आर्यों की उत्तपति की अवधारणा – Aryo Ki Utpatti Aur Aryo Ki History In Hindi(1500 ई.पू.)

प्रिय विधार्थियों इस लेख में प्राचीन इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक Aryo Ki Utpatti या aryo ki history in hindi में पूरा विस्तार से पढने वाले है. इस लेख में यह भी देखने वाले है की आर्यों की उत्तपति की अवधारणा क्या है जो आपके सभी प्रतियोगी व अन्य एग्जाम के लिए अति महत्वपूर्ण रहने वाला है. तो चलिए अब इस लेख को पूरा अंत तक एक-एक टॉपिक को पढ़ते है.

  • आर्य सभ्यता का इतिहास
  • भारत में आर्यों का विस्तार
  • आर्यों की उत्पत्ति
  • निष्कर्ष
  • अंत में क्या पढ़ा

आर्यों के मूल निवास- स्थान संबंधी विभिन्न सिद्धांतों की विवेचना- Aryo Ki Utpatti Aur Aryo Ki History In Hindi PDF

इस लेख में Aryo Ki Utpatti या Aryo Ki History In Hindi PDF और इससे सम्बन्धित निचे निम्नलिखित प्रश्न है.

  • आर्य सभ्यता का इतिहास क्या है
  • आर्य भारत में सबसे पहले कहाँ बसे

आर्य सभ्यता का इतिहास

आर्य सभ्यता का इतिहास:- सिंधुघाटी की शहरी सभ्यता के पतन के पश्चात भारत में एक नयी ग्रामीण सभ्यता का का उदय हुआ और इस सभ्यता के निर्माता आर्य लोग थे. इसलिए इस सभ्यता को आर्य सभ्यता कहा जाता है.

आर्य भारत में सबसे पहले कहाँ बसे

आर्य भारत में सबसे पहले कहाँ बसे:- आर्यों का Aryo Ki Utpatti व आदि- देश कौन सा था उनका मूल निवास स्थान कहाँ था इस संबंध में विद्वानों और इतिहासकारों में मतभेद है. कुछ विद्वान भारत को ही आर्यों का आदि देश और मूल निवास स्थान बतलाते है.

उहें जबकि अनेक विद्वानों का धारणा है कि आर्य विदेशी थे और वे बाहर से आकर भारत में बसे थे. विभिन्न विद्वानों और इतिहासकारों मे, भाषा-विज्ञान, पुरातत्त्व सामग्री, शरीर रचनाशास्त्र – और शब्दार्थ – विकासशास्त्र के आधार पर कई अवधारणाओं का विकास हुआ जो निम्न है.

आर्यों की उत्तपति की अवधारणा

इस Aryo Ki Utpatti या Aryo Ki History In Hindi में इसकी अवधारणा निम्नलिखित है.

  • यूरोप आर्यों का मूल निवास स्थान
  • मध्य एशिय का सिद्धान्त
  • आर्कटिक प्रदेश या उत्तरी ध्रुव प्रदेश की अवधारणा
  • आर्य भारत के मूल निवासी

यूरोप आर्यों का मूल निवास स्थान

यूरोप आर्यों का मूल निवास स्थान:- इस Aryo Ki Utpatti विद्वानों ने भाषागत समानता के आधार पर आर्यों को यूरोप का निवासी माना है. वे ऑस्ट्रिया- हंगरी, जर्मनी, स्वीडन-नार्वे, लिथुआनिया और दक्षिणी रूस के घास के मैदान में आर्यों की आविभूमि होने का दावा करते है. संस्कृत, लैटिन, जर्मन, स्लाव आदि आर्य परिवार की भाषाएँ है. संस्कृत भाषा में माता-पिता को मातृ और पितृ कहा जाता है.

लैटिन भाषा माता-पिता के लिए ‘मेटर और पेटर’ शब्द-इसप्रकार भाषाओं की आपसी समानता के आधार पर भाषा विज्ञान के विद्वानों का मत है कि मूल आर्य यूरोप क्षेत्र में रहते थे. परन्तु भाषा की एकता जाति की एकता सिद्ध नहीं करती थी.

शब्दों का आदान-प्रदान संपर्क से हो जाता है. भाषागत समानता के अतिरिक्त कुछ विद्वानों ने वनस्पति, भौगोलिक परिस्थितियों एवं नस्लों के आधार पर आर्थो को यूरोप का निवासी बताया है. जिसमें प्रमुख विद्वान हैं गाईल्स, वेन्का इत्यादि परन्तु इनके भी तर्क भ्रममूलक हैं.

मध्य एशिय का सिद्धान्त

मध्य एशिय का सिद्धान्त:- कुछ इतिहासकारों का मानना है आर्य मध्य एशिया से भारत आए थे. इस अवधारना के अंतर्गत कई आचारों के प्रस्तुत किया गया Aryo Ki Utpatti या Aryo Ki History In Hindi है जैसे में-

(i) आर्य के ग्रंथ प्रहवेद और इरानी के ग्रंथ बन्द अवस्ता में काफी समानता है.
(ii) प्रारंभ में आर्य अपने वर्ष की गणना हिमवर्ष इसे करते थे इसका अर्थ यह होता है कि वे किसी शित क्षेत्र में रहते थे और वे दक्षिण की ओर कम शति वाले क्षेत्र की ओर पलायन किए थे.

(iii) आर्यों के Aryo Ki Utpatti प्राचीनतम अभिलेख मध्य एशिया से मिले हैं. जैसे- बोगजकोई अभिलेख (1400 ई०पू०) आलोचकों ने मध्य ऐशिया के सिद्धान्त का खंडन करते हुए यह कहा है कि छाँर्क आर्यों का मुख्य व्यवसाय कृषि एवं पशुपालन था. अतः वे किसी ऐसे स्थान पर रहते होंगे जहाँ भूमि उर्वर और कृषि योग्य हो चारागाह आधिक्य हो, परन्तु मध्य एशिया में इनका अभाव हो. आलोचकों का यह भी मानना है किए प्रहवेद में एशिया का कोई संकेत नहीं मिलता था.

आर्कटिक प्रदेश या उत्तरी ध्रुव प्रदेश की अवधारणा

आर्कटिक प्रदेश या उत्तरी ध्रुव प्रदेश की अवधारणा:- इस सिद्धान्त के प्रतिपादक लोकमान्य बालगंगाधर तिलक हैं. उन्होंने तहग्वेद में वर्णित कुछ प्राकृतिक दृश्यों के आचार पर यह प्रभावित किया कि आर्य व Aryo Ki Utpatti मूलत उत्तरी ध्रुव के निवासी थे. किन्तु आलोचक तिलक के मत को स्वीकार नहीं करते ओ हैं और उनका तर्क है कि यदि आर्य उत्तरी ध्रुव प्रदेश के निवासी होते तो व् सिन्धु- प्रदेश को “आर्यों के साहित्य में उत्तरी ध्रुव का स्पष्ट वर्णन नहीं मिलता है और देवकृत योगि नहीं पुकारते थे.

आर्य भारत के मूल निवासी

आर्य भारत के मूल निवासी:- पौराणिक प्रमाणों के आधार पर कुछ भारतीय विद्वानों का मत है कि आर्य भारत का रहने वाले थे. उनका निवास स्थान मध्यप्रदेश था. आर्यों का मुख्य केन्द्र अयोध्या, पतिष्ठा बदुर और गया था. इस मत को मानने वाले प्रमुख विद्वान है -श्री अविनाश चन्द्र दास, श्री गंगा नाथ झा, श्री डी. एस. त्रिवेदी, डा0 राजबली पाण्डेय, श्री एल. डी. कल्ला प्रमुख है. इन विद्वानों का प्रमुख मत Aryo Ki Utpatti या Aryo Ki History In Hindi में निम्न है.

(i) प्रवेद में जिन भौगोलिक परिस्थितियों और वातावरण का वर्णन है वह सब भारत के सप्तसिंधु प्रदेश का है.
(ii) यूरोप की भाषाओं की अपेक्षा भारतीय भाषाओं में संस्कृत शब्द की बहुलता है. परन्तु यह मान्यता भी सर्वमान्य सत्य नहीं है यदि भारत Aryo Ki Utpatti या आर्यों का आदि देश था तो आर्यों के भारत से बाहर जाने के पहले हीं संपूर्ण भारत का आर्थीकरण हो जाना चाहिए था. सिंधु सभ्यता तडवैदिक सभ्यता से अधिक भिन्न और प्राचीन है. जब सिंधु- प्रदेश की यह प्राचीनतम सभ्यता अनार्थ थी, तब भारत आर्यों का देश कैसे हो सकता है.

भारत में आर्यों का विस्तार

भारत में Aryo Ki Utpatti व आर्यों का विस्तार निचे निम्नलिखित है.

  • आर्य कौन थे वह भारत कब आए
  • भारत में आर्यों का विस्तार लिखिए
  • निष्कर्ष

आर्य कौन थे वह भारत कब आए

आर्य कौन थे:- ये ऐसे लोग थे, जो इंडो-ईरानी, इंडो-यूरोपीय या संस्कृत भाषा बोलते थे. लगभग 1500 ई०पू० के आस-पास भारतीय उपमहाद्वीप में दिखाई देते हैं जहाँ पर आर्य बसे वह स्थान सप्त सैंधव प्रदेश कहलाया. इस सप्त सैंधव प्रदेश में सात नदियाँ आती हैं और सिंधु, सरस्वती, झेलम, चेनाब, रावी, सतलज और व्यास है.

भारत में आर्यों का विस्तार लिखिए

भारत में आर्यों का विस्तार:- आर्य भारत में कई टोलियों में आए थे. इनकी पहली टोली 1500 ई० पू० के आस-पास भारतीय उपमहाद्वीप में आई और इन्हें ऋग्वेदिक Aryo Ki Utpatti व आर्य कहा जाता है. इन्होंने दास व दस्यु जैसे संघर्ष किया व भारत के मूल निवासियों दास व दस्यु थे. ऋग्वेद में दस्युओं से आर्यों के युद्ध कि विवरण मिलता है. आर्यों के 5 कबीले/जन थे और जिन्हें पंचजन कहा जाता था. सबसे पहले ऋग्वेद में मिलता भरत जन का उल्लेख है.

ऋग्वेद में भरत जन के राजा सुदास द्वारा रावी नदी (पुरुष्णी) के तट पर 10 राजाओं के संघ को पराजित करने का उल्लेख किया गया है. इस युद्ध का विवरण ऋग्वेद में दशराज्ञ युद्ध के रूप में किया गया है. आर्यों ने दस्युओं को पराजित किया और कुछ को बंदी बनाकर दास बना लिया. शेष ने जंगलों और पहाड़ों में शरण ली और पूरब और पश्चिम की ओर बढ़ गए थे.

मगध, अंग और कलिंग की विजय के संबंध में कहा जा सकता है कि यहां पर अनार्य राजा बहुत शक्तिशाली थे. अतः आर्य उन पर विजय न पा सके और इन प्रदेशों में अनार्य की अधिकता के कारण ही यहां कालांतर में बौद्ध और जैन धर्म को पनपने का अवसर मिला.

उत्तर भारत में तो आर्यों ने विजय की नीति पर अपना आधिपत्य जमा लिया, लेकिन दक्षिण भारत में ऐसा न था दक्षिण जाने वाले आर्यों की संख्या अधिक न थी. आर्यीकरण (Aryanisation) दक्षिण में कभी भी नहीं हो सका और इसलिए द्रविड़ संस्कृति अक्षुण्ण रही उस दक्षिण जैसे क्षेत्र में थी.

निष्कर्ष

निष्कर्ष:- यह रही Aryo Ki Utpatti या Aryo Ki History In Hindi में निष्कर्ष वस्तुतः यह बहुत ही विवादास्पद प्रश्न है धरन्तु मध्य एशिया से आर्यों के आगमन की अवधारणा सभी अवचारणाओं में मजबूत प्रतीत होती है. अत: यह कहा जा सकता है कि Aryo Ki Utpatti से जुड़ी सभी अवधारणा के अपने- अपने अलग तर्क और वितर्क हैं. कोई एक अब सिद्धान्त ऐसी नहीं जिसे सर्व मान्य सत्य घोषित किया जाए और आर्य लोग भारत के मूलवासी थे इसके भी कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं.

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FAQ (Aryo Ki Utpatti या Aryo Ki History In Hindi) से सम्बन्धित कुछ सवालो का जवाब)

प्रिय स्टूडेंट इस लेख में Aryo Ki Utpatti या Aryo Ki History In Hindi में इससे सम्बन्धित कुछ आपके द्वारा पूछा गया सवाल का जवाब देखने वाले है. अगर आपके मन में कोई प्रश्न इससे सम्बन्धित है तो आप हमे कॉमेंट के माध्यम से पूछ सकते है.

आर्यों की उत्पत्ति कैसे हुई?

आर्यों का मूल निवास स्थान निम्न है.
(i) मध्य एशिया- मैक्स मूलर (भाषा के आधार पर)
(ii) उत्तरी ध्रुव – बाल गंगाधर तिलक (6-6 माह के दिन रात)
(iii) तिब्बत दयानंद सरस्वती – (वेदों की रचना के आधार पर)

क्या सच में आर्य विदेशी थे?

यूरोप:- हंगरी – पी. गाइलस (भाषा, वृक्ष, वनस्पति, पशु पक्षियों की समानता)
जर्मनी:- पेन्का (भूरे बालों एवं शारीरिक विशेषताएं)
दक्षिणी रूस – नेहरिंग ( प्राप्त मृदभांड ) पश्चिमी बाल्टिक समुद्र तट मच है.

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