलेज खोले गए और ज्ञान की वृद्धि हुई. प्रारंभ में शोधकार्य पूँजीपतियों ने अपने स्वार्थ के लिए करवाया, किंतु उसके परिणाम से संपूर्ण मानव समाज को लाभ हुआ. यंत्रों द्वारा काम करने से मनुष्य को आराम मिला और ज्ञानोपार्जन की प्रवृत्ति उसमें जगी. Audyogik Kranti Kya Hai इसका यह भी प्रभाव था.

सामूहिक भावना का विकास एवं जनसंख्या में वृद्धि

सामूहिक भावना का विकास एवं जनसंख्या में वृद्धि:- Audyogik Kranti Kya Hai उस के फलस्वरूप जनसंख्या में वृद्धि हुई. 60 वर्ष के अंदर इंगलैंड और वेल्स की जनसंख्या दुगनी हो गई. आबादी में वृद्धि के फलस्वरूप नए-नए शहरों का विकास हुआ. गाँव वीरान बन गए और शहरों की आबादी बढ़ गई. व्यापारिक केंद्रों में जनसंख्या अधिक हो गई. व्यापारिक केंद्र बड़े-बड़े नगर बन गए.

पूँजीपतियों को राजनीतिक अधिकार की प्राप्ति

पूँजीपतियों को राजनीतिक अधिकार की प्राप्ति:- आबादी में वृद्धि एवं स्थान- परिवर्तन के कारण पुराने जमींदारों और पैसों का प्रभाव घट गया. राजनीतिक अधिकार पूँजीपतियों के हाथों में आ गए. पुराना पारिवारिक संबंध खत्म हो गया. पूँजीपतियों का प्रभुत्त्व पार्लियामेंट में बढ़ गया और वे सुधार की माँग करने लगे थे.

पार्लियामेंट में सुधार की माँग

पार्लियामेंट में सुधार की माँग:- जनसंख्या में हेरफेर एवं नए शहरों की स्थापना ने नई समस्या उत्पन्न कर दी. पुराने चुनाव क्षेत्रों में परिवर्तन लाना आवश्यक हो गया. नए शहरों को प्रतिनिधित्त्व दिलाने की माँग जोर पकड़ने लगी. सुधार की माँग ने राजनीतिक आंदोलन को जन्म दिया और परिस्थिति से विवश हो विधान में सुधार लाना आवश्यक हो गया. Audyogik Kranti Kya Hai उस समय सुधार की माँग थी.

मजदूरों का एक शक्तिशाली वर्ग बन गया

मजदूरों का एक शक्तिशाली वर्ग बन गया:- Audyogik Kranti Kya Hai उसके फलस्वरूप सामाजिक मान्यताएँ बदल गई. मजदूर एक शक्तिशाली वर्ग बन गया. उनके हितों की उपेक्षा नहीं की जा सकती थी. मजदूरों की भलाई के लिए अनेकानेक कानून बने, उनकी शिक्षा की व्यवस्था की गई और धीरे-धीर उनके राजनीतिक अधिकारों को भी स्वीकार किया गया. जनता के हित के लिए कई कानून पास हुए पुराने कानूनों में सुधार लाया गया जिससे जनता का जीवन-स्तर बदल गया.

इन परिणामों से सिद्ध हो जाता है कि Audyogik Kranti Kya Hai व औद्योगिक ने इंग्लैंड के जीवन स्तर को बदल दिया. क्रांति का परिणाम विश्वव्यापी था. इसके द्वारा इतिहास की धारा बदल गई. कृषि प्रधान देश औद्योगिक देश बन गया. वस्तु औद्योगिक क्रांति इंगलैंड के लिए वरदान सिद्ध हुई. इस Audyogik Kranti Kya Hai उसके द्वारा इंगलैंड संसार का प्रथम शक्तिशाली राष्ट्र बन सका था.

भारत में औद्योगिक क्रांति

भारत में औद्योगिक क्रांति:- औपनिवेशक काल के कुछ दशकों तक भारतीय उद्योग विशेषकर वस्त्र उद्योग विकास के चरम पर था. EIC के व्यापारी भारत के सामान खरीद कर इंगलैंड ले जाते थे जिसका फायदा भारतीय उद्योगों को होता था. Audyogik Kranti Kya Hai भारत में प्रादुर्भाव ने भारतीय उद्योग की स्थिति दयनीय कर दी, क्योंकि भारतीयों के पास मशीनी तकनीकी का प्रतिस्पर्द्धा करने के लिए वित्तिय या अन्य संस्थान नहीं थे.

फलतः भारतीय उद्योग धंधे मे शामिल लोग खेती करने लगे. वस्तुतः जो क्रांति यूरोपीय देशों के लिए वरदान साबित हुई. वहीं भारतीय उद्योग धंधों के नाश का कारण बनी. 1850 के दशक में रेल, तार, डाक, प्रणाली आदि के विकास से भारतीय उद्योगों को पुनर्जीवन मिला. 1854 मे सफल सूती वस्त्र उद्योग 1908 में टाटा कम्पनी आदि की स्थापना हुई. WW-1 के दौरान व उसके बाद के वर्षों मे सूती वस्त्र उद्योग कागज उद्योग का अत्यधिक विकास हुआ.

1930 के दशक मे वीनी मिलों की स्थापना वृहत स्तर पर हुई, जिसने 1935-36 तक देश की जरूरत का 95 प्रतिशत उत्पादन करना प्रारंभ कर दिया. WW-II के दौरान भारतीय उद्योगों का सर्वाधिक विकास हुआ. पुराने उद्योग मजबूत होते गए, साथ ही नए उद्योगों की भी स्थापना हुई थी.

जिसमें डीजल इंजन, साइकिल व अन्य मशीनरी उद्योग शामिल है. WW-II की समाप्ति तक भारत दुनिया के 8 सबसे बड़े औद्योगिक राष्ट्रों मे शामिल था. आजादी से पूर्व ही भारतीय उद्योग क्षेत्र मे लगभग 28 लाख लोग कार्यरत थे, साथ ही भारत चीनी, सीमेंट, जूट, सूती वस्त्र आदि के मामले मे आत्मनिर्भर था. जूट उद्योग के मामले मे तो भारत का एकाधिकार था.भारत में Audyogik Kranti Kya Hai इसका कारण क्या था.

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निष्कर्ष

निष्कर्ष:- इस प्रकार यूरोप के सभी प्रमुख राष्ट्रों में इंग्लैंड की स्थिति अधिक सुविधाजनक एवं अनुकूल थी. वहां वैज्ञानिकों द्वारा अनुसंधान कार्य प्रारंभ हुआ. इंग्लैंड के सिवा यूरोप की किसी देश में उतनी वैज्ञानिक प्रगति नहीं हुई इस प्रकार सर्वप्रथम इंग्लैंड में ही औद्योगिक क्रांति का श्रीगणेश हुआ.

जिससे पुरा विश्व प्रभावित हुआ. Audyogik Kranti का मुख्य क्षेत्र लोहा व कोयला और वस्त्र इत्यादि उद्योग था. जिनके उत्पादन में क्रांतिकारी वृद्धि हुई.

FAQ (Audyogik Kranti Kya Hai) से सम्बन्धित कुछ सवालो का जवाब)

प्रिय स्टूडेंट इस लेख में पढने वाले है Audyogik Kranti Kya Haiaudyogik kranti se aap kya samajhte hain इससे सम्बन्धित आपके द्वारा पूछा गया प्रश्नों का जवाब देखने वाले है. अगर आपको कुछ सवाल पूछना हो तो आप हम कोमेंट के माध्यम से पूछ सकते है. आपको कुछ ही समय के बाद सवालों का जवाब मिल जाएंगा.

औद्योगिक क्रांति कब और कहां हुई थी?

औद्योगिक क्रांति की शुरुआत इंग्लैण्ड से प्रारम्भ हुई थी. इंग्लैण्ड से क्योंकि प्रारम्भ हुई क्योंकि इंग्लैण्ड में कोयले और लोहा के अपार भण्डार थे.

औद्योगिक क्रांति से आप क्या समझते हैं?

औद्योगिक क्रांति 18 वीं शताब्दी में कई चीजो का अविष्कार हुआ है. व उधोग का विकास हुई है. इस क्रांति में यह क्रांति इंग्लैण्ड से प्रारम्भ हुई थी. कई अनेको मशीनों का अविष्कार हुआ था.

औद्योगिक क्रांति क्यों हुई?

औद्योगिक क्रांति क्यों हुई थी क्योंकि 18 वीं शताब्दी में कई चीजो का अविष्कार हुआ है. व यह इंग्लैण्ड से शुरू हुई है. जिसमे कई चीजो का विकास हुआ है. इंग्लैण्ड में ही लोहा व कोयला के भण्डार थे.

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