प्रिय विधार्थियों इस लेख में पढने वाले है विश्व के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण टॉपिक America Ki Kranti Kab Hui Thi इस क्रांति के क्या कारण व परिणाम रहा है. इस अमेरिका स्वतंत्रता संग्राम का पूरा इतिहास एक-एक कर कर के पढने वाले. तो चलिए इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते है जो आपके आने वाले सभी प्रतियोगी व अन्य एग्जाम के लिए अति महत्वपूर्ण रहेगा.
अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम | 1776 ई० |
बोस्टन चाय पार्टी की घटना कब घटी | 16 दिसम्बर 1773 ई० को |
अमेरिका अपना स्वतंत्रता दिवस कब मनाता हैं | 4 जुलाई |
अमेरिका स्वतंत्र कब हुआ | 4 जुलाई, 1776 ई0 |
प्रमुख नेता क्रांति के समय कौन थे | जॉर्ज वाशिंगटन |
अमेरिका की राजधानी | वाशिंगटन डीसी. |
किस क्रांति का सम्बन्ध बोस्टन टी पार्टी से है | अमेरिका की क्रांति |
टेनिस कोर्ट शपथ | सम्बन्धित हैं – फ्रांसीसी क्रांति |
- अमेरिका की क्रांति का संपूर्ण वर्णन करें
- अमेरिका की क्रांति कब हुई थी
- अमेरिका की क्रांति के कारण और परिणाम
- अमेरिका स्वतंत्रता संग्राम का तात्कालिक कारण क्या था
- अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के प्रभाव
अमेरिका की क्रांति का संपूर्ण वर्णन करें- America Ki Kranti Kab Hui Thi
इस अमेरिका की क्रांति का संपूर्ण वर्णन निम्नलिखित है.
- अमेरिका की क्रांति
- क्रांति का आरंभ
अमेरिका की क्रांति
अमेरिका की क्रांति:- इस America Ki Kranti का दौर मूलतः 1775-1783 ई० के बीच चला था. यह क्रांति इंगलैंड व उसके 13 उपनिवेशो जो उत्तर अमेरिका क्षेत्र मे के बीच संपन्न हुआ. वास्तव मे यह एक क्रांतिकारी युद्ध था. जिसमें अंतिम रूप से इंगलैंड की हार हुई और सभी 13 उपनिवेश स्वतंत्र हो गए थे.
इस स्वतंत्रता संग्राम मे फ्रांस ने अमेरिकी राज्यों का समर्थन किया था, क्योंकि स्पतवर्षीय युद्ध (1756-63ई०) मे फ्रांस की इंगलैंड के हाथों हार मिली थी. अमेरिका क्रांतिकारी युद्ध को उपनिवेशवाद के विरूद्ध लड़ाई मे युगांतकारी घटना माना जाता है. क्योंकि इस युद्ध ने पूरे विश्व मे विभिन्न उपनिवेशों को स्वतंत्रता के प्रति प्रेरित किया, जिसके दूरगामी परिणाम हुए थे.
क्रांति का आरंभ
क्रांति का आरंभ:- इस America Ki Kranti ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों व कानूनों के विरोध में विरोध शुरू हो गया. 1779 में फिलाडेल्फिया में कांग्रेस (अमेरिकी) की मीटिंग हुई, जिसमें इस बात की मांग ब्रिटिश संसद से की गई कि उपनिवेश में स्वशासन बहाल किया जाए, एवं हस्तक्षेप की नीति का अंत किया जाए. ब्रिटिश संसद ने इन मांगों को अस्वीकार कर दिया गया.
जिसके कारण 19 अप्रैल 1775 को ब्रिटिश सरकार व उपनिवेश वासियों के बीच लेक्सिंगटन शहर में संघर्ष के प्रारंभ होते ही स्वतंत्रता संग्राम शुरू हो गया. इसी दौरान इंगलैण्ड के सम्राट जार्ज तृतीय ने अमेरिकी उपनिवेशों को विद्रोही घोषित कर दिया तथा विद्रोहियों को कुचलने के लिए बड़ी संख्या में सैनिकों की भर्ति प्रारंभ कर दिया था. सम्राट के इस कदम ने समझौते की गुंजाइश को खत्म कर दिया तथा युद्ध को अपरिहार्य कर दिया.
टॉमस पेन ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘कॉमन सेन्स’ Common Sense में इंग्लैण्ड की नीतियों की तीव्र आलोचना की तथा प्रसिद्ध नारा ‘यही अलविदा करने का समय है’ दिया था. विदेशी समर्थन प्राप्त करने के उद्देश्य से अमेरिका ने इंग्लैण्ड से संबंध-विच्छेद का निर्णय लिया. 4 जुलाई 1776 को उपनिवेशों द्वारा फिलाडेल्फिया में आयोजित एक सम्मेलन में स्वतंत्रता की घोषणा कर दी.
क्रांति से पूर्व अमेरिका
वर्ष 1588 ई० मे वर्चस्वता की जंग में इंगलैंड ने स्पेन को पराजित कर अमेरिका मे उपनिवेश बनाना शुरू किया. सन 1775 ई० में आते आते अमेरिका मे इंगलैंड ने 13 उपनिवेश स्थापित कर लिए थे. जिन्हे America Ki Kranti से पूर्व अमेरिका निम्नलिखित भागों में बांटा जा सकता है.
- उत्तरी भाग
- मध्यवर्ती भाग
- दक्षिणी भाग
उत्तरी भाग
उत्तरी भाग:- ये क्षेत्र पहाड़ी व बर्फीले थे, जहां कृषि ज्यादा नहीं होती थी. लेकिन इंगलैंड यहां से मछलियां व वनों से लकड़ी प्राप्त करता था. मेसाचुसेप्स, न्यू हैम्पशायर व रोड्स Island शामिल थे.
मध्यवर्ती भाग
मध्यवर्ती भाग:- इसमें न्यूयार्क व मैरीलैंड शामिल थे, जहां चीनी व शराब से संबंधित उद्योग विकसीत थें.
दक्षिणी भाग
दक्षिणी भाग:- कैरोलिना (North- South), जार्जिया, वर्जीनिया आदि क्षेत्र इसमें शामिल थे. कृषि के लिए अनुकुल जलवायु के कारण यहां गन्ना, तंबाकू, कपास आदि की खेती होती थी. इन उपनिवेशों मे लगभग 90 प्रतिशत अंग्रेज थे तथा अन्य लोगों मे डच, जर्मन, पुर्तगाली व फ्रांसीसी शामिल था. भिन्न भिन्न संस्कृति के समावेशन से मिश्रित संस्कृति का जन्म हुआ. यही उनकी एकता का कारण भी था, हलांकि एकता को मजबूत करने के लिए सभी एकजुट हो गए थे.
यूरोपीयन अमेरिका मे क्यों बसे
यूरोपीयन अमेरिका मे क्यों बसे:- उस दौर में इंगलैंड मे धर्मसुधार आंदोलन चलाया गया जिसमें प्रोटेस्टेंट धर्म का विकास हुआ व जिसके विरोध मे कई संगठन बने थे. बाद मे जेम्स प्रथम व चार्ल्स प्रथम की नीतियों के कारण बड़ी संख्या मे अंग्रेजों ने इंगलैंड को छोड़कर अमेरिका मे बसना प्रारंभ कर दिया. कृषि नीति मे परिवर्तन के कारण इंगलैंड मे कई किसान भूमिहिन हो गए थी. जिन्होने आसानी से अमेरिका मे जमीन पाए जाने की लालसा मे प्रवासन किया.
औद्योगिकीकरण के विकास ने अत्यधिक कच्चे माल के लिए नए उपनिवेश बनाना शुरू किया था. भौगोलिक अवस्थिति व कच्चे माल की उपलब्धता के कारण इंगलैंड ने अमेरिका मे उपनिवेश बनाकर अपने देश के भिखारियों व अपराधियों को अमेरिका भेज दिया. दास प्रथा के अलावा आर्थिक रूप से कमजोर लोगां को इंगलैंड द्वारा मजदूरी करवाए जाने के उद्येश्य से अमेरिका मे वास दिया गया. यह भी America Ki Kranti से जुड़ी अति महत्वपूर्ण है.
अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के कारण- America Ki Kranti Ke Kya Karan The
अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम यानि की America Ki Kranti के कई निम्नलिखित america ki kranti ka karan है.
- अमेरिका सामाजिक स्थिति
- दोषपूर्ण शासन व्यवस्था
- ब्रिटीश का हस्तक्षेप
- सप्तवर्षीय युद्ध
- शाही घोषणा
अमेरिका सामाजिक स्थिति
अमेरिका सामाजिक स्थिति:- वस्तृतः अमेरिका मे इंगलैंड से ऐसे लोग आकर बसे थे जो ज्यादा स्वातंत्र प्रेमी, जागरूक व समतावादी थे. इंगलैंड मे जहां सामतंवादी व्यवस्था चलन मे थी वहीं अमेरिका मे प्राय सभी किसान के पास खेत थे और समाज एक समतावादी राजनीतिक व्यवस्था के अधीन थी ऐसे मे इंगलैंड के हस्तक्षेप ने इन्हे क्रांति के लिए प्रेरित किया.
दोषपूर्ण शासन व्यवस्था
दोषपूर्ण शासन व्यवस्था:- इन उपनिवेशों मे शासन चलाने के लिए ब्रिटिश द्वारा गर्वनर की नियुक्ति की जाती थी, साथ ही कार्यकारी का भी गठन किया जाता था व जिसके सदस्य ब्रिटिश क्राउन के द्वारा मनोनीत होते थे. अधिकारियों के वेतन कर निर्धारण के लिए कानून के निर्माण करने का अधिकार स्थानीय जनता द्वारा निर्वाचित विधायिका के पास था. लेकिन ऐसे कानूनों की स्वीकृति व अस्वीकृति पूर्णत: गर्वनर पर निर्भर थी.
ब्रिटीश का हस्तक्षेप
ब्रिटीश का हस्तक्षेप:- औपनिवेश बनाए जाने के शुरुआती वर्षों मे इंगलैंड ने सीमित हस्तेक्षप किया, जिसकारण 17 वीं शताब्दी मे लगभग 35 वर्षो मे ब्रिटिश ने करों की संख्या बढ़ा दी थी. वसूली के नियम सख्त बना दिए, जिसने समाज मे असंतोष को जन्म दिया.
सप्तवर्षीय युद्ध
सप्तवर्षीय युद्ध:- उत्तरी अमेरिका मे औपनिवेश स्थापित करने व नियंत्रण के प्रयास मे फ्रांस व इंगलैंड के बीच 7 Years War हुआ, जिसमें फ्रांस हार गया. ऐसा होने से उपनिवेशवासियों के दिल से फ्रांसिसियों का खतरा समाप्त हो गया और इंगलैंड पर उनकी निर्भरता भी कम हो गई थी. युद्ध मे ब्रिटेन को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा, जिसकी भरपाई के लिए जहाजरानी कानून, Sugar Act, व्यापारित एक्ट के सख्ती से लागू किया, जिससे समाज मे बेहद रोष के जन्म दिया.
शाही घोषणा
शाही घोषणा:- सप्तवर्षीय युद्ध के बाद इंगलैंड ने मिसीसीपी नदी घाटी से लेकर अलगानी पर्वतमाला क्षेत्र को अपने अधीन मे ले लिया. जिसके कारण उपनिवेशवासी अपनी सीमा का विस्तार पश्चिमी क्षेत्र मे वहां के मूल निवासी Red Indians को खदेड़कर करना चाहते थे. लेकिन ब्रिटिश की शाही घोषणा के तहत सीमा निर्धारित कर दिया गया. जिससे उपनिवेशवासी सीमा विस्तार नहीं कर पाए और ब्रिटीश का अपना दुश्मन समझने लगे.
अमेरिका स्वतंत्रता संग्राम का तात्कालिक कारण क्या था व आर्थिक शोषण- america ki kranti ke karan aur parinaam
इस America Ki Kranti के तात्कालिक कारण क्या था व आर्थिक शोषण जो निम्नलिखित है.
- जहाजरानी एक्ट
- व्यापारिक एक्ट
- चिंतको का योगदान
- ब्रिटिश पार्लियामेंट
- ग्रेनविले की नीति
- शुगर एक्ट
- टिकट एक्ट
- वस्तुत
- तात्कालिक कारण
जहाजरानी एक्ट
जहाजरानी एक्ट:- 1651 के एक्ट के तहत ऐसा प्रावधान था कि उपनिवेशों मे किया जाने वाला व्यापार सिर्फ इंगलैंड, आयरलैंड व उपनिवेशों के जहाज से ही हो सकता है साथ ही किसी भी प्रकार का निर्यात इंगलैंड के बंदरगाहों व व्यापारियों को अधिकारिक लाभ हुआ. 1633 के एक एवट मे भी निर्यात किए जाने वाले जहाजों को इंगलैंड के बंदरगाह पर लाना अनिवार्य कर दिया गया. इन दोनो एक्ट ने लागत को ज्यादा कर दिया, जिसका भुगतान उपनिवेशवासियों को करना पड़ता था.
व्यापारिक एक्ट
व्यापारिक एक्ट:- इस एक्ट के तहत ऐसा प्रावधान किया गया कि उपनिवेश मे उन्मादित चावल, तंबाकू, कपास, लकड़ी आदि को सिर्फ इंगलैंड मे ही बेचा जा सकता है. जबकि अन्य देशों को बेचने से उपनिवेशवासियों का ज्यादा लाभ मिलना था. औद्योगिक एक्ट के तहत ऐसा प्रावधान किया गया कि जिन वस्तुआ का उत्पादन इंगलैंड मे होगा, उसका उत्पादन उपनिवेश द्वारा नहीं किया जा सकेगा.
चिंतको का योगदान
चिंतको का योगदान:- बेजामिन फ्रेमलिन, जेम्स विल्सन, टॉमस पेन, सैनूअल एडमन आदि बुद्धिजीवियों के विचारों ने इन्हे स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया था.
ब्रिटिश पार्लियामेंट
ब्रिटिश पार्लियामेंट:- उपनिवेशवासियों का कहना था कि उनके संबंध मे कानून बनाने का अधिकार स्थानीय विधायिका को है न कि ब्रिटिश पार्लियामेंट को.
ग्रेनविले की नीति
ग्रेनविले की नीति:- तत्कालीन ब्रिटिश PM ग्रेनविले ने उपनिवेश मे सभी करों को कड़ाई से भुगतान किए जाने की नीति अपनाई थी.साथ ही Sugar Act (1764) व Stamp Act ( 1765 ) भी पारित करवाया था.
शुगर एक्ट
शुगर एक्ट:- इसके अंतर्गत अन्य देश से लाए जाने वाले रम (शराब) के आयात को प्रतिबंधित कर दिया गया. साथ ही शीरा ( शराब बनाने की सामग्री) पर आयात शुल्क बढ़ा दिया गया था. जिसने एस व्यवसाय से जुड़े लोगों को आक्रोशित कर दिया.
टिकट एक्ट
टिकट एक्ट:- इस Stamp Act के तहत News Paper, दस्तावेज, विज्ञापन आदि पर शुल्क देना अनिवार्य कर दिया गया व साथ ही कानून के अवमानना पर भी दंड का प्रावधान किया गया था. इस एक्ट का व्यापक विरोध शुरू हो गया. इसे विरोध के दौरान नारा दिया गया प्रतिनिधित्व नहीं तो कर नहीं का नारा दिया गया था.
वस्तुत
वस्तुतः- उपनिवेशवासियों का कहना था, चूंकि ब्रिटिश संसद में उनका प्रतिनिधित्व नहीं है. अतः किसी भी प्रकार के टैक्स लगाने का अधिकार सिर्फ अमेरिकी संसद को ही है. इस एक्ट के विरोध में 9 उपनिवेश राज्यों ने मिलकर स्टाम्प एक्ट कांग्रेस का गठन वर्ष 1765 में किया, तथा स्वाधीनता के पुत्र व पुत्रियाँ नामक संगठन को निर्मित का स्टाम्प कर हटाने का दृढ़ निश्चय किया गया. जिसमें जेम्स ओरिस, सैमुअल एडम्स, पेट्रिक हेनरी के सैद्धांतिक विचारों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
व्यापक विरोध के बाद 1766 में इस एक्ट को समाप्त कर दिया गया था. जिसने उपनिवेशवासियों के मन में जीत के महत्व को स्थापित किया व साथ ही उन्हें भविष्य में क्रांति के लिए एकजुट भी किया क्योंकि ब्रिटिश ने घोषणा की कि ब्रिटिश संसद के पास अमेरिकी लोग पर टैक्स लगाने का पूरा अधिकार है. जिसके कारण उपनिवेश में तीव्र विरोध हुआ.
तात्कालिक कारण
तात्कालिक कारण:- इस America Ki Kranti के तात्कालिक कारण लार्ड नार्थ ने चाय-नीति 1773 का प्रतिपादन किया जिसमें यह प्रावधान था कि ईस्ट इंडिया कंपनी अब सीधे अमेरिका में चाय बेच सकती थी. इस नीति का अमेरिका ने विरोध किया, क्योंकि न तो नीति-निर्माण में उनसे सलाह की गई और उनको डर था कि सस्ती चाय के द्वारा इंग्लैण्ड अन्य टैक्स को बढ़ाएगा.
फलतः 16 दिसंबर 1773 को बोस्टन बंदरगाह पर सैमुअल एडम्स के नेतृत्व में चाय के जहाजों को लूटकर समुद्र में फेंक दिया गया जिसे बोस्टन टी पार्टी के नाम से भी जाना जाता है. जवाबी दमनकारी नीति के तहत इंग्लैण्ड ने बोस्टन बंदरगाह को बंद कर दिया, गवर्नर की शक्ति बढ़ा दिया, सैन्य शासन जैसी स्थिति उत्पन्न कर दिया तथा हत्या संबंधी मुकदमे को अमेरिकी न्यायालय से इंग्लैण्ड स्थानांतरित कर दिया. (यह रही America Ki Kranti के तात्कालिक कारण)
अमेरिका की क्रांति में विदेशियों की मदद
इस America Ki Kranti में अन्य देशो की मदद निम्नलिखित है.
- फ्रांस
- स्पेन
- हालैंड व नीदरलैंड
- रूस व डेनमार्क
- विस्तृत युद्ध का मैदान
- विदेशियों का समर्थन
- अमेरिका व इंगलैंड की दूरी
फ्रांस
फ्रांस:- फ्रांस ने अमेरिकियों का साथ दिया, क्योंकि वह इंग्लैण्ड से 1756-63 के दौरान हुए सप्तवर्षीय युद्ध का बदला लेना चाहता था. जिसका उद्देश्य इंगलैंड के विघटन में सहायता देना था.
स्पेन
स्पेन:- स्पेन ने अमेरिकियों का सहायोग इस आशय से दिया ताकि युद्ध में संलग्न होने से जिब्राल्टर का क्षेत्र वह इंगलैंड से वापस ले सके थे.
हालैंड व नीदरलैंड
हालैंड व नीदरलैंड:- हॉलेंड ने अमेरिकियों का समर्थन इस उद्देश्य से किया ताकि इंगलैंड लंबे समय के युद्ध में व्यस्त रहे और वह एशिया में अपनी स्थिति को मजबूत कर सके.
रूस व डेनमार्क
रूस व डेनमार्क:- रूस व स्वीडन और डेनमार्क जैसे देशों ने तटस्थता की नीति अपनाई जो अमेरिका के लिए अप्रत्यक्ष समर्थन जैसा ही था. उपरोक्त स्थितियाँ अमेरिका के संगठित युद्ध नीति ने अंग्रेजों की स्थिति कमजोर कर दी थी. वर्ष 1781 में जॉर्ज वाशिंगटन के नेतृत्व में अमेरिकी सेना ने यार्कटाउन के युद्ध में अंग्रेजी सेनापति कार्नवालिस को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया. 3 सितंबर 1783 को पेरिस के समझौते के साथ अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का अंत हुआ.
विस्तृत युद्ध का मैदान
विस्तृत युद्ध का मैदान:- वास्तव मे इंगलैंड की नौसेना उसकी सबसे मजबूत पक्ष था लेकिन अमेरिकी तट का विस्तार इतना ज्यादा था कि नौसेना ज्यादा प्रभावी नहीं हो पाई.
विदेशियों का समर्थन
विदेशियों का समर्थन:- प्रमुख यूरोपीय शक्तियों ने या तो इंगलैंड का विरोध किया या फिर तटस्थ रहे थे. वस्तुतः इंगलैंड की पुराने शत्रुओं ने अमेरिका का साथ दिया.
अमेरिका व इंगलैंड की दूरी
अमेरिका व इंगलैंड की दूरी:- इस America Ki Kranti के दौरान सैनिक, रसद, हथियार आदि का समय से पहुचना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. लेकिन अत्यधिक दूरी की वजह से ऐसा संभव नहीं हो पाया जो हार का एक प्रमुख कारण बना.
अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के प्रभाव
इस America Ki Kranti के समय कई देशो पर इसका प्रभाव निम्नलिखित है.
- अमेरिका पर प्रभाव
- सामाजिक आर्थिक प्रभाव
- इंगलैंड पर प्रभाव
- भारत पर प्रभाव
अमेरिका पर प्रभाव
अमेरिका पर प्रभाव:- इस America Ki Kranti के बाद उपनिवेशकों ने मिलकर स्वतंत्र व प्रजातंत्र राष्ट्रका निर्माण किया. वास्तव मे जिस दौर मे दुनिया मे राजतंत्रात्मक व्यवस्था अपने उत्कृष्ट पर था. उस समय मे अमेरिका मे प्रजातंत्र की स्थापना निश्चित रूप से अहम घटना थी. इस क्रांति ने विश्व को गणतंत्र, संघवाद, जनतंत्र व संविधान को सशक्त रूप मे पेश किया, जो शासन व्यवस्था के आदर्श तत्व है.
आजादी के बाद अमेरिका मे लिखित संविधान बना, जो दुनिया का प्रथम लिखित संविधान था. इसके साथ साथ अमेरिका ने राज्य को चर्च से अलग का दुनिया मे प्रथम धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना की थी.
सामाजिक आर्थिक प्रभाव
सामाजिक आर्थिक प्रभाव:- क्रांति के बाद अमेरिका ने समतावादी समाज की स्थापना पर बल दिया था. जिसमें पुत्र पुत्रियों को समान महत्व दिया गया स्त्रियों की शिक्षा पर ध्यान दिया गया तथा समाज मे उनको बराबर का अधिकार दिया गया. क्रांति के फलस्वरूप पूंजीवाद के क्षेत्र मे व्याप्त सभी बाधाओं को दूर कर पूंजीवाद का विकास प्रारंभ हुआ. खनिज व अन्य संसाधनों पर राज्य का नियंत्रण समाप्त हो गया, जिसका दोहन वहां के उद्योगपतियों द्वारा किया गया.
इंगलैंड पर प्रभाव
इंगलैंड पर प्रभाव:- नए उपनिवेशों पर नियंत्रण 13 अमेरिकी उपनिवेश खोने के बाद इंगलैंड ने अपनी प्रतिष्ठा व व्यापारिक हितों का ध्यान रखते हुए आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड मे उपनिवेश स्थापित किया. इस America Ki Kranti के समय इंगलैंड पर प्रभाव पड़ा था.
भारत पर प्रभाव
भारत पर प्रभाव:- इस America Ki Kranti ने कालांतर में जहाँ भारतीय स्वतंत्रता प्रेमियों को क्रांति के लिए प्रेरित किया वहीं दूसरी तरफ इसने भारत में ब्रिटिश शासन को मजबूत करने में भूमिका निभाई थी. दरअसल अमेरिकी एकता की ताकत ने अंगलैंड को हराया. अतः उसने भारत में सहायक संधि, फूट डाल और राज करो, जैसी नीति के तहत भारत में एकता नहीं पनपने दिया.
इसी तरह धर्म, संस्कृति जैसे मामलों में गहरा व प्रभावी हस्तक्षेप कर, भारतीय समाज को धर्म संबंधी मुद्दों में ही उलझाए रखा. वस्तुतः अमेरिका में इंगलैंड प्रभावी हस्तक्षेप नहीं कर पाया था, जिसके कारण वहाँ के लोगों में स्वातंत्रय चेतना का विकास हुआ और क्रांति के लिए प्रेरित हुए. भारत के गुलामी की जंजीरों में जड़े जाने व अमेरिका के आजाद होने का समय लगभग एक ही है. भारत पर भी America Ki Kranti के समय प्रभाव पड़ा.
जार्ज वाशिंगटन का नेतृत्व
- जार्ज वाशिंगटन का नेतृत्व:- अमेरिकी सेनापति जो बाढ़ मे अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति भी बने ने अभूतपूर्व की चाह मे सैनिकों ने भी साहस का परिचय दिया.
- जार्ज तृतीय की अलोकप्रियता:- जार्ज तृतीय अपनी नीतियों के कारण न केवल अमेरिका मे जलोकप्रिय था. बल्कि इंगलैंड की जनता मे भी उसके प्रति असंतोष की भावना थी फलस्वरूप इस युद्ध का इंगलैंडवासियों ने नैतिक समर्थन नहीं दिया था. जिसने युद्ध मे शामिल सैनिकों की इच्छा को भी कमजोर किया.
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FAQ (अमेरिका की क्रांति) से सम्बन्धित कुछ सवालो का जवाब)
प्रिय स्टूडेंट इस लेख में आपको America Ki Kranti व से america ki kranti ka karan जुड़ी कुछ अति महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर देखने वाले है. यह प्रश्न आपके द्वारा ही पूछा गया है जो इस लेख में इसका उत्तर सबसे आसान भाषा में देखने वाले है. जो आपके सभी तरह के एग्जाम के लिए अति महत्वपूर्ण है. अगर आपके मन में कोई भी इस अमेरिका के क्रांति के कारण व परिणाम से सम्बन्धित प्रश्नों का सवाल पूछना चाहते है तो आप हमे कोमेंट के माध्यम से पूछ सकते है. तो चलिए इस प्रश्नों का जवाब यानि की उत्तर देखने वाले है.
अमेरिका की क्रांति के क्या कारण थे?
अमेरिका के क्रांति के कई निम्नलिखित कारण थे.
1.स्वतन्त्रता की चेतना
2.दोषपूर्ण शासन
3.सप्तवर्षीय युद्ध
4.बौद्धिकों की भूमिका
5.ब्रिटिश औपनिवेशिक कारण
6.शासकों की नीतियाँ
अमेरिकी क्रांति की शुरुआत कब हुई थी?
यह अमेरिका की क्रांति की शुरुआत सन 1775-1783 ई० के बीच यह क्रांति चली थी.