प्रिय स्टूडेंट इस लेख में मध्यकालीन इतिहास के अति महत्वपूर्ण टॉपिक भारत पर अरबों का आक्रमण के बारे में एक-एक हर टॉपिक को पढने वाले है. भारत सिंध पर अरबों का आक्रमण कब हुआ और इसका कारण व परिणाम प्रभाव के बारे में पूरा विस्तार से पढने वाले है. इस टॉपिक से आपके सभी तरह के परीक्षाओ के लिए अति महत्वपूर्ण है.
- भारत( सिंध)पर अरबों का आक्रमण
- सिंध पर अरब आक्रमण के कारणों एवं परिणामों की विवेचना करें
- अरबो की सिंध विजय का परिणाम
- अंत में क्या पढ़ा (निष्कर्ष)
भारत पर अरबों का आक्रमण का वर्णन कीजिए –
भारत(सिंध)पर अरबों का आक्रमण:- अरबों का सिन्ध पर आक्रमण भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी. अरबों ने सिंन्ध और मुल्तान में अपनी सत्ता स्थापित की भी की थी. चंचनामा’ भारत पर अरबों का आक्रमण से संबंधित इतिहास की जानकारी के लिए एक महत्वपूर्ण ग्रन्य है. सजनी भारत के साथ अरबों का व्यापारिक सम्बन्ध इस्लाम धर्म की स्थापना के बहुत पहले से चला आ रहा है था.
भारत के पश्चिमी समुद्रतट वाले क्षेत्रों के साथ शान्तिपूर्ण व्यापारिक कार्य का सम्पादन करने में भारतीय नरेशों का उन्हें सहयोग भी मिलता रहा था. अरब में इस्लाम धर्म का प्रचार और खलीफाओं के द्वारा इस्लामी साम्राज्य के विस्तार की नीति के फलस्वरूप शुद्ध व्यापारिक सम्बन्ध अधिक दिनों तक चल नहीं सकी थी. खलीफा उमर के समय 636 ई0 में बम्बई के पास थाना पर भारत पर अरबों का आक्रमण हुआ था.
प्रथम आक्रमण आसफल हो गया था. किन्तु असफलता के बाद भी सिन्ध राज्य के बरोच, देवल की खाड़ी और करा अकराव पर अरबों के द्वारा लगातार कई बार आक्रमण हुए. प्रारम्भिक आक्रमणकारियों को या तो जान से हाथ धो लेना पड़ा या अपमानिक होकर वापस मुड़ जाना पड़ा. लेकिन इब्न अल हरीभल विहिती के नेतृत्व में मकरान पर विजय प्राप्त करने से सिन्ध पर आक्रमण करने का द्वार खुल गया था.
भारत पर अरबों का आक्रमण के कारण के विवेचना करें-
अब इस लेख में आपको भारत पर अरबों का आक्रमण के कारणों के बारे में पढने वाले है. इस लेख में इसका कौन-कौन से कारण थे और इसका कारणों का विवेचना करने वाले है जो आपके एग्जाम के लिए अति महत्वपूर्ण यह भी टॉपिक है. तो अब चलिए इस लेख को पूरा अंत तक पढ़ते है. सिन्ध पर अरबों के आक्रमण के निम्न कारण थे.
- राजनीतिक कारण
- आर्थिक कारण
- धार्मिक उत्साह
- लूट का बहाना
राजनीतिक कारण
राजनीतिक कारण:- यह आक्रमण सिंध पर ही भारत पर अरबों का आक्रमण से पूर्व नियोजित योजना का एक ही अंग था. हजरत मुहम्मद की मृत्यु ‘के बाद इस्लामी साम्राज्य का विस्तार बहुत ही तेजी से होने लगा था और एक सौ वर्ष के अन्दर अरब के अतिरिक्त सिरिया, मेसोपोटामिया, आर्मीनिया, ईरान, अफगानिस्तान, ब्लाचिस्तान, ट्रॉस आक्सियाना, अफ्रीका का उत्तरी तट, उत्तर और दक्षिण मिस्र स्पेन, पुर्तगाल और दक्षिणी फ्रांस पर उनका आधिपत्य हो गया था.
अतः सिन्य पर आक्रमण का मुख्य उद्देश्य यह था की राजनीतिक एवं प्रादेशिक विस्तार की नीति थी. खलीफा साम्राज्य-विस्तार एवं धर्म प्रचार की भावना से प्रेरित होकर सिन्ध पर आक्रमण की योजना बना रहे थे और कोई बहाना ढूंढकर उस पर आक्रमण करना चाह रहे थे.
आर्थिक कारण
आर्थिक कारण:- भारत आर्थिक दृष्टि से एक सम्पन्न देश था. अरब के व्यापारी भारतवर्ष की सम्पन्नता से परिचित थे. धन प्राप्ति की लालसा उनमें भी थी और वे सम्पन राष्ट्र की राजनीतिक विघटन का लाभ उठाकर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना चाहते थे. भारतीय धन की प्राप्ति कर वे अपना आर्थिक स्तर ऊँचा उठाना चाहते थे.
धार्मिक उत्साह
धार्मिक उत्साह:- अरबों में नया’ धार्मिक उत्साह था और वे इस्लाम धर्म का एकमात्र संरक्षक एवं पृष्ठपोषक थे. तलवार के बल पर धर्म-प्रचार-नीति खली- फाओं का मुख्य आधार बन गया था. विश्व में इस्लामी धर्म का प्रचार एवं काफीरों को नष्ट करना वे अपना पुनीत धार्मिक कर्तव्य समझते थे.
खलीफाय के द्वारा जिन प्रदेशों को विजयी किया गया वहाँ के धर्म को पूर्णतः मिटाने की चेष्टा की गई. इस्लाम धर्म एवं संस्कृति का प्रचार ईरान, अफगानिस्तान, ब्लूचिस्तान तथा अन्य कई क्षेत्रों में किया गया था. साम्राज्य-विस्तार तथा धर्म प्रचार की भावना से प्रेरित होकर सिंच पर अरबवालों ने भारत पर अरबों का आक्रमण किया था.
लूट का बहाना
लूट का बहाना:- सिंध के समुद्री डाकुओं द्वारा अरब के कुछ जहाजों को लूटना सिन्ध पर अरबवालों के आक्रमण का तात्कालिक कारण माना जाता है. जहाजों के लूटने के सम्बन्ध में अनेक तरह के विचार व्यक्त किये गये हैं. सर बुल्जे हेग के अनुसार, लंका के राजा ने इराक के गवर्नर हज्जाज के पास उन अरब व्यापारियों की अनाथ पुत्रियों को भेजा था जिनके पिता की मृत्यु लंका में हो गयी थी. अनाथ पुत्रियों और उपहार से भरा जहाज जब सिन्धु के समुद्रतट पर पहुँचा तो समुद्री लुटेरों ने लूट लिया.
एक अन्य लेखक के अनुसार दासियों और उपहारों की वस्तुओं को सिंघ के समुद्री लुटेरों ने लूटा था जो हज्जाज की सेवा में भेजा गया था. एक तीसरे लेखक के अनुसार, लंका के राजा ने इस्लाम धर्म को स्वीकार कर खलीफा की सेवा में जो उपहार भेजा था उसे लुटेरों ने लूट लिया था. परन्तु लंका’ के राजा द्वारा इस्लाम धर्म स्वीकार करना ऐतिहासिक दृष्टि से पूर्णतया गलत है.
हज्जाज को (सिंध पर) भारत पर अरबों का आक्रमण करने का बहाना मिल गया और उसने सिंघ के राजा दाहिर से अपराधियों को दण्ड देने तथा क्षति पूर्ति करने की माँग की थी. परन्तु दाहिर समुद्री लुटेरों के कार्य का न तो दायित्व स्वीकार किया और हर्जाने की रकम देने के लिए तैयार हुआ. दाहिर के व्यवहार से हज्जाज आगबबूला हो गया और उसने तात्कालिक खलीफा वाहिद से भारत पर अरबों का आक्रमण करने की आज्ञा प्राप्त कर ली. हज्जाज ने उबैदुल्ला के नेतृत्व में ही बहुत बड़ी संख्या में एक सेना सिंध पर आक्रमण यानि की हमला करने के लिए भेजा गया था.
उबैदुल्ला युद्ध में पराजित होकर मार डाला गया. इस दूसरी आक्रमण बुद्दल के नेतृत्व में सिंध पर किया गया बुदल भी युद्ध में मारा गया. दो बार की पराजय एवं अपमान से क्षुब्ध होकर हज्जाज ने अपने चचेरे भाई और दामाद मुहम्मद-बिन-कासिम को भारत पर अरबों का आक्रमण (सिंध पर) करने के लिए भेजा. मुहम्मद-बिन-कासिम 711 ई० में सिंध पहुँचा और इस प्रकार हजरत उमर के समय में प्रारम्भ हुए नाटक का अंतिम अंक सिंध पर आक्रमण था.
सिंध पर अरब आक्रमण के परिणामों की विवेचना करें
अब इस लेख में आपको भारत पर अरबों का आक्रमण से सम्बन्धित अति महत्वपूर्ण चेप्टर पढने वाले है जो आपके एग्जाम के लिए अति इम्पोर्टेंट है. भारत पर अरबों के आक्रमण एवं उनके प्रभाव लिखिए
- राजनीतिक परिणाम
- सांस्कृतिक प्रभाव
राजनीतिक परिणाम
राजनीतिक परिणाम:- सिंध पर अरब-विजय के प्रभाव की व्याख्या दो तरह से की गयी है. कुछ इतिहासकार अरब – विजय को प्रभाव राहत बताते हैं और कुछ ने उसके प्रभाव का विवरण बढ़ा-चढ़ा कर दिया है. डॉ० स्टैनले लेनपुल के अनुसार “सिंध पर अरबों की विजय इस्लाम’ के इतिहास की एक गाँव एवं महत्वहीन घटना थी.” सर बुल्जे हेग का विचार है कि “भारत के इतिहास की यह एक साधारण घटना थी और उसने इस विशाल देश के सीमावर्ती क्षेत्र के एक छोटे प्रदेश मात्र को प्रभावित किया था.”
परन्तु राजस्थान के इतिहास के प्रसिद्ध लेखक कर्नल टॉड ने भारत पर अरबों का आक्रमण के प्रभाव की व्याख्या अतिरंजित ढंग से की है. मुहम्मद बिन कासिम जो थे उनके आक्रमण यानि की हामला से “समस्त जो उत्तर भारत पूरी तरह से दहल उठ गया था. सिंध की विजय का सांस्कृतिक अर्थ चाहे जो रहा हो कि कई इतिहासकारों के अनुसार राजनीतिक दृष्टि से उसका कुछ परिणाम नहीं हुआ.
उस इतिहासकारों के अनुसार अरबों ने भारतीय महादीप के केवल एक-एक सीमान्त का स्पर्श किया और उसका उसने जो मन्द भावोद्दीपन किया था वह स्वयं विस्मृत हो गया. इस्लामी राष्ट्रमंडल में अरबों का प्रभाव क्षीण होने लगा. भारत में उसको विस्तार में भूगोल’ बाधक था. दसवीं शताब्दी तक उसका विजय-कार्य समाप्त हो गया और भारतीय राजा उनको पहले की मोती साहसी और अनुकूलनीय व्यापारी मानने लगे इस कथन के द्वारा ए० बी० एम० हबीबुल्ला ने भी अरबों द्वारा सिंध विजय के राजनीतिक व भारत पर अरबों का आक्रमण परिणाम को गाँव बताया था.
राजनीतिक और सैनिक दृष्टि से भारत पर अरबों का आक्रमण का परिणाम भले हीं निर्णायक न हो लेकिन इस्लामी संसार के साथ भारत का संबंध जोड़ने में अरबवालों ने कड़ी का काम किया था. अरब-सत्ता भारत में नष्ट हो गयी और परन्तु सिंध में जिन व्यक्ति व्यक्तियों ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था उनका संबंध मुसलमानों के साथ मध्ययुग के अंत तक बना रहा और वे भारतीय राजनीतिक की प्रभावित करते रहते थे. जिससे इस्लाम धर्म की जड़े भारत में जम गयीं थी.
सांस्कृतिक प्रभाव
सांस्कृतिक प्रभाव:- राजनीतिक परिणाम की तुलना में अरब-आक्रमण का – सांस्कृतिक परिणाम आधिक महत्वपूर्ण था. सिंध में बसने वाले अरबों ने हिन्दू स्त्रियों के साथ विवाह किया जिसके फलस्वरूप अरब और भारतीय रक्त का मिश्रण हुआ। भारत में बसने के बाद अरबवासियों को भारतीय संस्कृति की उत्कृष्टता का परिचय प्राप्त हुआ. भारतीय कला, ज्योतिष, साहित्य, चिकित्साशास्त्र आदि को अरनवारणों ने सीखने की चेष्टा की है. भारत पर अरबों का आक्रमण के सांस्कृतिक प्रभाव भी है.
ब्राह्मणों और बाँध- भिक्षुओं के चारणों में बैठकर अरबों ने ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में जो अनुभव प्राप्त किया. उसका प्रचार उन्होंने पश्चिमी संसार में किया. बगदाद के खलीफाओं ने भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं का ज्ञान प्राप्त करने में विशेष रुचि दिखलायी. खलीफा अल-मन्सूर ने ब्रह्मगुप्त की रचना ब्रह्म सिद्धान्त ‘ तथा ‘खण्ड- खांड्यक’ का ‘अनुवाद अरबी भाषा में करवाया था. अरबों के बीच निर्माणात्मक प्रतिभा का अभाव था.
उन्होंने भारतीय शिल्पियों और कलाकारों के सहयोग से मस्जिदों को सजाने और अलंकृत करवाने का काम लिया अरनवालों में सिन्धवासियों से दशमलव, शून्य से नॉ तक अंक, शतरंज, औषधि – विज्ञान आदि ज्ञान प्राप्त – किया था. भारतीय’ संस्कृति से अरबताले प्रभावित हुए. अरबों की संस्कृति का प्रभाव भारतीय संस्कृति पर नहीं पड़ा. अरबवालों ने भारतीयों के सम्पर्क में आकर जो ज्ञान प्राप्त किया, उसका प्रचार आठवीं ऑर नवीं शताब्दी में यूरोप में जाकर किया था. यह भी भारत पर अरबों का आक्रमण के प्रभाव है.
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FAQ (भारत पर अरबों का आक्रमण से सम्बन्धित कुछ सवालो का जवाब)
प्रिय स्टूडेंट अब इस लेख में आपको भारत पर अरबों का आक्रमण से कुछ महत्वपूर्ण आपके ही द्वारा पूछा गया महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर देखने वाले है. इस लेख में जो-जो प्रश्न का उत्तर बताने वाले है सारे प्रश्न आपके एग्जाम के लिए अति महत्वपूर्ण है.
अरब ने भारत पर आक्रमण क्यों किया?
भारत पर अरबों का आक्रमण 7वीं शताब्दी से ही होना शुरू हो गया था. जो मुहम्मद-बिन-कासिम थे उनके ही नेतृत्व में अरबों का सिंध पर जी भारत पर प्रथम यानि की पहला सफल आक्रमण 712ई० में ही हुआ था.
सिंधु पर अरब आक्रमण के क्या कारण थे?
भारत सिंध पर अरबों का आक्रमण के कई कारण थे और इस सिंधु पर अरब आक्रमण के पहला कारण वह था राजनितिक कारण था. इसका दूसरा कारण यह है की आर्थिक कारण भी है.
अंत में क्या पढ़ा (निष्कर्ष)
निष्कर्ष:- भारतीय संस्कृति के सामने इस्लामी संस्कृति कान्तिहीन हो गयी थी. भारतीय – संस्कृति की विशेषताओं से अरब स्वयं प्रभावित हुए. उन्होंने भारतीय संस्कृति का प्रचार यूरोप के देशों में किया. परन्तु यह कहना गलत होगा कि सिन्ध पर अरबों के आक्रमण का कोई प्रभाव नहीं पड़ा.
अरबों नें सिंघ में इस्लाम धर्म का जो बीज बोया, उसका पांचा आगे चलकर विशाल बन गया. उत्तर पश्चिम के रास्ते से अरबों के बाद भारत पर विदोशियों ने जो आक्रमण किये. उससे इस्लाम धर्म को प्रोत्साहन मिला. सिंघ के मुसलमानों ने इसका अनुचित लाभ उठाया और इस प्रकार सिंघ पर अरबों की विजय एक महत्वपूर्ण घटना मानी गई थी.